रविवार, 4 सितंबर 2011

गजल

चलि गेली ओ आब सपना देखु
चित्र बनाउ कल्पना देखु

मुद्रा सँ तौलल जाए मनुक्ख आब
आई काल्हि के नपना देखु

भीतर कारी तेँ ने महकारी
उपर सँ ललका झपना देखु

जीति एलक्शन ठाठ करै ओ
जनता अपना अपना देखु

महंगाइ आकाश चढ़ल आब
सस्ता होयत इ सपना देखु

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों