बुधवार, 8 जनवरी 2014

गजल



मनुख माल जालकेँ लजा देलक 
छिया डेग डेग पर घिना देलक 

कुकरमी त' भेल पातकी देखू 
सहकि नाक कान सभ कटा देलक 

सजा फेर एक नारि हेबाकें 
सहल ओ धिया हिया कना देलक  

चलल खेल धरि लहास पर सेहो 
सगर राजनीति सभ चला देलक

जँ राजीव आब बानि नै बदलल  
बुझब व्यर्थ प्राण ई धिया देलक 

१२२१ २१२ १२२२ 
@ राजीव रंजन मिश्र 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों