शनिवार, 10 सितंबर 2011

गजलक संक्षिप्त परिचय भाग-16


खण्ड-16

आब हम ऐठाम अरबी बहर सभ उदाहरणक संग दऽ रहल छी। आशा अछि जे कोना बहरमे हेतै से आर फड़िच्छ हएत---
समान ध्वनि--एहि खण्डमे कुल सात गोट बहर राखल जाइत अछि। जकर विवरण एना अछि--

क) बहरे हजज --एकर मूल ध्वनि अछि “मफाईलुन” मतलब 1222 (1222) मने ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ। ई ध्वनि शाइर अपना सुविधानुसार प्रयोग कए सकैत छथि। (मुदा ई धेआन राखू जे गजल सङ्गीत सम्मत अधारपर छै तँइ गायन लेल एकटा पाँतिमे तीन टा रुक्न उत्तम, चारिटा रुक्न सर्वोत्तम आ पाँचम रुक्न उत्तम मानल जाइए। ओना दू रुक्न बला गजल सेहो पाठ्यरूपमे प्रचलित अछि। छह, सात आ बेसी बला रुक्न सेहो कम्मे सही मुदा प्रचलित अछि। आब ऐमे अहाँकेँ जे पसिन्न पड़ए से लए सकैत छी)। आ एहि खण्डक सभ बहर लेल एहने सन बूझू। मुदा मात्राक्रम नहि टुटबाक चाही। आ जँ एहि ध्वनि के शेर के रुप मे देबै तँ एना हेतैक---

1222
1222

1222 + 1222
1222 + 1222

1222 + 1222 + 1222
1222 + 1222 + 1222

1222 + 1222 + 1222 + 1222
1222 + 1222 + 1222 + 1222.......................................

तँ ई भेल बहरे हजज केर ढ़ाँचा। एहिठाम फेर एक बेर गौरसँ देखू। उपरका ढ़ाँचा सभमे दूनू पाँतिमे मात्रा क्रम एकै छैक। अर्थात ह्रस्व के निच्चा ह्रस्व आ दीर्घ। आ मोन राखू जँ अहाँ बहरे हजजमे गजल लीखि रहल छी तँ हरेक शेरक मात्रा क्रम इएह देबए पड़त। नहि तँ गजल बेबहर कहाओत।
अमित मिश्र द्वारा लिखल बहरे हजज केर उदाहरण देखू--

उड़ल सबटा चिड़ैयाँ गाछपर फुर्रसँ
जँ बैसल चारपर चारो खसल चुर्रसँ

हमर गाड़ी लतामक डाढ़ि आ सनठी
चलै छै तेज अपने मुँह करै हुर्रसँ

गिलासक दूध मिसियो नीक नै लागै
भरल तौला दही आँङुर लगा सुर्रसँ

अपन बाछी अपन गैया त ता थैया
अपन झबरा करै अपनपर नै गुर्रसँ

फटक्का फूटलै ब्राम ब्रम ब्रूमसँ
जड़ै छै छूरछूरी छूर्र छू छुर्रसँ

मफाईलुन
1222 तीन बेर
बहरे हजज

तँ देखू बहरे हजज केर दोसर उदाहरण जे की प्रदीप पुष्प जीक छनि--

पढल पंडित मुदा रोटीक मारल छी
बजै छी सत्य हम थोंथीक हारल छी

बुझू कोना सबसँ काते रहै छी हम
उचितवक्ता बनै छी तें त टारल छी

दियादेकें घरक घटना मुदा धनि सन
कटेबै केश कियै हम जँ बारल छी

मधुर बनबाक छल भेलौं जँ अधखिज्जू
सत्ते नोनगर लाड़ैनेंसँ लाड़ल छी

लगै छल नीक नाथूरामकेँ पोथी
मुदा गाँधीक साड़ा संग गाड़ल छी

किओ ने पूजि रहलै कोन गलती यौ
बिना सेनूर अरिपन पुष्प पाड़ल छी

1222 1222 1222 सब पाँतिमे (बहरे हजज)
ख) बहरे रमल एकर मूल ध्वनि एना अछि फाइलातुन मने 2122, अर्थात दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ। आब जँ एहि ध्वनि के शेर मे प्रयोग करबै तँ एना हेतैक--

2122 + 2122 + 2122 + 2122
2122 + 2122 + 2122 + 2122

(एहिठाम हम खाली चारि-चारि ध्वनिके उदाहरण देलहुँ अछि, मुदा शाइर एकसँ लए कए कतेको बेर ध्वनिके प्रयोग कए सकैत छथि।) ई भेल बहरे रमल। जगदानंद झा मनु द्वारा लिखल बहरे रमल केर उदाहरण देखू--

धाख सभटा बिसरि गेलै
घोघ हुनकर उतरि गेलै

झूठ कोनाकेँ नुकायत
जखन सोंझा बजरि गेलै

सय बचायब बचत कोना
लाज सभटा ससरि गेलै

ओ छलै फेसनसँ डूबल
काज सयटा पसरि गेलै

भेल नेता नीनमे सभ
देश सगरो रगरि गेलै
(बहरे रमल, मात्रा क्रम 2122+2122)
फाइलातुन (2122)

ग) बहरे कामिल एकर मूल ध्वनि अछि “मुतफाइलुन” मने 11212 मने ह्रस्वह्रस्व-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ। शेरमे एकर ढ़ाँचा एना छैक--

11212 + 11212 + 11212 + 11212 + 11212
11212 + 11212 + 11212 + 11212 + 11212

(एहिठाम हम खाली चारि-चारि ध्वनिके उदाहरण देलहुँ अछि, मुदा शाइर एकसँ लए कए कतेको बेर ध्वनिके प्रयोग कए सकैत छथि।) ई भेल बहरे कामिल। अमित मिश्र द्वारा लिखल बहरे कामिल केर उदाहरण देखू--


किछु बात एहन भेल छै
घर घर तऽ रावण भेल छै

बम फोड़ि छाउर देश छै
जड़ि देह जाड़न भेल छै

प्रिय नै विरह जनमै बहुत
सजि दर्द गायन भेल छै

जिनगी भऽ गेल महग कते
झड़कैत सावन भेल छै

दस बात सूनब की “अमित”
सब ठाम गंजन भेल छै

मुतफाइलुन
11212 दू बेर
बहरे कामिल

घ) बहरे-मुतकारिब एकर मूल ध्वनि फऊलुन अछि मने 122 मने ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ। एकर ढ़ाँचा देखू--

122 + 122 + 122 + 122 + 122
122 + 122 + 122 + 122 + 122

(एहिठाम हम खाली चारि-चारि ध्वनिके उदाहरण देलहुँ अछि, मुदा शाइर एकसँ लए कए कतेको बेर ध्वनिके प्रयोग कए सकैत छथि।)
ई भेल बहरे-मुतकारिब। अमित मिश्र द्वारा लिखल बहरे मुतकारिब केर उदाहरण देखू--


जखन राति आएल कारी पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ
जखन होइ घर मोर खाली पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ

अहाँ दूर बैसल सताबैत छी साँझभोरे सदिखने
सनेसोँ जँ आएल देरी पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ

बरसलै प्रथम बूँद वर्षा मिलन यादि आबै तखन यौ
विरह केर तानल दुनाली पिया यौ अहाँ मोन पड़लौँ

पिया जी जखन बहल पवना मधुर गीत गाबैत कोयल
जखन काँट मे फसल साड़ी पिया यौ अहाँ मोन पड़लौँ

जँ देखब कतौ छिपकली डरसँ बोली फुटै नै हमर यौ
जँ धड़कै हमर सून छाती पिया यौ अहाँ मोन पड़लौँ

कने आबि नेहक जड़ल भाग फेरोसँ चमका दिऔ यौ
अमित आश देखैत रानी पिया यौ अहाँ मोन पड़लौ

बहरे मुतकारिब
{ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ 6 बेर सब पाँतिमे}
बहरे मुतकारिब बहुत लोकप्रिय आ संगीतमय बहर छै। आदि शंकराचार्य आ गोस्वामी तुलसी दास सेहो ऐ बहरक प्रयोग केने छथि। पहिने आदि शंकराचार्यक ई निर्वाण षट्कम देखू--

मनो बुद्ध्यहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे
न च व्योम भूमिर् न तेजॊ न वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्

न च प्राण संज्ञो न वै पञ्चवायु: न वा सप्तधातुर् न वा पञ्चकोश:
न वाक्पाणिपादौ न चोपस्थपायू चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवॊऽहम्

आब देखू तुलसी दास जी द्वारा लिखल ई स्त्रोत--

नमामी शमीशान निर्वाण रूपं
विभू व्यापकम् ब्रम्ह वेदः स्वरूपं

पहिल पाँतिकेँ मात्रा क्रम अछि- ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ
दोसरो पाँतिकेँ मात्रा क्रम अछि- ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ
तिेनाहिते शिवाष्टकम् सेहो एही बहरमे छै--
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे ॥
दूनू पाँतिमे 122-122-122-122-122-122-122-122 केर मात्राक्रम अछि।

फेर जगदानंद झा मनु जी द्वारा बहरे मुतकारिबक मजा लिअ--

हकन नोर माए कनै छै
तकर पुत्र मुखिया बनै छै

कते आब बैमान बढ़लै
गरीबक टकाकेँ गनै छै

पतित बनल नेता तँ देशक
दुनू हाथ ओ मल सनै छै

पएलक कियो जतय मौका
अपन बनि कऽ ओहे टनै छै

बनल भोकना जेठरैअति
मुदा मनु तँ सभटा जनै छै
(बहरे मुतकारिब,  मात्रा क्रम122+122+122)

ङ) बहरे मुतदारिक---एकर मूल ध्वनि अछि “फाइलुन” मने 212 मने दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ अछि। एकर ढ़ाँचा एना अछि-

212 + 212 + 212 + 212
212 + 212 + 212 + 212
(एहिठाम हम खाली चारि-चारि ध्वनिके उदाहरण देलहुँ अछि, मुदा शाइर एकसँ लए कए कतेको बेर ध्वनिके प्रयोग कए सकैत छथि)। ई भेल बहरे मुतदारिक। अमित मिश्र द्वारा लिखल बहरे मुतदारिक केर उदाहरण देखू-

कुकुर उनटल पड़ल लार पर
बंदरो बैसलै चार पर

मूस दौगै गहुँम भरल घर
कोइली तन दै तार पर


नादि पर गाय दै दूध छै
नजर देने श्रवन ढार पर

स्वागत लेल बौआ कए
फूल मुस्कै गुथल हार पर

भोर भेलै उठल राजा यौ
अमित बौआ चढ़ल कार पर
दीर्घ हर्स्व दीर्घ 3 बेर
च) बहरे रजज एकर मूल ध्वनि “मुस्तफइलुन” छैक। मने 2212 मने दीर्घ-दीर्घ-ह्रस्व-दीर्घ। एकर ढ़ाँचा एना हेतैक--

2212 + 2212 + 2212 + 2212
2212 + 2212 + 2212 + 2212

(एहिठाम हम खाली चारि-चारि ध्वनिके उदाहरण देलहुँ अछि, मुदा शाइर एकसँ लए कए कतेको बेर  ध्वनिके प्रयोग कए सकैत छथि।)
ई भेल बहरे रजज ।अमित मिश्र द्वारा लिखल बहरे रजज केर उदाहरण देखू--



बाल गजल

कारी महिस के दूध उज्जर छै कते
भरि मोन पारी पीबि दुब्बर छै कते

रसगर जिलेबी गरम नरमे नरम छै
लड्डू बनल बेसनक बज्जर छै कते

छै पात हरियर फूल शोभित गाछ छै
जामुन लिची आमक इ मज्जर छै कते

दू एक दू आ चारि दूनी आठ छै
अस्सी कते नै जानि सत्तर छै कते

भालू बला देखाबऽ सबके नाँच हौ
झट आगि छड़पै दौड़ चक्कर छै कते
मुस्तफइलुन
2212 तीन बेर
बहरे रजज
छ) बहरे वाफिर एकर मूल ध्वनि “मुफाइलतुन” छैक मने 12112 मने ह्रस्व-दीर्घ-ह्रस्व-ह्रस्व-दीर्घ। एकर ढ़ाँचा देखू—

12112 + 12112 + 12112 + 12112
12112 + 12112 + 12112 + 12112

(एहिठाम हम खाली चारि-चारि ध्वनिके उदाहरण देलहुँ अछि, मुदा शाइर एकसँ लए कए कतेको बेर ध्वनिके प्रयोग कए सकैत छथि। ई भेल बहरे वाफिर । अमित मिश्र द्वारा लिखल बहरे वाफिर केर उदाहरण देखू--

खतम सब काज भेल हमर
स्वतंत्र मिजाज भेल हमर

कतौ जिनगी छलै धधकै
खुशी पर राज भेल हमर

पुरान जँ गाछ, मज्जर नव
अपन तऽ अवाज भेल हमर

सरस पल भेल बड दिनपर
सदेह इलाज भेल हमर

सदिखन गजल लिखैत रहब
अमित नव साज भेल हमर

बहरे वाफिर
12112 मुफाइलतुन 2 बेर सब पाँतिमे

आब अहाँ सभ पूछि सकै छी जे जँ मूल रुक्न आठ (8) टा छै तँ फेर मूल बहर साते (7) टा किएक छै? जँ गौरसँ देखबै तँ पता लागत जे अन्तिम रुक्न मने “मफऊलातु “लेल कोनो मूल बहर नै छै आ एकर कारण सङ्गीत छै। अहाँ अपने देखिऔ गाबि कए 2221+2221+2221 मने तीन टा दीर्घक बाद एकटा लघु फेर तीन टा दीर्घक बाद एकटा लघु .......... श्वास मोसकिलसँ ठहरै छै। तँए “मफऊलातु “ खाली अर्धसमान, असमान मुजाइफ बहरमे प्रयुक्त होइत छै मूल बहरमे नै। आब जँ अहाँ विशेष रुचि लै छी तँ ईहो पूछि सकै छी जे “मुतफाइलुन “मने 11212 आ “मुस्तफइलुन “मने 2212 मे की अन्तर छै? कने धेआनसँ देखबै तँ पता लागत जे “मुतफाइलुन “केर शुरुआतमे दू  (2) टा लघु छै आ “मुस्तफइलुन “केर शुरुआतमे एकटा (1) दीर्घ। अरूजी सभहँक मोताबिक जँ कोनो पाँतिक शुरुआत दू टा स्वतंत्र लघुसँ होइत हो तखने ओकरा “मुतफाइलुन “ मानल जा सकैए जेना--
“तँ चलै चलू “(11212)
ऐ पाँतिमे शुरुआत दू टा स्वतंत्र लघुसँ भेल अछि तँए ई “मुतफाइलुन “ भेल। मुदा

“घर छै हमर “(2212)
ऐ पाँतिमे दू टा स्वतंत्र लघु नै अछि तँए ई “मुतफाइलुन “ नै भेल।

उपरमे जे “मुतफाइलुन “बला बहरक उदाहरण देल गेल अछि जे “मुतफाइलुन “ नै अछि। ई गजल प्रारंभिक चरणमे लिखल गेल छलै गजलकार द्वारा। वस्तुतः ओहि समयमे हमरो ई भेद नै पता छल। तँए ई शाइरक नै हमर गलती बूझल जाए। संस्कृत परम्परामे घर शब्दकेँ दू टा लघु मानल जाइत छै। मुदा संस्कृत परंपरा लेलासँ मैथिलीमे मुतफाइलुन आ मुस्तफाइलुन केर भेद खत्म भए जाएत। फऊलुन आ मुफाइलतुन केर भेद आब सेहो अहाँ सभ बुझि गेल हेबै।

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