सोमवार, 21 नवंबर 2011

गजल

गजल ----- जगदीश चन्द्र ठाकुर 'अनिल'

स्वप्नलोकमे घुमा-घुमा क'

बहुत कनेलहुं हंसा-हंसा क'


पाथर नहि डूबैछ पानिमे

कहलनि हमरा सुना-सुना क'


दुनिया छुटलनि,रम नहि छुटलनि

थाकि गेलहुं हम बुझा-बुझा क'


मच्छर,बाघ,सांप दुनियामे

सबदिन रहलहुं नुका-नुका क'


हम जनैछी स्वयं कें रखलहुं

कोना एखनधरि बचा-बचा क'


काल्हि आउ, कहइत छथि हाकिम

सबदिन अहिना बजा-बजा क'

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों