शनिवार, 3 सितंबर 2011

गजल

एक बेर फेर हँसिऔ कनेक

ओही नजरिसँ देखिऔ कनेक


बाजब प्रेम लेल जरुरी नहि

आँखि झुका चुप्प रहिऔ कनेक


हम आबि गेलहुँ अहींक लेल

हमरो लेल तँ चलिऔ कनेक


प्रेमक भाषा अहींके अछि पता

आब हमरो बुझबिऔ कनेक


नहि रहत केओ अनचिन्हार

हाथ बढ़ा कए देखिऔ कनेक



**** वर्ण---------12*******

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों