मंगलवार, 20 सितंबर 2011

गजल


माटिक बासन मे भय गेल भूर, ओकरा फोडिये देनाई नीक।
जखन विश्वास भय गेल चूर, ओ रिश्ता के तोडिये देनाई नीक।

फरियाद सुनावैत पूरा जीवन ताकैत छी किया रखने आस,
कान मे ठूँसने रहैथ जे तुर, ओ हाकिम छोडिये देनाई नीक।

बिना मिलेने ताल-मात्रा कखनो सु-संगीत कहाँ अछि निकलल,
ककरो सँ मिलल नहि जे सुर, महफिल छोडिये देनाई नीक।

अपस्याँत भेल छी मरखाह बडद के खूँटा मे बान्हि राखय मे,
बेसी चलबय लागै जे खुर, ओ बडद के खोलिये देनाई नीक।

फाटल वस्त्र कहुना पैबंद लगा के पहरि सकैत अछि "ओम",
मुदा जाहि मे सगरो अछि भूर, ओ कपडा फेंकिये देनाई नीक।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों