अहां के स्पर्श जीवन हिला देलक
दर्शक से कलाकार बना देलक
संगत केर असर छैक गहीर
ई मनुख के मनुख बना देलक
अनहरिआ राति के भगजोगिनि
जरैत मिझैत रास्ता देखा देलक
छल गुमान बड्ड तेजगर छी
ई सभा हमर होशे उड़ा देलक
कविता पढब छल टाइम पास
ई संसर्ग त' कविता सिखा देलक
--वर्ण - १३ --
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें