रविवार, 19 जनवरी 2014

गजल

प्रस्तुत अछि अमित मिश्र जीक ई गजल


जीतपर हारक कड़ी बनिते छै भाइ
प्रीतपर साढ़े सती लगले छै भाइ

मरि कऽ ओ चलि गेल सबकेँ देने नोर
गाममे ओकर हँसी बचले छै भाइ

सजल मधुशाला भरल डेगे डेगपर
भोज्य बिनु चुप पेट बड भुखले छै भाइ

भेल छै रौदी पियासल धरती सगर
आँखिमे सगरो नमी बनले छै भाइ

हँसि सकी हँसि लिअ जखन धरि कानै "अमित"
दाव ई सबकेँ उलट पड़िते छै भाइ

2122-2122-2221
फाइलातुन-फाइलातुन-मफऊलातु

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों