ताकु जुनि आदिक सुआद-भाव बानरक मुंह पर
मोती सनक नोर कियै खसैव कुकुरक गुंह पर
निवाहै नारी पतिव्रत छुतहर छुतहर वर लै
निर्लज्ज केँ कतो नोर खसय बिमारि-स्त्रीक ऊंह पर
कोयलीक बोल गाबि कवियित्री भेलीह स्वर-कोकील
बहीर-भुंच केँ कत्तौ आह उठै कोयलीक कुंह पर
ढ़ुंहै जवानी हुनकर उमड़ैत कोशीक ढ़ौंह सन
मोनक अपंग केँ तरंग कत्तs जवानीक ढ़ुंह पर
समाजक डंड सेहो भ गेलय निपट अपंग आब
अंतरात्माक लाज कहाँ अबंडक सुसुरमुंह पर
"शांतिलक्ष्मी"ये की सब चिन्है स्त्री केँ सतवैत सपौल केँ
छथि के आइ जे नाथ चढ़ौते एहि साँपक पुंह पर
....................वर्ण २०....................
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रविवार, 20 नवंबर 2011
गजल
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शांतिलक्ष्मी चौधरी
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