शनिवार, 10 सितंबर 2011

गजलक संक्षिप्त परिचय भाग-17

खण्ड-17
अर्धसमान बहर ---एहि खण्डमे कुल 56 बहर अछि मुदा मात्र 7 टा प्रचलित अछि। एकरा हम अर्धसमान बहर एहि द्वारे कहैत छिऐक जे एहिमे हरेक पाँतिमे कमसँकम अनिवार्य रुपसँ दूटा ध्वनिके समान रुपमे प्रयोग करए पड़ैत छैक। ई ध्वनि शाइर अपना सुविधानुसार प्रयोग कए सकैत छथि।  (मुदा ऐ वर्गक बहर लेल धेआन राखू जे जँ एकटा पाँतिमे अनिवार्य रूपसँ आबए बला दूटा रुक्नकेँ लेबै तँ गायनक हिसाबसँ नीक नै हएत। मुदा जँ एकटा पाँतिमे अनिवार्य रूपसँ आबए बला दूटा रुक्न दू बेर देबै मने एकटा पाँतिमे चारिटा रुक्न देबै तँ सर्वोत्तम हएत। मुदा जँ तिगुन्ना करबै तँ एक पाँतिमे छह टा रुक्न हएत, चौगुन्ना करबै तँ आठटा रुक्न हएत आ ई बेसी रुक्न सभ गायन लेल नीक नै)। आ एहि खण्डक सभ बहर लेल एहने सन बूझू। एकर विवरण निच्चा देल जा रहल अछि--

1) फऊलुन + फाइलुन (एकर उल्टा रूप सेहो छै.....)
फाइलुन + फऊलुन
2) फऊलुन + फाइलातुन (एकर उल्टा रूप सेहो छै.....)
फाइलातुन + फऊलुन
आ निच्चाक सभ बाँचल 26 टा बहरक लेल एनाहिते नियम छै। आ ऐ तरहें ऐ खण्डमे कुल 56 टा बहर भेल।
3) फऊलुन + मफाईलुन
4) फऊलुन + मुस्तफइलुन
5) फऊलुन + मुफाइलतुन
6) फऊलुन + मुतफाइलुन
7) फऊलुन + मफऊलातु
8) फाइलुन + फाइलातुन
9) फाइलुन + मफाईलुन
10) फाइलुन+ मुस्तफइलुन
11) फाइलुन + मुफाइलतुन
12) फाइलुन + मुतफाइलुन
13) फाइलुन + मफऊलातु
14)फाइलातुन + मफाईलुन
15) फाइलातुन + मुस्तफइलुन
16) फाइलातुन + मुफाइलतुन
17) फाइलातुन + मुतफाइलुन
18) फाइलातुन + मफऊलातु
19) मफाईलुन + मुस्तफइलुन
20) मफाईलुन + मुफाइलतुन
21) मफाईलुन + मुतफाइलुन
22) मफाईलुन + मफऊलातु
23) मुस्तफइलुन + मुफाइलुन
24) मुस्तफइलुन + मुतफाइलुन
25) मुस्तफइलुन + मफऊलातु
26) मुफाइलतुन + मुतफाइलुन
27) मुफाइलतुन + मफऊलातु
28)  मुतफाइलुन + मफऊलातु

आब अहाँ सभ जरूर कहब जे जखन मात्र साते टा बहर प्रचलित छै तखन एतेक देबाक कोन काज। मुदा बेसी प्रचलित नै हेबाक मतलब ई नै छै जे ई गलत छै। वस्तुतः बहरक प्रयोग अभ्यास पर निर्भर छै आ हरेक शाइर अपना हिसाबसँ बहरक चुनाब करैत छथि। भए सकैए जे जाहि बहरकेँ अरबी जीह पर कठिनाह लागल हो से मैथिलीमे सहज लागए तँए ई सभ देल गेल अछि। तँ देखी ई सात टा बहुप्रचलित बहर आ ओकर नामकेँ। ओना ऐठाँ हम ई कहब जे किछु बहर जेना बहरे वाफिर अरबीमे प्रचलित तँ छै मुदा फारसीमे नै । तेनाहिते किछु बहर फारसीमे प्रचलित छै मुदा उर्दूमे नै तँइ ई पूरा सूची हम प्रस्तुत केलहुँ।

क) बहरे तवील एकर मूल ध्वनि छैक “फऊलुन+मफाईलुन” । एकर ढ़ाँचा देखू--

122 + 1222
122 + 1222

122 + 1222 + 122 + 1222
122 + 1222 + 122 + 1222

122 + 1222 + 122 + 1222 + 122 + 1222
122 + 1222 + 122 + 1222 + 122 + 1222...........................

एहि बहर आ एहि खण्डक बाँकी अन्य छहो बहरक लेल एकटा आर बात मोन राखू जे ध्वनि जाहि क्रममे देल गेल अछि ताही क्रममे रहबाक चाही। जेना की बहरे तवीलमे अहाँ देखलहुँ जे एकर ध्वनि एना छैक “फऊलुन+मफाईलुन” मुदा जँ अहाँ एकरा “मफाईलुन+ फऊलुन” बला क्रममे रखबै तँ ई बहरे तवील नहि हएत। अमित मिश्र जीक लिखल बहरे तवील देखल जाए—

पुन: जोडि लेबै नेहकेँ डोर राजा जी
कनेको बहै नै जानकेँ नोर राजा जी

कने आउ राजा जानि नै की भऽ जेतै यौ
कनेको नचाबू प्रेमकेँ मोर राजा जी

किए सुन्न भेलौं आइ बेमौत मारै छी
कने आइ मस्तीमे करू शोर राजा जी

जमाना मिलेतै नै सुनू बैलगा देतै
अनाड़ी बुझै छै प्रेम छै चोर राजा जी

चटा देब संगे प्यार के चाशनी हमरा
अमीतो बुझू भेलै सराबोर राजा जी

हरेक पाँतिमे “फऊलुन+मफाईलुन” अर्थात (ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ + ह्रस्व-दीर्घ-दीर्घ-दीर्घसँ बनल बहरे तवील)

ख) बहरे मदीद---एकर मूल ध्वनि अछि “फाइलातुन+फाइलुन” । एकर ढ़ाँचा एना छैक--

2122 + 212

अमित मिश्र जीक लिखल बहरे मदीद देखल जाए--

कोन टोना केलकै जोगिया सदिखन करेजा हमर जरिते रहल
चोरि केने चैन होशो हमर सदिखन अनेरे उड़िते रहल

नै छलै डर एतऽ मरबाक आ नै मोन मे दर्द अंदेशा छलै
देख नवका एतऽ बहिते हवा से आब नेहक गजल मरिते रहल

भागि गेलै कोन नगरक गली मे आइ देखा कऽ सतरंगी सपन
बाट जोहैते भऽ जेतै कखन की आँखिमे नोर बड भरिते रहल

उजरि गेलै जखन कोनो उपवनक कोनटा परक गाछक फूल यौ
तखन सबटा कोयलक मधुर बोली संग दर्दक हवा उड़िते रहल

आइ खोजै छी अपन ओहि जादूगर कए फेर खेला खेलबै
अमित केने आश नेहक सदिखने भीतरेभीतर जरिते रहल

बहरे मदीद
फाइलातुन+फाइलुन (2122 + 212) 3 बेर

ग) बहरे बसीत एकर मूल ध्वनि “मुस्तफइलुन+फाइलुन” छैक। एकर ढ़ाँचा एना हएत--
2212 + 212
देखू अमित मिश्र द्वारा लिखल ई गजल जे की बहरे बसीतमे अछि--


बेटा अपन मुर्खके सोटासँ हम अकछ छी
बाबाक फूटलहबा लोटासँ हम अकछ छी

पेट्रोल कखनो तऽ कखनो गैस सब्जी महग
काला बजारी करै कोटासँ हम अकछ छी


बेटी कपारपर छै चिन्ता इ सदिखन बनल
कनियाक नेहक भरल मोटासँ हम अकछ छी

छै आगि धरती बनल नै पानि आकाश मे
पीबैत कारी धुआँ मोटासँ हम अकछ छी

दै यै भगा काज छोड़ा जीब कोना बचब
छै खसल टाकाक लंगोटासँ हम अकछ छी

रचना करै छी तऽ खर्चा होइ यै नै मुदा
अतिथी अमित एतऽ दस गोटासँ हम अकछ छी

मुस्तफइलुन+फाइलुन दू बेर (बहरे बसीत)

घ) बहरे मुजस्सम वा मुजास---एकर मूल ध्वनि “मुस्तफइलुन+फाइलातुन” छैक। एकर ढ़ाँचा एहन छैक-

2212 + 2122
अमित मिश्र जीक लिखल बहरे मुजास देखल जाए--

बसलौँ अहाँ जखन मनमे हमरा चमकि गेल जिनगी
अनमोल नेहक उड़ल खुशबूमे गमकि गेल जिनगी

माधुर्य माँखैत खुजलै जखने कमल ठोर रानी
लवणीसँ छलकैत ताड़ी बूझू छलकि गेल जिनगी

गाबी अहाँ गीत मोने मोने जँ तैयौ गजब धुन
मुस्की दऽ देलौँ चहटगर अमृत झमकि गेल जिनगी

नीरीह जानबर बनि नैनक मारि खेलौँ सदिखने
फूले छलै बाण नैनक तेँए धड़कि गेल जिनगी

सगरो अहाँ के लिखल छवि डूबल कलम नेहमे यै
गाबै अमित गजल लिखलक देखू दमकि गेल जिनगी
बहरे मुजास

ङ) बहरे मुन्सरह एकर मूल ध्वनि “मुस्तफइलुन+मफऊलात” । एकर ढ़ाँचा छैक--
2212 + 2221
अमित मिश्र जीक लिखल बहरे मुन्सरह देखल जाए--

आखर जखन रूपक लिखल
उपमा सजल फूलक लिखल

आदर्श छी रूपक बनल
काजर नयन कातक लिखल

सरगम अहाँक स्वर सजल
मुस्की नगर तानक लिखल

कहलौँ करेजक सब कहल
किछु बात हम राजक लिखल

चमकैत नभ मे छी चान
तारा गजल हाटक लिखल

मुस्तफइलुन+मफऊलातु

च) बहरे मजरिअ एकर मूल ध्वनि छैक “मफाईलुन+फाइलातुन” एकर ढ़ाँचा एना छैक--
1222+2122
छ) बहरे मुक्तजिब एकर मूल ध्वनि छैक “मफऊलात+मुस्तफइलुन” । एकर ढ़ाँचा छैक--

2221 +2212
ओम प्रकाश जीक लिखल बहरे मुक्तजिबमे लिखल ई गजल देखल जाए--

धारक कात रहितो पियासल रहि गेल जिनगी हमर
मोनक बात मोनहि रहल, दुख सहि गेल जिनगी हमर

मुस्की हमर घर आस लेने आओत नै आब यौ
पूरै छै कहाँ आस सबहक, कहि गेल जिनगी हमर

सीखेलक इ दुनिया किला बचबै केर ढंगो मुदा
बचबै मे किला अनकरे टा ढहि गेल जिनगी हमर

पाथर बाट पर छी पडल, हमरा पूछलक नै कियो
कोनो बन्न नाला जकाँ चुप बहि गेल जिनगी हमर

जिनगी “ओम” बीतेलकै बीचहि धार औनाइते
भेंटल नै कछेरो कतौ, बस दहि गेल जिनगी हमर

(बहरे मुक्तजिब)

फेर पंकज चौधरी नवलश्री जीक ई गजल देखू-


अनकर कहल मानब कते
खाखा ठेस कानब कते

बस किछु दिनक जिनगी तऽ नै
दिन जिनगीक गानब कते

छोडू पुरनका राग सभ
ऐ सिट्ठीसँ रऽस छानब कते

बिनु साधनक की साधना
थूकसँ सातु सानब कते

चाही अपन अधिकार जे
माँगू “नवलऽ ठानब कते

बहरे मुक्तबिज/मात्रा क्रम : 2221+2212

मुस्तफइलुन+ फऊलुन केर उदाहरण लेल राजीव रंजन मिश्रजीक ई गजल देखू--

फूलक गमक भरल हो
जीवन सजल धजल हो

चमकी अहाँ नखत सन
गति मति सहज सरल हो

अगहनकँ मासमे जनि
पुरबा सरस बहल हो

बोली अहाँक मिठगर
आ बानगी चढल हो

गुन रूप शील संगे
गदगद हिया सबल हो

राजीव कामना जे
ऊँचाइ नित नवल हो

2212 + 122


49 टा बाँचल बहरक नाम हमरो एखन धरि नै पता लागल अछि। पता लगिते जरूर कहब।

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