दाम एतय सभ चीजक देब पड़ै छै
अधिकारक लेल झगड़ा कर' पड़ै छै
गज भरि जमीन जौ कौरव नहि देब' चाहय
पांडव के फेर लोहा लेब' पड़ै छै
कर्बला केर खिस्सा त' दुनियाँ जानै छै
धर्मक खातिर शीश कटाब' पड़ै छै
झगड़ा झंझट मानलहुँ नीक नहि होइ छै मुदा
जीब' खातिर ईहो कर' पड़ै छै
"गौहर" साधु ब'न' चाहैत अछि मुदा
दुर्जन के जे पाठ पढ़ाब' पड़ै छै
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रविवार, 4 सितंबर 2011
गजल
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गजल,
SADRE ALAM GAUHER
सदरे आलम ’गौहर’सदरे आलम "गौहर"
व्याख्याता:-एस.एम.जे.कालेज खाजेडीह, ग्राम पो:- पुरसौलिया.मधुबनी
दाम एतय सभ चीजक देब' पड़ै छै।
अधिकारक लेल झग्गड़ क'र' पड़ै छै।
गज भरि जमीन जौँ कौरव नहि देब' चाहै।
पाँडव के फेर लोहा लेब' पड़ै छै।
कर्बला केर खिस्सा त' दुनिया जानै छै।
धर्मक खातिर शीश कटाब' पड़ै छै।
झग्गड़ झँझट मानलौँ नीक नहि होइ छै मुदा।
जीब' खातिर ईहो क'र' पड़ै छै।
"गौहर" साधु ब'न' लए चाहैत अछि मुदा।
दुर्जन केँ जे पाठ पढ़ाब' पड़ै छै।
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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों
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