बुधवार, 1 जनवरी 2014

गजल

नव बरखक नव सोच नवल हो
नव हरखक  नव शक्ति सबल हो

हो मंगलमय सभ तरहेँ जिनगी
प्रेमक अमृत  रस धार बहल हो ​

जाति धरम कुटुम्बक नहि रगड़ा
पसरल घ्रिणाक देवाल ढ़हल हो

पावन मधुर  सुर​-ताल  जल हो
असल अजादीक दीपक धवल हो

सत ज्ञान-पुंजक प्रबाह प्रबल हो
मातु पिता आ गुरु चरण कमल हो

वर्ण १४
तिथि: ०१/०१/२०१४

©राम कुमार मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों