मंगलवार, 8 नवंबर 2011

गजल


गजल

बालुक भीत  बनल  जिनगी चमकै छै कोना।
सुखायल ई  फूल  सम्बन्धक गमकै छै कोना।

नकली मुस्कीक  भीड मे  हरायल कतौ हँसी,
चिन्ता भरल मुँह पर मुस्की  दमकै छै कोना।

पैघ भेल  जाइ छै  मनुक्ख,  झूस विचार भेलै,
कर्म-धार  मे हल्लुक  विचार जमकै छै कोना।

भ'  रहलै  तमाशा  नाचक  बिना सुर-ताल के,
सरगम  कतौ नै  मुदा  पैर  झमकै छै कोना।

काठक  बनल  लोक  रहै छै  ऊँच  मकान मे,
जे सुनै छै कियो नै किछ, "ओम" बमकै छै कोना।
------------------- वर्ण १७ ------------------

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों