गजल
दिन कहुना काटि लेलहुँ राति भारी भ' गेल
कछ्मच्छी फेर मोनक आइ हाबी भ' गेल
कछ्मच्छी फेर मोनक आइ हाबी भ' गेल
कोनो चीजक कखन ऐ ठाम भेटल ग' दाम
अनढनकेँ सोझ लोकक हाथ कारी भ' गेल
अनढनकेँ सोझ लोकक हाथ कारी भ' गेल
ललसा छल संग भेटित चारि टा लोककेर
धरि सभ क्यौ पेट खातिर कामकाजी भ' गेल
धरि सभ क्यौ पेट खातिर कामकाजी भ' गेल
ककरा के हाथ जोड़त आ कि आशीष देत
रहि अपने शानमे सभ खानदानी भ' गेल
रहि अपने शानमे सभ खानदानी भ' गेल
अजगुत राजीव ऐ ठा रीत सभटा जगतकँ
बड़ बजने भोथ लोकक वाहवाही भ' गेल
बड़ बजने भोथ लोकक वाहवाही भ' गेल
२२२ २१२२ २१२२ १२१
@ राजीव रंजन मिश्र
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