सुगँधसँ सराबोर सुगन्धित सुंदर सजनी सुगँधा
आबि हमर ह्रदय बसली अदभुत सुंदरी सुगँधा
जिनक सुगँध चहुदिस नभ-थल कए कण-कण मे
हमर रोम-रोम में ओ वसल छथि प्राणेश्वरी सुगँधा
जिनक सुगँध चहुदिस नभ-थल कए कण-कण मे
हमर रोम-रोम में ओ वसल छथि प्राणेश्वरी सुगँधा
सुर केँ श्याम जएना राधाक नटवर मुरली वजैया
ओ छथि समाएल हमर श्वाँस-श्वाँस मे सगरी सुगँधा
जिनक निसाँ में रचलहुँ हम सुर-सुगन्धित सुगँधा
ओ छथि हमर ह्रदय केँ रानी प्राण में बसली सुगँधा
ध्यानमें मानमें जिनकर आनमें अर्पित अछि 'सुगँधा'
भूल हुए तँ मानियों जाएब 'मनु' कए सजनी सुगँधा
ध्यानमें मानमें जिनकर आनमें अर्पित अछि 'सुगँधा'
भूल हुए तँ मानियों जाएब 'मनु' कए सजनी सुगँधा
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-२१)
जगदानंद झा 'मनु' : गजल संख्या -१
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