कियो किछ नै सुनै छै अहाँ करै छी बवाल।
अहाँ नै बूझै छी बहिरा नाचै अपने ताल।
ककरा सँ माँगै छी अहाँ अपन जबाव यौ,
बाजत कोना एखन नै बूझलक सवाल।
हुनकर मुस्की के देखि अहाँ की बूझि गेलौं,
चवन्नियाँ मुस्की हुनकर अदा के कमाल।
नीतिशास्त्र के हुनका पाठ बुझौने हैत की,
ओ जेबी मे रखै छथि नीति बूझि के रूमाल।
देखैत अछि नौटंकी "ओम" हुनकर चुप्पे,
लागै हुनका जे हम छी तिरपित निहाल।
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