खण्ड-11
आब कने ह्रस्व “उ” पर धेआन दी। मैथिलीमे जँ शब्दक अन्तमे “उ”
अबैत हो आ ठीक ओहिसँ पहिने अकारान्त वर्ण हो तखन “उ” केर उच्चारण प्रायः औ/अउ जकाँ
होइत अछि सङ्गे-सङ्ग संस्कृतक पण्डित सभ “मधु “केर मूल उच्चारण मने “मधु “सेहो करैत
छथि। उदाहरण लेल मधु शब्दक उच्चारण मौध/मअउध होइत अछि। “उ “के काफिया लेल “इ “जकाँ
नियम मानू जेना मधु लेल वधु काफिया तँ सही रहल मुदा महु नै। आ जँ “उ”सँ पहिने आकारान्त
वर्ण हो तखन “इ” ए जकाँ “उ” केर उच्चारण पहिने होइत अछि। उदाहरण लेल “साधु” केर उच्चारण
“साउध”, “बालु” केर उच्चारण “बाउल” इत्यादि। ओना उच्चारण लेल आनो शब्द लेल जा सकैए।
आब आबी ओहन शब्दपर जकर अंत “उ” होइक आ ठीक ओहिसँ पहिने आकारान्त वर्ण होइक (जेना की
उपरमे एकर उच्चारण पद्धित देखा देल गेल अछि, तँए सोझें काफिया पर चली)। ठीक ह्रस्व
“इ” जकाँ नियम छैक एकरो। मानि लिअ जँ अहाँ “बालु” शब्द लेलहुँ, तँ मोन राखू दोसर काफियाक
उच्चारण “आकारान्त कोनो वर्ण + उ + ल” होइक जेना की “भालु” इत्यादि। कुल मिला कए कहबाक
ई मतलब जे “उ “केर दुनू स्वरूपमे (अकारान्त आ आकारान्त)मे “इ “समान नियम लागू हएत।
मैथिलीमे बहुत काल “उ” आ चन्द्रबिंदु एकै संग अबैत अछि। जेना “कहलहुँ”,” सुनलहुँ”,
“रहलहुँ” आदि। मानि लिअ जँ ई शब्द सभ जँ काफियाक रूपमे आबि रहल अछि तँ एहन समयमे धेआन
राखू जे काफियामे ठीक वहए वर्ण “उ” आ चन्द्रबिंदुक संग आबए। से नहि भेला पर काफिया
गलत भए जाएत। उपरमे देल तीनू शब्दके देखू । तीनू शब्दक अन्त “ह”सँ अछि ओहो “उ” आ चन्द्रबिंदुक
संग। मने ई तीनू काफिया लेल उपयुक्त अछि।
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