गीतक आखर-आखर धारके मोन छैक
रीतक आखर-आखर धारके मोन छैक
लोक अपनेसँ विश्वासघात करैए मात्र
प्रीतक आखर-आखर धारके मोन छैक
हारि गेलासँ लाभे-लाभ हेबाक अवसर
जीतक आखर-आखर धारके मोन छैक
नहि देखबिऔक डर आगिक धाह केर
सीतक आखर-आखर धारके मोन छैक
कट्ठा-बिग्घाक उपजा लोक तँ नहि बूझत
बीतक आखर-आखर धारके मोन छैक
**** वर्ण---------16*******
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें