शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

गजल

नयन कटाक्ष करै परिहास देखे हौले हौले
चलय तीर आ बढय पीर सखि गे हौले हौले

नीन उडल चैन मरल नैनन देखई स्वप्न
लोकलाज और अमिट प्यास बढ्लै हौले हौले

भेलहु मतसुन्न छल एक्के धुन रही औले बौले
मुखरा जे तोहर आगू हम्मर नाचे हौले हौले

बहकल चीर नैन नीर लाल भेल मुह लाजे
राति अनहार लाज ठाढ चललहू हौले हौले

पातक फर फर छातीक धर धर धरू धीर
सबटा सोझरा जेतैक समय संग हौले हौले

--वर्ण - १८ --

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों