पिपरक पात जँका तँ डोलैत लोक
सिम्मरिक रुइ जँका तँ उड़ैत लोक
देखू सृष्टि तँ बनि गेल भुतहा गाछ
भोर-साँझ ओझाके सहैत लोक
नोर तँ मानल गेल गंगा-जल जँका
देखू नोरेसँ जिनगी धोबैत लोक
सीसा तँ मासे-मास टूटै लोहा बर्खमे
मुदा खने-खन भेटत टूटैत लोक
देव-दानवक डर तँ मानलो जाए
अपने डरें छुल-छुल मुतैत लोक
**** वर्ण---------14*******
सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशिक्षक दिवस की बधाई