गजल-1.80
मिझाएल आगिकेँ पजारि दियौ
कते जोश अछि चलू भियारि* दियौ
सुनू मरि रहल हियाक मारल सब
मुसकिया कऽ साँस धरि नमारि दियौ
मनुख छी तँ सगर नेह-फूल बनू
अपन मनक काँटकेँ बहारि दियौ
रहब कोन विधि अहाँ नरक जगमे
सही योजना चलू विचारि दियौ
सुनू हमर बाँहिमे बचल बल नै
"अमित" झँपल क्रांतिकेँ उघारि दियौ
1221-2121-2112
अमित मिश्र
मिझाएल आगिकेँ पजारि दियौ
कते जोश अछि चलू भियारि* दियौ
सुनू मरि रहल हियाक मारल सब
मुसकिया कऽ साँस धरि नमारि दियौ
मनुख छी तँ सगर नेह-फूल बनू
अपन मनक काँटकेँ बहारि दियौ
रहब कोन विधि अहाँ नरक जगमे
सही योजना चलू विचारि दियौ
सुनू हमर बाँहिमे बचल बल नै
"अमित" झँपल क्रांतिकेँ उघारि दियौ
1221-2121-2112
अमित मिश्र
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