बहुत दूर आबि गेलौ चलु घुरि चली
रस्ता आब भुतिया गेलौ चलु घुरि चली
दौडल देखि सोनाक चम्चमाएत गोला
फूटल गोला शून्य पेलौ, चलु घुरि चली
बंगला,गाड़ी राजशाही ने देलक चैन
मोने त कंगाल रहलौ चलु घुरि चली
लालच छै अंतहीन कते तक भागब
भागि भागि साँस फुलेलौ चलु घुरि चली
सगर दौडेलक चंदाक शीतक प्यास
मिहिरक तापे ज़रलौ चलु घुरि चली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें