सरस्वतीक सम्मान करू
तखनहि कन्यादान करू।
ऐंठ कते रहि गेल पात पर
अन्नक नहि अपमान करू।
सभ सं पाछां ठाढ भेल जे
तकर दुखक अनुमान करू।
सभहक धरती,सभ ले'धरती
सभक सुखक निर्माण करू।
छागर नहि,पाखण्ड,ढोंग केर
अपनहि सं बलिदान करु।
सुलभ,सुगम हो बाट जीवनक
नव-नव अनुसंधान करू।
रहय शीर्ष पर भरि दुनियामे
तेहने हिन्दुस्तान करू।
- मुखपृष्ठ
- अनचिन्हार आखरक परिचय
- गजल शास्त्र आलेख
- हिंदी फिल्मी गीतमे बहर
- भजनपर गजलक प्रभाव
- अन्य भारतीय भाषाक गजलमे बहर
- समीक्षा/आलोचना/समालोचना
- गजल सम्मान
- गजलकार परिचय शृखंला
- गजलसँ संबंधित आडियो/वीडियो
- विश्व गजलकार परिचय शृखंला
- छंद शास्त्र
- कापीराइट सूचना
- अपने एना अपने मूँह
- गजलक इस्कूल
- गजलकार
- अर्चा-चर्चा-परिचर्चा
- आन-लाइन मोशायरा
- आशीष अनचिन्हारक रचना संसार
- मैथिली गजलसँ संबंधित आन लिंक, पन्ना ओ सामग्री
- Maithili Ghazal Books Download
- शेर जे सभ दिन शेर रहतै
शनिवार, 19 नवंबर 2011
गजल
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
jagdishchandra thakur 'Anil'
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें