गजल
काटि मनुख जिबिते छागरकेँ
स्नान करत गंगासागरकेँ
स्नान करत गंगासागरकेँ
दोष सदति ताकत गामक धरि
बानि अपन झरकल बागरकेँ
बानि अपन झरकल बागरकेँ
आब बहत के तीला चाउर
पेट खगल सभकेँ गागरकेँ
पेट खगल सभकेँ गागरकेँ
चान चकोरक जोड़ी लाजे
देखि रहल हिय सौदागरकेँ
देखि रहल हिय सौदागरकेँ
मोन अकछि खहड़ल राजीवक
एक भरोसा नटनागरकेँ
एक भरोसा नटनागरकेँ
2112 22 222
@ राजीव रंजन मिश्र
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