समाज छै थाकल, बड्ड शांत लगैए इ।
विचार छै भूखल, बड्ड क्लांत लगैए इ।
द्रौपदीक भ' रहल चीरहरण देखू,
छै कौरवक बडका बैसार लगैए इ।
सीता कानथि अशोकक छाहरि मे किया,
छै रावणक अशोक वाटिका लगैए इ।
धेने रहू इजोरिया के नांगरि कहुना,
पसरल अन्हरिया केँ बाट लगैए इ।
बान्ह बनौने रूकत नै "ओम" सँ इ धार,
छै हहराइत राक्षसी धार लगैए इ।
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