सोचलो नै हम निक-बेजैई, देखलो सुनलो किछो नै /
मंगलो भगवान स हर समय, आहा सिवा किछो नै //
देखलो,चाहलो अहिके, सोचलो अहिके पुजलो अहिके /
"मोहन जी" के वफ़ा खता, आहाक खता किछोबो नै //
हुनका पर हमर आँख त, मोती बिछेलक दिन-रैत भैर /
भेजलो ओहे कागज हुनका, हम त लिखलो किछोबो नै //
एक साँझ के देहलीज़ पर,बैसल छलैथ ओ देर राती तक /
आँईख स केलैथ बात बहुत, मुह स कहलैथ किछ्बो नै //
पांच-दस दिन के बात या,दिल ख़ाक में मिल जायत /
आईग पर जखन कागज राखब, बाकी बचत किछ्बो नै //
रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)
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