सोमवार, 5 सितंबर 2011

गजल

अपनेसँ आगि लगबैत छी मिझबैत छी

अपनेसँ पीबि खसैत छी आ सम्हरैत छी


आँखिमे भरल छै नोरक धन लकथक

अपनेसँ जमा करैत छी आ लुटबैत छी


शांत इजोरिआमे अशांत करेज हमर

अपनेसँ हकार दैत छी आ नोंत पुरैत छी


टूटल करेजके तँ आरो टुटबाक इच्छा

अपने करेज तोड़ैत छी आ कुहरैत छी


केबूझत हमर दुख आ दर्द एहिठाम

चिन्हार रहितहुँ अनचिन्हार रहैत छी



**** वर्ण---------16*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों