गुरुवार, 1 सितंबर 2011

गजलक संक्षिप्त परिचय भाग-9

खण्ड-9

आब चली “इ”, “उ” आ रेफ पर। जेना की पहिने लीखि चुकल छी जे मैथिलीमे “इ “केर उच्चारण दू तरहें होइत अछि तथापि एकरा एक बेर आर देखू” एकटा आर गप्प मैथिलीमे एहन शब्द जे “इकारान्त” अछि ओकर उच्चारण दू तरहें होइत अछि मने पहिल भेल जे लिखलो पहिने जाइए आ बाजलो पहिने जाइए जेना की लिखै तँ छी “माटि” मुदा बाजै छी “माइट”, लिखै छी “देखि” मुदा बाजै छी “देइख” एकर आन-आन सभ उदाहरण सभ सेहो अछि। तेनाहिते दोसर भेल लिखै छी पहिने आ बाजै छी बादमे जेना “माटि “, “देखि “इत्यादि । ऐ दूनू तरहँक उच्चारण केर विस्तृत विवेचन पं.गोविन्द झा अपन पोथी सभमे नीक जकाँ केने छथि (देखू उच्चतर मैथिली व्याकरणक पृष्ठ 16-17, प्रकाशक मैथिली अकादेमी पटना, द्वितीय संस्करण, तेनाहिते हुनके द्वारा लिखित मैथिली परिचायिकाक पृष्ठ -21 प्रकाशक शेखर प्रकाशन 2006, तेनाहिते फेर हुनके द्वारा लिखित मैथिली परिशीलनक पृष्ठ- 37 प्रकाशक मैथिली अकादेमी 2007)। ऐठाम ईहो कहब बेजाए नै जे पं.गोविन्द झा जी अपन तीनू पोथीमे तीन नामसँ एकर व्याख्या केने छथि। उच्चतर व्याकरणमे एकरा मध्य उपनिहित कहै छथि तँ परिचायिकामे अपसृति तँ परिशीलनमे मध्यनिहित । एकटा बात आर पं. जीक ओहि गप्पसँ हम पूर्णतः सहमत छी जाहिमे ओ कहने छथि जे लोक भले ही दू टामेसँ कोनो तरहें उच्चारण करथि मुदा लिखबा कालमे वर्तनी एक समान राखथि। सङ्गे-सङ्ग ईहो लिखब बेजाए नै जे पं.गोविन्द झा जी ईहो मानने छथि जे पहिल तरहँक उच्चारण शैली मने जाहिमे लिखलो जाइए पहिने आ बाजलो जाइए पहिने (जेना माटि लेल माइट इत्यादि) आब मैथिलीमे बेसी प्रचलित भेल जा रहल अछि।”
तँ आब आउ “इ“ केर मात्रा युक्त काफियापर। आब ऐठाँ अहाँ सभ ई प्रश्न करब जे जँ उच्चारण शैली दू तरहें छै तँ की नियम सेहो दूटा रहतै? मुदा हमर उत्तर हएत जे नै नियम एकैटा रहतै। तँ देखू जे “इ “केर काफिया केना हएत--
जँ अहाँ कोनो एहन शब्दक काफिया बना रहल छी। जकर अन्तिम वर्ण “इ” कार युक्त अछि तँ अहाँकेँ आन-आन काफिया लेल “इ” कार युक्त वएह वर्ण लेबए पड़त जे पहिल काफियामे अछि। उदाहरण लेल जँ अहाँ पहिल पाँतिमे “राति” शब्द काफिया लेल लेलहुँ तँ आब अहाँकेँ दोसर पाँति आ आन-आन शेरक काफिया लेल “त” वर्ण “इ” कार युक्त हेबाक चाही। जेना की “नाति”, “जाति”, आदि। आ हमरा जनैत एहीठाम मैथिली गजल उर्दू गजलसँ पूर्णतः अलग भए जाइत अछि। आ संगहि-संग इ विशेषता मैथिली गजलके एकटा अपन अलग छवि बनबैत अछि। आ ई विशेषता ह्रस्व “उ”  बलामे सेहो अबैत अछि। ई नियम “इ “केर दोसरो उच्चारण शैली लेल उपयुक्त अछि। जेना की  खास कए तत्सम शब्दमे इकार बादमे उच्चारणक कएल जाइत अछि जेना “मति “, “गति “इत्यादि आब जँ अहाँ “गति “केर काफिया “हथि “बनेबै तँ केहन प्रभाव हेतै से अहाँ अपने बुझि सकै छिऐ।

ओना स्वच्छन्दतावादी सभ कहता जे “गति “केर काफिया “हथि “बनि सकैए। मुदा ऐठाम ई मोन राखू जे गजल सदिखन उच्चारणपर निर्भर छै आ जखन हमहूँ अहाँ सभ दैनिक व्यवहारमे सूनि रहल छिऐ जे “इ “केर पहिले उच्चारण शैली बहु प्रयोगी अछि तखन स्वच्छन्दतावादी सभहँक कुतर्क अपने आप ध्वस्त भए जाइए । जहिया फेर पुनः दोसर तरहँक उच्चारण शैली एतै काफियाक नियमने बदलाव आनल जा सकैए। ओना जँ तत्वतः देखी तँ “इ “केर दूनू उच्चारण शैली लेल उपरका नियम बेसी नीक रहत। ऐठाम ई स्पष्ट करब बेसी जरूरी जे “इ” आ “उ” बला लेल मात्रा निर्धारण लिखित रूपमे करू। जेना “माटि” एकर मात्राक्रम 21 छै। एकर मात्राक्रम 22 मने “माइट” मात्र परिस्थितिवश छूट लेल हएत जकर विवरण आगू चलि कऽ भेटत।

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