शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

गजल

गजल-1.77

हुनक आँखिक नोर हम देखने छी
भेल नै जे भोर हम देखने छी

साफ नभपर मेघ बनि बरसि गेलै
ठोप दू इन्होर हम देखने छी

प्रीत छै वा और किछु ओहि दिलमे
जहर पोरे-पोर हम देखने छी

आइ मुट्ठीमे बचल राख केवल
काल्हि छल अंगोर हम देखने छी

पत्र भेटल "अमित"केँ आइ धरि नै
पर मनक सब जोड़ हम देखने छी

2122-212-2122
*पर= परञ्च/मुदा, मिथिलाक विभिन्न क्षेत्रमे "पर"क उच्चारण "परञ्च"क बदले होइत अछि ।

अमित मिश्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों