मोन त कनैत अछि ठोढ पर मुस्कान कियक
बुझै छी यौवन ढलत लेकिन गुमान कियक
समय रहितो समय पर किछु नहि केलहु
जीवनक अंत आबि आब ई अरमान कियक
स्वच्छन्द उन्मुक्त जीवन बिताओल मनोनुकूल
मृत्यु शैय्या सजल, आब कर्मक प्रमाण कियक
जे समेटल ई समाज से नहि कयल वापस
बिना समाज मे दान के आब ई गोदान किएक
****वर्ण - १८ ****
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