नींद हमारा कहियो अहां जे आनय ने देलहु
आन्खि मीरल कतबहु अहां कानय ने देलहु
हम ते केलहु प्रेम एकदिसाहे ओ बेहिसाब
अपन प्रीत के हमारा अहां जानय ने देलहु
संगक आस लगाय करैत छलहु इंतजार
परिणय पाश मे किन्तु अहां बान्हय ने देलहु
ई जातिभेद तोड्बाक साहस छल हमरा मे
लेकिन ओ ज़िद अहां हमारा ठानय ने देलहु
जिंदगी निरर्थक रहत अहां केर प्रेम बिना
बुझितो बात सबटा हमरा मानय ने देलहु
**वर्ण १८***
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