महामाला महाडाला करै स्वाहा लगैए ई
अकासी आस छै सोझाँ झझा देतै लगैए ई
कहैए ई मिलेबै आइ नोरोमे कने गोला
जँ भांगे पीबि एतै, भावना पीतै लगैए ई
जहाँ ताकी लगैए प्रेम बाझै छै सरैलामे
खने भोकारि पाड़ैए हँसै नै छै लगैए ई
टिपौड़ी छै बुझेबै बात की, धाही कनी देखू
कटैया पानि जेना ओ, नचै नै छै लगैए ई
गजेन्द्र पूब सुरुजक रहत देतै सूर्यकेँ झाँखी
चढ़त आकास देखै बानसब्बरै लगैए ई
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बुधवार, 28 सितंबर 2011
गजल (बहरे हजज)
खोजबीनक कूट-शब्द:
गजल,
गजेन्द्र ठाकुर,
बहरे हजज
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