कोसी मैया के कृपा अथाह भऽ गेलै,
खेत लागल पाँच बीघा तबाह भऽ गेलै।
सगरो खेत बनल छै बालू के भीत,
गामक बाट सेहो बलुआह भऽ गेलै।
डीलर कहैत छै कोनो खाद नहि आयल,
मुदा पेट हुनक बडका कडाह भऽ गेलै।
दुनू साँझक भात पर भेल अछि आफत,
घर मे सब कहैत अछि तमसाह भऽ गेलै।
यौ किसानक जिनगी अन्हारे मे कटतै,
"ऒम" किछु बाजत, कहबै बताह भऽ गेलै।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें