रविवार, 20 नवंबर 2011

गजल


गजल ----- जगदीश चन्द्र ठाकुर 'अनिल'
स्वप्नलोकमे घुमा-घुमा क'
बहुत कनेलहुं हंसा-हंसा क'।


पाथर नहि डूबैछ पानिमे
कहलनि हमरा सुना-सुना क'।


दुनिया छुटलनि,रम नहि छुटलनि
थाकि गेलहुं हम बुझा-बुझा क'।


मच्छर,बाघ,सांप दुनियामे
सबदिन रहलहुं नुका-नुका क'।


हम जनैछी स्वयं कें रखलहुं
कोना एखनधरि बचा-बचा क'।


काल्हि आउ, कहइत छथि हाकिम
सबदिन अहिना बजा-बजा क'।



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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों