बुधवार, 22 जनवरी 2014

गजल

शीत सन शीतल तरल उज्जर हँसी
कंच परहँक ओस अछि हुनकर हँसी

आइ चुप छथि ओ बहुत देरसँ किए
काल्हि बड़ ठहकल रहै जिनकर हँसी

गहुमने सनकेँ तँ ईहो तेज छै
ढ़ोरिया सभ हँसि रहल साँखर हँसी

धाह देहक होइ छै अजगुत सनक
गलि क' बहि गेलै तुरत पाथर हँसी

लोकतंत्रक भीड़मे छै पेंच यौ
मोटका सन बुझि पड़ै पातर हँसी


सभ पाँतिमे 2122+2122+212 मात्राक्रम अछि।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों