गुरुवार, 15 सितंबर 2011

गजल

निष्पलक हम जोही रहल छि अहिक' बाट प्रिये .
अबिक' हिय हल्लुक क'दिय फूल बनल काँट प्रिये .

कहने रही आहां प्रणयिनी आएब आई निजगुत्ते ,
सुधी मे अहीक' बताह भेल छि सत्य करू ने बात प्रिये .

गुज-गुज अन्हरिया हे प्राणप्रिये छारल छै मेघ करिया ,
निर्जन निशा मिलनक'उताहुल जान हमर अछी आट प्रिये.

कोन प्रारब्ध छल हमर जे संग अहाँक छुटि गेल ,
दुर्दिनक' फेर मे अपन फोरि रहल छि मात प्रिये .

इच्छा अछि अंतिम हमर वाहि पसारि क'औ प्रिये ,
"दीपक"सिनेह आतुर चित के करब नही उदास प्रिये.

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों