खण्ड-25
मैथिली गजलक परंपरा ओ इतिहास
ऐ विषय लेल संक्षिप्त रूपसँ हम अपनाकेँ तैयार
केने छी कारण कोनो वस्तु टू-द-प्वाइंट रहलासँ नीक। ऐ विषयपर कमसँ कम 1000 पन्नाक शोध
तैयार भऽ सकैए मुदा ऐठाम हमर से उद्येश्य नै अछि। तँए हम संक्षिप्त रूपमे ई विषय राखब।
ऐठाँ ई स्पष्ट करब बेसी जरूरी जे गजल अरबी शब्द अछि आ मध्यकालसँ प्रचलित अछि मैथिलीमे।
मुदा लौकिक संस्कृतक वर्णवृत गजलक समानांतर अछि आ मैथिली गजलक परम्परा ओही ठामसँ बनल।
लौकिक संस्कृतक परंपरा वैदिक संस्कृतसँ अछि आ वैदिक संस्कृत अपन परंपरा लोक प्रचलित
गाथा सभ जोड़ने अछि। तँए मैथिली गजलक मूल ओ एखनुक समयमे अज्ञात भाषा अछि जे की वैदिक
समयमे लोक प्रचलित रहल हएत आ हमरा लोकनि ओतहिसँ जतरा शुरू करब (ऐठाम ईहो स्पष्ट करब
जरूरी जे हमरा लग वैदिक कालीन लोकप्रचलित भाषाक कोनो उदहारण नै अछि तँए हम एतऽ ओकरा
प्रस्तुत नै सकलहुँ अछि। ओना वैदिक संस्कृतसँ आधुनिक मैथिलीक किछु उदहारण काफिया बला
खण्ड 15मे देल गेल अछि)।
चूँकि वैदिक संस्कृतसँ पहिनेहों अनेक लिखित भाषा
छलै जे समय पुरलापर तिरोहित होइत गेल। मैथिली गजलक परंपराकेँ हम ओइ तिरोहित भेल भाषा
सभसँ देखै छी जकरा स्थानपर वैदिक संस्कृत पसरल। हम वेदक संगे-संग वेदमे वर्णित” गाथा”
नामक लोक परंपराकेँ मैथिली गजलक मूल मानै छी। हमर स्पष्ट मानब अछि जे मैथिली गजल “लोक”सँ
भाव ओ तेवर लेलक आ वेदसँ व्याकरण। मैथिली गजल अपन उत्कर्षमे तखन अबैए जखन लोककंठ बाजि
उठैए---
“कोने बन बोलै मइया हरियर सुगबा हे,
मइया कोने बन बोललइ मजूर,
जगदम्बा मइयाकेँ आसन डोललइ हे,
भैरब बन बोलै मइया हरियर सुगबा हे,
मइया विषहरि बन बोललइ मजूर,
कि जगदम्बा मइयाकेँ आसन डोललइ हे..”
आ तखने एकर संगे-संग शंकर मिश्र बचपनेमे ताल ठोकि
कहै छथि--
“बालोऽहं जगदानन्द न मे बाला सरस्वती।
अपूर्णे पंचमे वर्षे वर्णयामि जगत्त्रयम् ॥”
(अनुष्टुप छन्द)
मैथिली गजल अपन मारक क्षमता कहबी ओ फकड़ासँ लेलक।
देखू किछु एहन कहबी जैमे वर्णवृत वा अरबी बहर छै--
जते के बौआ नै
तते के झुनझुन्ना
(122+222)
एकरे दोसर रूप छै—
जते के बहु नै
तते के लहठी
(122+22)
सुगरक गबाही हिरन देल
दूनू पड़ा कऽ जंगल गेल
(221+222+221) कऽ केर उच्चारण दीर्घ अछि।
बाबाजीकेँ बेल
हाथे हाथे गेल
बहर अछि 222221
अही बहरपर (222221) ईहो कहबी सेहो अछि। देखू....
प्रेतक भोजन तीन
केरा कबकब मीन
बिन बापक बच्चा सुग्गर
बिन मायक बच्चा टुग्गर
222 222 2 ई एकर बहर छै
ई कहबी सभ अज्ञात रचनाकार अछि आ अपन प्राचीने
रूपमे एखनो अछि। एहन-एहन आर बहुत रास कहबी अछि मुदा से देब हमर अभीष्ट नै। कारण हमर
ई इच्छा अछि जे मैथिली गजलक परम्पराकेँ भविष्यमे आर फड़िच्छा कऽ हमर आबए बला पीढ़ी
सभ लीखथि,तखने ई सुचिंतित हएत। ओना हम निश्चित रूपें कहब जे लोक तत्व आ संस्कृत तत्व
दूनू मैथिली गजलक प्राण अछि। जँ मैथिली गजलकेँ जड़िसँ पकड़बाक अछि तँ कोनो गामक हाट
वा शहरक सब्जी मंडीमे प्रयुक्त शब्दावली,वाक्य आ तेवरकेँ देखू। तकर बाद सोहर,बटगबनी,फगुआ,तिरहुत,चैताबर
आदि केर भाव लिअ। जँ एतेक कऽ लेब तखन गजल केर भाव ओ कथ्य अपने मोने अहाँ लग आबि जाएत।
आधुनिक मैथिली गजल
लिखित रूपमे पं.जीवन झा आधुनिक मैथिलीक पहिक शाइर
छथि (एखन धरिक खोजक अधारपर)। हिनक नाटक “सुंदर-संयोग” मे गीत ओ गजल दूनू देल गेल जे
कि ई. 1905 मे प्रकाशित भेल। आधुनिक मैथिली गजलक परंपरा आ इतिहासकेँ
हम दू भागमे देखब। पहिल बहरयुक्त गजलक इतिहास आ तकर बाद बिना बहर बला (अजाद) गजलक इतिहास।
पहिने बहरयुक्त गजलक इतिहास देखल जाए---
मैथिलीमे बहरयुक्त
गजलक इतिहास
मोटा-मोटी1905सँ लऽ कऽ 1970धरि मैथिली गजलक नामपर
जे वस्तु देखबामे अबैए ताहि महँक अधिकांश गजलकेँ वस्तुतः गजल नै कहल जा सकैए मुदा हमरा
सभकेँ ईहो धेआन रखबाक चाही जे कोनो काजक शुरूआतमे गलती होइते छै तँए जँ पं.जीवन झा,यदुवरजी,आनंद
झा न्यायाचार्य प्रभृति गजलकारक अधिकांश गजलमे वर्णवृत नै छन्हि तँ आश्चर्य नै मुदा
शुरूआती गलतीकेँ दुरुस्त करैत कविवर सीताराम झा ओ काशीकान्त मिश्र(मधुप)जी गजलमे एला।
हमरा सभ लग कविवर जीक कुल 3 टा आ मधुप जीक1 टा गजल अछि मुदा ऐ दूटा गजलकारक चारिटा
गजल ई कहबामे सक्षम अछि जे गजल एहने हेबाक चाही। मैथिलीक आरंभिक गजलमे व्याकरण लेल
ई विवेचना धेआन राखू---” 1905सँ 1970 धरिक बहुत रास गजल आन-आन संपादक महोदय केर संपादन
रूपमे प्राप्त भेल अछि। तँए बहुत संभव जे ई संपादक सभ अपना हिसाबें वर्तनी राखि देने
होथि। आ प्राचीन गजलक मूल वर्तनी विलुप्त भऽ गेल हो। उदाहरण लेल देखू मिथिला गीतांजलि
जे की 1923मे यदुनाथ झा यदुवरजीक संपादनमे प्रकाशित भेल तैमे यदुवर जी अपन एकटा गजलक
शुरूआत एना केने छथि “भगवान हमर ई मिथिला...” मुदा डा. रामदेव झा जी अपन लेख “मैथिलीमे
गजल” जे की रचना पत्रिकाक जून 1984 अंकमे छपल तैमे एही गजलकेँ एना देने छथि “भगवन्
हमर ई मिथिला...” आब पाठक अपने अंदाजा लगा सकै छथि जे की हाल छै। हम बस ऐठाम मात्र
हिंट देलहुँ अछि। एही प्रसंगमे एकटा आर रोचक उदाहरण देखू, रामदेवजी उक्त लेखमे जीवन
झा जीक एकटा गजलकेँ एना प्रस्तुत केने छथि--
एको कथा ने हमर अहाँ कान करै छी
हम पैर पड़ै छी तँ अहाँ मान करै छी
बाजी तँ हम बताहि कहाबी दिओग मे
चुपचाप ताहि लेल तोहर ध्यान धरै छी
ठीक इएह गजलकेँ तारानंद वियोगी जीक लेख “मैथिली
गजलः मूल्यांकनक दिशा” जे की सियाराम झा सरसजीक संपादनमे निकलल “लोकवेद आ लालकिला”
नामक संकलनमे अछि से देखू---
एको कथा
ने हमर अहाँ कान करै छी
हम पैर
पड़ै छी तँ अहाँ मान करै छी
बाजी हम बताहि कहाबी वियोग मे
चुपचाप ताहि लेल तोहर ध्यान करै छी
ऐ उदाहरण सभकेँ गौरसँ देखू सभ गप्प फड़िच्छा जाएत।
बहुत सम्भव जे पं. जीवन झा रचनावली आ आन कोनो प्राचीन गजलकारक पोथी जे की संपादनक माध्यमसँ
आएल हो तै महँक गजलक मूल वर्तनी सभमे एहने दिक्कत कएल गेल हो। ओना ई हमर मात्र संभावने
टा अछि। निश्चित रूपसँ हम सभ आन गजलक आन नव शोधार्थी (जे की बिना पाइ देने शोधमे रूचि
रखैत होथि) ई अपेक्षा करै छी जे ओ प्राचीन गजलक मूल पाठकेँ सामने अनताह। हमरा लग जे
सामग्री अछि से बहुत संभव संक्रमित हो तँए हम ओइ गजलक निच्चा ओकर स्रोत ओ अन्य जानकारी
देने छी। आ तँए बहुत संभव जे प्राचीन गजल सभमे वर्णवृत ढ़ाँचा बिगड़ि गेल हो। पं. जीवन
झा जीक सभ गजल मैथिली अकादेमी, पटनासँ प्रकाशित हुनक रचनावलीपर अधारित अछि (संपादक-पं.
चन्द्र नाथ मिश्र “अमर” एवं डा. रामदेव झा, संस्करण-1989)। यदुवरजीक सभ गजल “यदुवर
रचनावली” (संपादक रमानंद झा रमण, प्रकाशक-मिथिला सांस्कृतिक समन्वय समिति, गुवाहाटी,
संस्करण-2003)पर अधारित अछि।”
ऐठाम हम कविवर जीवन झाजीक गजलकेँ तक्ती कऽ रहल
छी आ तैसँ पहिने हम किछु निवेदन करी—
1) कविवरजीक सभ गजल “कविवर जीवन झा रचनावली”सँ
लेल गेल अछि। ऐमे संकलित “सुन्दर-संयोग” नामक नाटकमे बहुत रास गीतक संग किछु गजल सेहो
अछि। ओना ई धेआन देबा योग्य जे उक्त नाटकमे मात्र एकै गोट रचनाकेँ गजल कहल गेल अछि
बाद बाँकीकेँ गीत। मुदा हम ऐठाँ किछु एहनो गीतकेँ लऽ रहल छी जे की अरबी बहरमे साधल
गजल अछि। ओना कविवर एकरा सभकेँ गजल नै कहि गीत किए कहला से निजगुत रूपें नै बुझना जा
रहल अछि। आ ऐ विषयपर कोनो घमर्थन वा कोनो विवाद नै कऽ सोझे हमरा लोकनि ई सिद्ध करब
जे उक्त गीत सभ गजल अछि की नै अछि। ओना तँ नाटक सुंदर-संयोग प्रकाशित भेलै आ तैमे संकलित
गजलकेँ मैथिलीक पहिल गजल मानल जाइए मुदा रचनावलीमे पहने सामवती-पुनर्जन्म नाटक अछि
आ एहूमे गजल अछि। हम ऐ ठाम सामवती-पुनर्जन्म नाटकक गजलसँ शुरूआत केलहुँ अछि।
2) बहुत रास गजलमे ए, शुरूक दीर्घ आदिकेँ लघु
मानल गेल अछि संगे-संग चंद्रबिंदुकेँ सेहो दीर्घ मानल गेल अछि जे की ओहि समयक व्याकरणक
असफलताकेँ देखबैए।
3) गजल सभमे व्याकरणसँ मान्य छूट सभ सेहो लेल
गेल अछि।
4) भऽ सकैए जे हमरो सभसँ किछु गलती छूटल हो। आसा
अछि अहाँ सभ एकरा देखार करब खास कऽ पं. जीवन झाजीक संस्कृत गजलक संदर्भमे।
“सामवती-पुनर्जन्म” नाटकमे एकटा मैथिली आ एकटा
संस्कृत गजल अछि। तँ देखू पृष्ठ 80परहँ ई गजल जकरा कविवर स्पष्ट रूपें गजल कहने छथि---
निसास लै नोर जौं बहाबी समुद्र पर्यन्त तौं थहाबी
अशेष संसार काँ दहाबी सुरेश प्रासाद वा ढ़हाबी
महा कुलाचार छाड़ि गेहे विशेष अहाँक टा सिनेहे
अरन्यमे बैसि दीन देहे कहु तितिक्षा कतै सहाबी
अनंङ्ग सन्ताप सौं जरै छी अहाँक चिन्ता जतै करै
छी
सखीक लाजे ततै मरै छी जतै कही वा जतै कहाबी
विलोचनोदार वारि धारा दिवा निशांमे अनेक वारा
वियोग तापापनोदपारा उरोज गौरीश काँ नहाबी
कथूक चिन्ता ने चित्त आनी अशुद्ध मानी तँ फेरि
छानी
जतेक काले विशुद्ध जानी जतेक डाही जतै डहाबी
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 12+122+12+122+12+122+12+122
अछि, शेरक दोसर पाँतिक 12+122+12+122+12+122+12+122 मात्राक्रम अछि। दोसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम
12+122+12+122+12+112+12+122 मने मतलाक हिसाबें नै अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम
मतलाक हिसाबें भऽ सकैए बशर्ते की जँ “कहु” केर बदला “कहू” लेबै। ओना ई हमरा जनैत मुद्रण
गलती अछि। हम ऐके बाद “कहू” लेब। तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि,
तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें
अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, चारिम शेरक दोसर
पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि। पाँचम
शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, पाँचम शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम
मतलाक हिसाबें अछि। मने कुल मिला कऽ मात्र एक पाँतिमे एकटा गलती अछि।
आब पृष्ठ 94पर देल एकटा संस्कृत गजल देखू जकरा
कविवर स्पष्ट रूपें गजल कहने छथि—
अन्हाय विधेयाथ मनोरोग चिकित्सा
चेदस्ति तनोरङ्ग ममारोग्य बिधिस्ता
रत्यन्तमलङ्कारमलङ्गारमवागाम्
कोपाग्नि रूपादीप्युभयोरत्र समित्सा
आकारथमथाकारमवैमीह तवेमम्
तत्रैव मतिर्मे तब यत्र प्रतिपित्सा
दन्तअतमाधेहि शरीरे न विरज्ये
स्वीयेहि जने मुग्धमते का विचिकित्सा
गृहणासि कपाटन्तु परित्यज्य सुशय्याम्
स्रग्दामधिया तन्वि भवस्यात्ततिलित्सा
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 221+122+1221+122
अछि, पहिल शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 221+122+1221+122 अछि। दोसर शेरक पहिल पाँतिक
मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि।
तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम
मतलाक हिसाबें अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 211+1221+1221+122 अछि मने गलत
अछि। ऐ पाँतिमे जँ “दन्तअत” केर बदला जँ “दन्तात” रहै तखन बहर बराबर भऽ जाएत आब संस्कृतक
विद्वानसँ ई आसा करै छी जे ओ कहता जे ऐठाम संधि हेतै की नै।चारिम शेरक दोसर पाँतिक
मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि। पाँचम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि,
पाँचम शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि। तँ आब चली पृष्ठ 109पर (सुन्दर-संयोग)।
ऐ पृष्ठ परहँक सूचनामे राग पीलूमे ई गीत अछि—
अहाँ सों भेंट जहिआ भेल तेखन सों विकल हम छी
उठैत अन्धार होइए काज सब करबामे अक्षम छी
अहाँ काँ छाड़ि कै पृथ्वीमे दोसर हम ने देखै छी
कोना काढ़ू हम अपना मूँहसँ अहाँ सभसँ उत्तम छी
कथू लै फूसि नै बजब शपथ खा खा कहै हम छी
अहीं प्राणेश्वरी छी एकटा सर्वस्व प्रीतम छी
पिनाकी पूजि क्यो राजा होऔ गोविन्द क्यो पूजौ
सम्हारू वा विगाड़ू विश्वमे एकटा अहीं दम छी
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 1222+1222+1222+1222
अछि, शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 12122+1222+1222+1222 अछि। हमरा जनैत कविवरजी “उठैत”
मे त वर्णकेँ हलंत मानने छथि जे की उचित नै मानल जा सकैए। दोसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम
1222+1222+1222+1222 अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 1222+2222+11122+1222 अछि।
तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 1222+1212+1222+1222 अछि मुदा हमरा जनैत मुद्रण दोषक
कारणे “बाजब” केर बदला “बजब” भऽ गेल जैसँ बहर गड़बड़ा गेल। हमरा हिसाबें बाजब सही छै
आ तखन मतलाक हिसाबें सही हेतै आ तँए हम “बाजब” लऽ रहल छी।।तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम
मतलाक हिसाबें अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि अछि, चारिम
शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि।
तहिना पृष्ठ 113पर एकटा संस्कृत गजल अछि। ऐ गजलक
पहिल दू पाँतिक अंत “शते”सँ भेल अछि बादमे “शेते” आबि गेल हमरा जनैत ई टंकण केर गलती
अछि ओनाहुतो शते आ शेते दूनू “सुतनाइ” केर अर्थ लेल अछि। मुदा मात्राक्रमकेँ देखैत
शेते सही अछि । ऐठाम हम “शेते” सभ पाँतिमे लेलहुँ अछि---
न जानीमो नवीना कामिना हीना कथं शेते
अहो कन्दर्पकानुज्ञापराधीना कथं शेते
यथा लेभे न संवेशो वसन्ते बापि हेमन्ते
तपत्तोर्रापते मध्यन्दिने दीना कथं शेते
शायानाऽऽलोकते स्वपने सत्पनी सङ्गतं नाथम्
जबादुत्थाय शथ्यायमुदासीना कथं शेते
कपोलं कोमलं वामे करे धृत्वा कुरङ्गीदृक
वियोगव्याकुला चिन्तापरासीना कथं शेते
अखर्वं कुर्वती गर्व पराची संकुचद्वासाः
अनुत्तानोद्धती वक्षोरूहे पीना कथं शेते
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 1222+1222+1222+1222
अछि, शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 1222+1222+1222+1222 अछि। दोसर शेरक पहिल पाँतिक
मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि। तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि1222+12112+2122+1222
मुदा हमरा जनैत ऐठाम गलती भेल अछि। पाँति एना हेबाक चाही शयानाऽऽलोकते स्वप्ने सपत्नी
सङ्गतं नाथम् तखन एकर वर्णवृत हेतै ओनाहुतो देखा रहल अछि जे वर्तनीक गलती कारणे कते
बड़का कांड भऽ गेल। तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि। चारिम शेरक
पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, चारिम शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक
हिसाबें अछि। पाँचम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, पाँचम शेरक दोसर
पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि।
तेनाहिते पृष्ठ 116पर राग पीलूमे जे गीत अछि तकरा
देखू--
पड़ैए बूझि किछु ने ध्यानमे हम भेल पागल छी
चलै छी ठाढ़ छी बैसल छी सूतल छी कि जागल छी
कहौ क्यो किच्छु कतबो हम कोनो एक ठाम बैसल छी
कतेको दूरि छौ तैओ अहाँ मनमे तँ पैसल छी
बुझा देमक त चाही कौखना अनजानकेँ कनिऐं
जे ई अपराध छौ तोहर किए हमरासँ रूसल छी
बड़ा सन्देहमे छी हम खुशी होइ छै परोसिनी कैं
करै छी जे हँसी सबसँऽ अहाँ अत्यन्त चञ्चल छी
कहै छी प्राण हमरा तँऽ निबाहू प्रीति जा जीबी
अहाँ निश्चिन्त छी तँए की अहाँ बिनु हम तँ बेकल
छी
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 1222+1222+1222+1222
अछि, शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 1222+1222+1222+1222 अछि। दोसर शेरक पहिल पाँतिक
मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि। तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि, तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें
अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 1222+1222+12212+12122 अछि। चारिम शेरक दोसर
पाँतिक मात्राक्रम मतलाक हिसाबें अछि। पाँचम शेरक दूनू पाँति मतलाक बराबर अछि। संगे-संग
ईहो कहब उचित जे मतलाक हिसाबें काफिया “आगल” अछि जकर पालन आन शेर सभमे उचित रूपें नै
भऽ सकल अछि।
तहिना पृष्ठ 117पर देल गीत देखू—
एको कथा ने हमरा अहाँ कान करै छी
हम पैर पड़ै छी तँ अहाँ मान करै छी
बाजी तँ हम बताहि कहाबी विओगमे
चुपचाप ताहि लेल तोहर ध्यान धरै छी
भूखो पियास गेल तौहर शपथ खाइ छी
बैसलि फराक अपन दुःख गान करै छी
जीवन समर्पिह्णैय की देखी तँ अहाँकेँ
सन्ताप सहै छी कि सुधा पान करै छी
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2212+2221+221122
अछि, शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 22112+2112+21122 अछि। दोसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम
2212+121122+1212 अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 2212+12122+21122 अछि। तेसर
शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2212+12122+12212 अछि, तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम
2212+11221+21122 अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2212+2212+221122 अछि, चारिम
शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 22112+2112+21122 अछि। ऐ गजलमे रदीफक गलती अछि।
आब पृष्ठ 126पर देल ई रचना देखू जकरा कविवर स्पष्टे
गजल कहने छथि—
आइ भरि मानि लिअऽ नाथ न हट जोर करू।
देहरी ठाढ़ि सखी हो न एखन कोर करू ॥1॥
हाय रे दैव! इ ककरासँ कहू क्यो न सुनै।
सैह खिसिआइए जकरा कनेको सोर करू ॥2॥
लाथ मानै
न क्यो सभ लोक करैए हँसी।
बाजऽ भूकऽ ले जँ कनक जकर सोझ ओठ करू ॥3॥
आइ एखन
न धनी एक कहल मोर करू।
आन संगोर करू एहि ठाम भोर करू ॥4॥
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2122+1122+1122+112
अछि, शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 2212+1222+1222+112 अछि। दोसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम
2122+1122+1122+112 अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 2122+1222+1222+112 अछि।
तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम2122+1222+1122+12 अछि, तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम
2122+1212+1221+2112 अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2122+1122+1122+112 अछि,
चारिम शेरक दोसर पाँतिक 2122+1122+121+1122 मात्राक्रम अछि। चारिम शेरक दोसर पाँतिमे
काफिया “ओठ” अछि जे की शायद प्रमाद वश लेल गेल अछि। आब ई प्रमाद कोन स्तरपर भेल छै
से कहनाइ कठिन। ओना जँ “ओठ” केर बदला “ठोर” होइ तँ भाव आ व्याकरण दुन्नू बाँचल रहत।
तेनाहिते पृष्ठ 128पर देल ई गीत देखू—
उद्वेग की रहैछ न जानी जे आइ काल्हि
सन्देह एकटा जे अहाँ चल न जाइ काल्हि
हमरा सोहाय किछु ने हिनक वियोगमे
सप्पत खुआ लिअऽ जँ तखन पान खाइ काल्हि
दूबर शरीर सो त बिदा प्राश होइए
जैखन अहाँ पुछै छि जे मानी तँ जाइ काल्हि
हमरा जे एहि बेर एही ठाम छाड़ि देब
जोरावरीसँ देव अपन जी विदाइ काल्हि
राखै जे लाथ कै क अहाँ काँ दुइ चारि दिन
तकरा बना बना क खुआबी मिठाइ काल्हि
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2212+12112+222+121
अछि, पहिल शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 2212+12112+212+121 अछि। दोसर शेरक पहिल पाँतिक
मात्राक्रम 2222+12212+12+12 अछि, दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 2212+12112+212+121
अछि। तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2212+12112+212+121 अछि मुदा ऐ पाँतिमे “प्राश”
शब्दक बदला “प्राण” हेबाक चाही छै भावकेँ देखैत। तेसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम
2122+12122+2121+21अछि। चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम 2212+12112+212+121अछि,
चारिम शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 2212+12112+212+121 अछि। पाँचम शेरक पहिल पाँतिक
मात्राक्रम 2212+12112+222+12 अछि, पाँचम शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम 2212+12112+212+121
अछि।
जीवन झाजीक गजल देखलाक बाद आब देखी हुनके समकालीन आ तुरंत परवर्ती
गजलकार यदुवर, कविवर सीताराम झा एवं मधुप जीक किछु गजल---
यदुनाथ झा “यदुवर”
1
भगवान हमर ई मिथिला सुख शान्तिमय नगर हो
सभ कीर्तिमे अमर हो सद्गुण सदैव उर हो
मनमोहिनी प्रकृतिसँ युक्त रहय सदा ई
मंगलमयी सुजनकाँ अलौकिक प्रेम उर हो
सीता सरस्वती ओ लखिमा समानि घर घर
हो जन्म नारि मणि जे आदर्श भूमि पर हो
राजा विदेह सन हो न्यायी प्रजा हितैषी
नृपभक्त उद्यमी औ धर्मी प्रजा सुघर हो
जैमिनि कणाद कपिलादि वाल्मीकि सम
पुनि याज्ञवल्यक मुनि सन विप्रवर हो
घर घर वेदान्त ज्ञाता, हो अष्टावक्र सन सब
पुनि पिंगलाक सदृश, हरि भक्त नारि नर हो
मण्डन,महेश,उदयन,शंकर ओ पक्षधर सन
पुनि कालिदास सन सभ, कवि पण्डित प्रवर हो
मनबोध और विद्यापति, हर्षनाथ, चन्दा
सन मैथिलीक सेवक, कविवर अनेक नर हो
नारायणी ओ गंगा कमला ओ कोशि विमला
सन सर्वदा सुनिर्मल धारा प्रवाह धर हो
निज देश भक्त ज्ञानी सुउदार स्वार्थ त्यागी
नर रत्न हो ओ यदुवर गौरव सुबुद्धि कर हो
2
प्रेममयी रत्न खानि देश मुकुट जननी तों
भारत बिच श्रेष्ठ प्रान्त हमर जन्म धरनी तों
शत शत नैर रत्न सिंह, पण्डित प्रसवनी तों
दार्शनिक शास्त्रकार विज्ञ जनक जननी तों
सुजल सुफल शस्य शालिसौं सुस्वच्छ वरनी तों
विकशित बहुकुंज सुसुम सौं अतीव रमणी तों
धन्य धन्य मातु हमर मिथिले सुख सदनी तों
“यदुवर” जन कल्पलता देवि शत्रु शमनी तों
शाइरक मूल वर्तनी देल गेल अछि। हमरा हिसाबें नैर मने नर
काशीकान्त मिश्र “मधुप”
1
मिथिलाक पूर्व गौरव नहि ध्यान टा धरै छी
सुनि मैथिली सुभाषा बिनु आगियें जड़ै छी
सूगो जहाँक दर्शन-सुनबैत छल तहीँ ठाँ
हा आइ “आइ गो” टा पढ़ि उच्चता करै छी
हम कालिदास विद्या-पति-नामछाड़ि मुँहमे
बाड़ीक तीत पटुआ सभ बंकिमे धरै छी
भाषा तथा विभूषा अछि ठीक अन्यदेशी
देशीक गेल ठेसी की पाँकमे पड़ै छी?
औ यत्र-तत्र देखू अछि पत्र सैकड़ो टा
अछि पत्र मैथिलीमे एको न तैं डरै छी
(2212-122-2212-122)
1932मे मैथिली साहित्य समिति, द्वारा काशीसँ “मैथिली-संदेश”
नामक पत्रिकामे प्रकाशित
कविवर सीताराम झा
1
जगत मे थाकि जगदम्बे अहिंक पथ आबि बैसल छी
हमर क्यौ ने सुनैये हम सभक गुन गाबि बैसल छी
न कैलों धर्म सेवा वा न देवाराधने कौखन
कुटेबा में छलौं लागल तकर फल पाबि बैसल छी
दया स्वातीक घनमाला जकाँ अपनेक भूतल में
लगौने आस हम चातक जकां मुँह बाबि बैसल छी
कहू की अम्ब अपनेसँ फुरैये बात ने किछुओ
अपन अपराधसँ चुपकी लगा जी दाबि बैसल छी
करै यदि दोष बालक तँ न हो मन रोख माता कैं
अहीं विश्वास कैँ केवल हृदय में लाबि बैसल छी
एकर बहर अछि-1222-1222-1222-1222 मने बहरे हजज
1928मे प्रकाशित कविवर सीताराम झा जीक “सूक्ति सुधा (प्रथम बिंदु)मे
संग्रहीत गजल जे की वस्तुतः “भक्ति गजल “अछि
2
हम की मनाउ चैती सतुआनि जूड़शीतल
भै गेल माघ मासहि धधकैत घूड़तीतल`
अछि देशमे दुपाटी कङरेस ओ किसानक
हम माँझमे पड़ल छी बनि कै बिलाड़ि तीतल
गाँधीक पक्ष ई जे सुख जौं चहैछ सब तों
राजा प्रजा परस्पर सब ठाम रहै रीतल
एक दिस सुभास बाबू ललकारि ई कहै छथि
कय देब हम बराबरि आकाश ओ महीतल
कर्तव्य की एतए ई हमरा अहाँ पुछी तौं
मिलि जाउ मालवीवत पाटी परीखि जीतल
सभ पाँतिमे 2212+ 122+2212+ 122 मात्राक्रम अछि। बीच-बीचमे “ए”
के लघु मानल गेल अछि।
3
बाउजी जागू ठारर भरै छी कियै”
व्यर्थ सूतल कि बैसल सड़ै छी कियै”
वेद पोथी पढ़ू आ अखाढ़ा चढ़ू
बाट दू में ऐकोने धरै छी कियै”
जँ थिकहुँ विप्रवंशीय सत्पुत्र तँ
पाठशालाकनामे डरै छी कियै”
बाट में काँट कै काटि आगू बढ़ू
देखि रोड़ा कनेको अड़ै छी कियै”
मेल चाहय सदा शत्रुओंसँ सुधी
बन्धुऐ में अहाँ सब लड़ै छी कियै”
आधि में माँति छी छी खाधि में जा रहल
देखि आनक समुन्नति जरै छी कियै”
साध्य में बुद्धि नौका अछैतो अहाँ
विघ्न-बाधा नदी अहाँ ने तरै छी कियै”
मायबापोक सत्कर्म हो से करू
पापपन्थीक पाला पड़ै छी कियै”
बान्हि कक्षा स्वयं आत्मा रक्षा करू
शेष जीवन अछैतो मरै छी कियै”
ई गजल कविवर सीताराम झा काव्यावली-प्रथम भाग (संपादक, विश्वनाथ
झा विषपायी)क पृष्ठ 108सँ लेल गेल अछि (प्रकाशन वर्ष-2008 ) ।सभ पाँतिमे 2122+ 122+
122+ 12 मात्राक्रम अछि। ए, ऐ आदिकेँ लघु मानि ले गेल अछि। मतलामे रदीफ “छी किए” अछि
तकर बादक शेर सभमे “छी कियै” । हमरा जनैत ई मुद्रण दोष रहल हेतै। आन शेर सभमे “छी कियै”
केर बहुलता देखि मतलामे सेहो हम “छी कियै” लेलहुँ।
ऐ गजलक तेसर शेरक संदेशसँ व्यक्तिगत रूपें हम सभ सहमत नै छी
कारण ई शेर संकुचित समाजक परिचायक अछि। एतेक विवरण देखलाक बाद ई स्पष्ट होइए जे जीवन
झाजीक गजलमे अधिकांशतः बहर अछि मुदा यदुवरजीक गजलमे ने बहर अछि ने किछु। डा. रमानंद
झा रमणजी संपादित यदुवर रचनावली पढ़लासँ ई स्पष्ट होइए जे यदुवरजी उप-शास्त्रीय संगीत
यथा ठुमरी, दादारा आदिमे बहुत रचना केने छथि बहुत संभवने यदुवरजी गजलोंकेँ एहने ढ़ाँचापर
कसि देने होथि। तथापि ई निश्चित रूपें कहल जा सकैए जे प्रारंभिक मैथिली गजलक शुरुआत
बहुत गंभीर आ नीक ढ़ंगसँ भेल छल, जकरा बादमे मधुपजी आ कविवर सीताराम झाजी नीक ढ़ंगे
आगू बढ़ेला मुदा तकर बाद किछु आलसी आ भ्रांतिकार सभहँक कारणें मैथिली गजलक अपेक्षित
विकास नै भऽ सकल।1970सँ लऽ कऽ 2008 धरि किछुए गजलकार सभ भेलाह यथा योगानंद हीरा, विजयनाथ
झा, जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल आदि। ई तीनू गजलकारक गजल सभ वर्तमानमे प्रकाशित भऽ रहल
छनि तँए एखनुक पाठक सभ एकरा अनचिन्हार आखर सहित आन-आन पत्रिका सभमे सेहो देखि सकै छथि।
2008मे अनचिन्हार आखरक जन्म भेल, ई पत्रिका इंटरनेटपर अछि आ एकर क्रियाकलापक विस्तृत
वर्णन कएल जा रहल अछि---
अनचिन्हार
आखर आ मैथिली गजल
11/4/2008केँ “अनचिन्हार आखर” नामक ब्लाग इंटरनेटपर आएल। अनचिन्हार
आखर केर छोटका नाम “अ-आ “राखल गेल अछि। एकरा ऐ लिंकपर देखल जा सकैए---http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/। ई ब्लाग हमरा द्वारा शुरू कएल गेल छल आ समय-समयपर आन-आन गजलकार सभकेँ जोड़ल गेल।
तँ देखी अनचिन्हार आखर केर किछु विशेषता-
1) अ-आ प्रिंट वा इंटरनेटपर पहिल उपस्थिति अछि जे
की मात्र आ मात्र गजल एवं गजल अधारित विधापर केन्द्रित अछि।
2) अ-आ केर आग्रहपर श्री गजेन्द्र ठाकुर जी गजलशास्त्र
लिखला जे की मैथिलीक पहिल गजलशास्त्र भेल। एकरा ऐ लिंकपर देखल जा सकैए--http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page.html
3) अ-आ द्वारा “गजल कमला-कोसी-बागमती-महानन्दा सम्मान”
केर शुरूआत भेल। जे की स्वतन्त्र रूपें गजल विधा लेल पहिल सम्मान अछि। एकरा ऐ लिंकपर
देखल जा सकैए---http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page_4.html
4) अ-आ
केर ई सौभाग्य छै जे ओ बाल-गजल नामक नव विधाकेँ जन्म देलक आ ओकर पोषण केलक। भक्ति गजल
सेहो अ-आ केर देन अछि। विदेहक अङ्क 111 पूर्ण रूपेण बाल-गजल विशेषांक अछि आ अङ्क 126
भक्ति गजल विशेषांक।
5) बर्ख 2008 आ 2015 माँझ करीब 30टासँ बेसी गजलकार
मैथिली गजलमे एलाह। ई गजलकार सभ पहिनेसँ गजल नै लिखै छलाह। सङ्गे-सङ्ग करीब 5टा समीक्षक-आलोचक
सेहो एलाह।
6) पहिल बेर मैथिली गजलक क्षेत्रमे एकै बेर करीब
16-17 टा आलोचना लिखाएल। एकरा ऐ लिंकपर देखि सकै छी---http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page_8403.html
7) अ-आ मैथिली गजलकेँ विश्वविद्यालय ओ यू.पी.एस.सी
एवं बी.पी.एस.सीमे स्थान दिएबाक अभियान चलौने अछि आ एकटा माडल सिलेबस सेहो बना क' प्रस्तुत
केने अछि।
8) अ-आ
प. जीवन झा जीक मृत्यु केर अंग्रेजी तारीख पता लगा ओकरा गजल दिवस मनेबाक अभियान चलौने
अछि।
9) अ-आ 1905सँ ल' क' 2013 धरिक गजल सङ्ग्रहक सूची
एकट्ठा ओ प्रकाशित केलक (व्याकरणयुक्त एवं व्याकरणहीन दूनू)। एकरा ऐ लिंकपर देखि सकै
छी-- http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/2012/02/blog-post_01.html
10) अ-आ
अधिकांश गजलकारक (व्याकरण युक्त एवं व्याकरणहीन दूनू) संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत केलक।
एकरा ऐ लिंकपर देखि सकै छी---http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page_632.html
11) अ-आ 62 खण्डमे गजलक इस्कूल नामक श्रृखंला चलौलक
जे की समान्य पाठकसँ ल' क' गजलकार धरि लेल समान रूपसँ उपयोगी अछि। एकरा ऐ लिंकपर देखि
सकै छी---http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page_1080.html
12) अ-आ
मैथिलीमे पहिल बेर आन-लाइन मोशयाराक आरम्भ केलक आ ई बेस लोकप्रिय भेल। एकरा ऐ लिंकपर
देखि सकै छी---http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page_13.html
13) मैथिली गजल आ अन्य भारतीय भाषाक गजल बीच संबंध
बनेबाक लेल “विश्व गजलकार परिचय शृखंला” शुरू कएल गेल जकरा अइ लिंकपर देखि सकै छी--https://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page_21.html
14)
एखन धरि अ.आ केर माध्यमें मैथिली गजलमे गजल-1386, रुबाइ-417, बाल गजल 207, बाल रुबाइ-47,
भक्ति गजल-47, हजल-21, आलोचना-28, कसीदा-3, नात-2, बंद-4,भक्ति रुबाइ-1, माहिया-2,
देल जा चुकल अछि। जतेक गजलकार अ.आ केर माध्यमें आएल छथि हुनका सभ द्वारा रचित गजलक
संख्या जोड़ल जाए तँ लगभग 3000 गजलक संख्या पहुँचत।
आब कने देखी अ-आक क्रियाकलापकेँ विस्तृत रूपमे---
अप्रैल 2008(11/4/2008) मे अनचिन्हार आखरक जन्म
भेल आ एहि बर्ख कुल तीन टा पोस्ट भेल। तीनू पोस्ट आशीष अनचिन्हार द्वारा भेल जाहिमे
हुनक कुल तीन टा गजल आएल।
बर्ख 2009मे कुल 36टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि------------
आशीष अनचिन्हार द्वारा कुल 19टा पोस्ट भेल। 18टा
पोस्टमे हुनक 18टा गजल आएल आ 1टा पोस्टमे भिन्न-भिन्न शेर अछि। गजेन्द्र ठाकुर द्वारा
कुल 9टा पोस्ट भेल जाहिमे---1टा पोस्टमे हुनक 1टा गजल, 2टा पोस्टमे धीरेन्द्र प्रेमर्षिक
1टा आलेख एवं 11टा गजल, आ 1टा पोस्टमे गंगेश गुंजन, रामलोचन ठाकुर, राजेन्द्र विमल,
रामभरोस कापड़ि भ्रमर, बृखेष चंद्र लाल आ रोशन जनकपुरी 1-1टा गजल प्रस्तुत कएल गेल
अछि। देव शंकर नवीन द्वारा कुल 4टा पोस्ट भेल जाहिमे हुनक कुल 4टा गजल आएल। शेफालिका
वर्माजीक कुल 2टा पोस्टमे हुनक कुल 4टा गजल आएल। अरविन्द ठाकुरक कुल 2टा पोस्टमे हुनक
2टा गजल आएल।
बर्ख 2010मे कुल 62टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि---
मिथिलेश झा द्वारा कुल 2 टा पोस्ट भेल जाहिमे नरेन्द्र
आ अरविन्द ठाकुरक 1-1टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हार द्वारा कुल 27टा पोस्ट भेल जाहिमे
हुनक कुल 26टा आ अरविन्द ठाकुरक 1टा गजल आएल। गजेन्द्र ठाकुर द्वारा कुल 17टा पोस्ट
आएल। 12 टा पोस्टमे 12 खंडमे मैथिली गजल शास्त्र आएल। एकटा पोस्टमे आशीष अनचिन्हारक
1टा गजल आएल। आ 4टा पोस्टमे हुनक 21 एवं गंगेश गुंजनक 1टा गजल आएल। त्रिपुरारी कुमार
शर्माक 1टा पोस्टमे हुनक 1टा गजल आएल। प्रेमचंदक 1टा पोस्टमे 2टा गजल आएल। शिव कुमार
झा टिल्लु द्वारा कुल 8टा पोस्ट आएल जाहिमे काली कांत झा बुच जीक 6टा आ नरेश विकल जीक
2टा गजल आएल। तारानंद वियोगी जीक 5टा पोस्टमे हुनक 5टा गजल अछि। मनोज द्वारा 1टा पोस्टमे हुनक 3टा गजल अछि।
बर्ख 2011मे जे अनचिन्हार आखरमे जतेक पोस्ट भेल
तकर विवरण मासिक रुपें देल जा रहल अछि----
मास जनवरी 2011मे कुल सातटा पोस्ट भेल जाहिमे शिव
कुमार झा “टिल्लु” द्वारा चारिटा पोस्ट भेल जाहिमे कालीकांत झा” बुच” जीक एकटा गजल,
नरेश कुमार विकलक दू टा, आरसी प्रसाद सिंहक एकटा गजल प्रस्तुत भेल। आशीष अनचिन्हारक
दू टा पोस्टमे दूटा गजल आएल। त्रिपुरारी कुमार शर्माक एकटा पोस्टमे एकटा गजल आएल। जनवरी
मासमे अनचिन्हार आखरक दुराग्रहक कारणें त्रिपुरारी कुमार शर्मा जी मैथिली गजलमे एलाह।
मास फरवरी 2011मे कुल आठटा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष
अनचिन्हारक सातटा पोस्टमे एकटा आलेख आ छहटा गजल आएल। डा. शेफालिका वर्माक एकटा पोस्टमे
एकटा गजल आएल।
मास मार्च 2011मे कुल अठारहटा पोस्ट भेल जाहिमे
आशीष अनचिन्हारक छहटा पोस्टमे छहटा गजल। गजेन्द्र
ठाकुरक छहटा पोस्टमे छह टा गजल। सुनील कुमार झाक
दूटा पोस्टमे दूटा गजल।
अभय दीपराजक दूटा पोस्टमे दूटा गजल। तारानंद वियोगी
जीक एकटा पोस्टमे चंद्रभानु सिंह द्वारा गीत-गायनक विडीयो प्रस्तुति। सदरे आलम गौहरक
एकटा पोस्टमे एकटा गजल आएल।
मार्च मासमे सुनील कुमार झा अनचिन्हार आखरक माध्यमें
मैथिली गजलमे एलाह।
मास अप्रिल 2011मे कुल पचासटा पोस्ट भेल जाहिमे
आशीष अनचिन्हारक एकतीसटा पोस्टमेसँ पच्चीसटा रुबाइ, दूटा कता, तीन टा गजल आ एकटा पुरस्कार
संबंधी घोषणा अछि। सुनील कुमार झाक चौदह टा पोस्टमेसँ तेरहटा रुबाइ आ एकटा गजल अछि।
विकास झा “रंजन” केर दू टा पोस्टमे दूटा गजल। रोशन केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल। गजेन्द्र
ठाकुरक दूटा पोस्टमे दूटा गजल आएल।
मास अप्रिलमे विकाश झा रंजन आ रोशन जी अनचिन्हार
आखरक माध्यमे मैथिली गजलमे एलाह
मास मइ 2011मे कुल बासठि टा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष
अनचिन्हारक सत्ताइसटा पोस्टमे बाइसटा रुबाइ,तीनटा गजल, एकटा कता आ एकटा पुरस्कार संबंधी
घोषणा अछि। सुनील कुमार झाक तैस (23)टा पोस्टमे छहटा गजल,सोलहटा रुबाइ आ एकटा कता अछि।
किशन कारीगर जीक एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। गजेन्द्र ठाकुरक दूटा पोस्टमे एकटा गजल
आ एकटा मैथिली गजल शास्त्र आलेख आएल। विकास झा “रंजन” केर नौटा पोस्टमे सातटा रुबाइ
आ दूटा रुबाइ अछि।
मास जून 2011मे कुल बत्तीसटा पोस्ट भेल जाहिमे आशीष
अनचिन्हारक बीसटा पोस्टमे तीनटा गजल, नौटा रुबाइ, सातटा कता आ एकटा पुरस्कार संबंधी
घोषणा अछि। सुनील कुमार झाक छहटा पोस्टमे तीनटा गजल आ तीन टा रुबाइ अछि। दीपनारायण
“विद्यार्थी” क दूटा पोस्टमे दूटा गजल अछि। अरविन्द ठाकुरक एकटा पोस्टमे एकटा गजल आएल।
गजेन्द्र ठाकुरक तीनटा पोस्टमे तीनटा गजल आएल। मास जूनमे ऋषि वशिष्ठ आ अनचिन्हार आखरक
माध्यमें दीप नारायण विद्यार्थी जी मैथिली गजलमे एलाह।
मास जुलाइ 2011मे कुल पैंतीसटा पोस्ट भेल जाहिमे
आशीष अनचिन्हारक उनतीसटा पोस्टमे सोलहटा गजल,आठटा रुबाइ, एकटा कता, मैथिली गजलक संक्षिप्त
नामक आलेखक दू भाग, छंदक जरुरति नामक एकटा आलेख, आ पुरस्कार संबंधी घोषणा अछि। गजेन्द्र
ठाकुरक चारिटा पोस्टमे तीनटा गजल आ एकटा पोस्टमे एकटा कुंडलिया अछि।अरविन्द ठाकुरक
एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। रोशन केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि।
मास अगस्त 2011मे कुल तैंआलीसटा पोस्ट भेल जाहिमे
रोशन केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। सुनील कुमार झा केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि।
अरविन्द ठाकुर केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। सदरे आलम गौहर केर एकटा पोस्टमे एकटा
गजल अछि। प्रवीन चौधरी “प्रतीक” केर चारिटा पोस्टमे चारिटा गजल अछि। दीप नारायण “विद्यार्थी”
केर दूटा पोस्टमे दूटा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक तैंतीसटा पोस्टमे एकैसटा गजल, दूटा
रुबाइ, गजलक संक्षिप्त परिचय नामक आलेखक सात भाग, एकटा पोस्टमे विदेह भाषा पाक रचना
आ दूटा पोस्टमे पुरस्कार संबंधी घोषणा अछि। मास अगस्तमे प्रवीन चौधरी प्रतीक जी अनचिन्हार
आखरक माध्यमें मैथिली गजलमे एलाह।
मास सेप्टेम्बर 2011मे कुल चौसठिटा पोस्ट भेल जाहिमे
उमेश मंडल केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। संजीव केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। विकास
झा “रंजन” केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। सुनील कुमार झा केर एकटा पोस्टमे एकटा गजल
अछि। मिहिर झाक सातटा पोस्टमे सातटा गजल अछि। ओमप्रकाश केर एगारहटा पोस्टमे एगारह टा
गजल अछि। गजेन्द्र ठाकुरक आठटा पोस्टमे चारिटा गजल, कुंडलिया दूटा, राजेन्द्र विमलक
साक्षात्कारक एकटा विडीयो आ एकटा पोस्टमे आशीष अनचिन्हारक पोथी केर डाउनलोड लिंक देल
गेल अछि।दीपनारायण “विद्यार्थी” केर दूटा पोस्टमे दूटा गजल अछि। सदरे आलम गौहरक तीनटा
पोस्टमे तीनटा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक उनतीसटा पोस्टमे दसटा गजल, गजलक संक्षिप्त
परिचय नामक आलेख सतरह भागमे, रुबाइ एकटा आ पुरस्कार संबंधी घोषणा एकटा अछि। मास सेप्टेम्बरमे
डबल धमाका। मिहिर झा एवं ओमप्रकाश जी अनचिन्हार आखरक माध्यमें मैथिली गजलमे एलाह।
मास अक्टूबर 2011मे कुल पचपनटा पोस्ट भेल जाहिमे
ओमप्रकाश जीक एगारहटा पोस्टमे एगारहटा गजल अछि। सुनील कुमार झाक एकटा पोस्टमे एकटा
गजल अछि। विकास झा “रंजन” क एकटा पोस्टमे एकटा गजल अछि। अभय दीपराज जीक एकटा पोस्टमे
एकटा गजल अछि। समयलाइ सलाम केर नामसँ धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक दूटा पोस्टमे राजेन्द्र
विमलक साक्षात्कार विडीयो आ एकटा गजल “एक मिसिया” क विडीयो अछि। गजेन्द्र ठाकुरक तीनटा
पोस्टमे मैथिली गजल शास्त्र केर एकटा भाग आ तीन टा गजल अछि। मिहिर झाक एग्यारहटा पोस्टमे
दसटा गजल आ एकटा गजल पर कविता अछि (इ कविता अपवाद स्वरुप अछि) शांतिलक्ष्मी चौधरीक
सातटा पोस्टमे सातटा गजल अछि। सदरे आलम गौहर केर दूटा पोस्टमे दूटा गजल अछि। आशीष अनचिन्हार
केर सोलहटा पोस्टमे चौदहटा गजल, एकटा आलेख आ एकटा पुरस्कार संबंधी घोषणा अछि। मास अक्टूबर
अनचिन्हार आखर लेल गौरवक दिन रहल। कारण ऐ मासमे शांतिलक्ष्मी चौधरी जी अनचिन्हार आखरक
माध्यमसँ मैथिली गजलमे एलीह आ ऐ तरहें शेफालिका वर्मा जीक बाद शांति जी मैथिली दोसर
महिला गजलकार बनि गेलीह।
मास नवम्बर 2011मे कुल सनतावनटा पोस्ट भेल जाहिमे
ओमप्रकाशक उन्नीस पोस्टमे उन्नीसटा गजल, शांतिलक्ष्मी चौधरीक तीनटा पोस्टमे तीनटा गजल,
मिहिर झाक आठटा पोस्टमे आठटा गजल,विकास झा “रंजनक” दूटा पोस्टमे दूटा गजल, त्रिपुरारी
कुमार शर्माक एकटा पोस्टमे एकटा गजल, विनीत उत्पलक दूटा पोस्टमे दूटा गजल, भावना नवीनक
चारिटा पोस्टमे चारिटा गजल, भाष्कर झाक एकटा पोस्टमे एकटा गजल, जगदीश चंद्र “अनिल”
जीक छहटा पोस्टमे छहटा गजल, रवि मिश्रा “भारद्वाज” क दूटा गजल, जगदानंद झा “मनु” क
तीनटा पोस्टमे तीनटा गजल, अजय ठाकुर” मोहन” जीक तीनटा पोस्टमे तीनटा गजल, सदरे आलम
गौहरक एकटा पोस्टमे एकटा गजल आ आशीष अनचिन्हारक एकटा पोस्टमे पुरस्कार संबंधी घोषणा
अछि। मास नवम्बरमे जे सभ अनचिन्हार आखरक माध्यमसँ मैथिली गजलमे एलाह तिनक नाम अछि---विनीत
उत्पल, श्रीमती भावना नवीन, भाष्कर झा, रवि मिश्रा “भारद्वाज”, जगदानंद झा “मनु”, अजय
ठाकुर” मोहन” । मने सिक्सर धमाका।
दिसम्बर मास 2011मे कुल पचहत्तर टा पोस्ट भेल जाहिमे
श्रीमती शांतिलक्ष्मी चौधरीक एगारहटा पोस्टमे एगारहटा गजल अछि। जगदानंद झा “मनु” केर
चारिटा पोस्टमे चारिटा गजल अछि। ओमप्रकाश जीक अट्ठारहटा पोस्टमे सोलहटा गजल आ दूटा
रुबाइ अछि। प्रभात राय “भट्ट” केर नौटा पोस्टमे आठटा गजल आ एकटा रुबाइ अछि। अजय ठाकुर
मोहन केर आठ टा पोस्टमे आठ टा गजल अछि। अनिल जीक तीन टा पोस्टमे तीन टा गजल अछि। रवि
मिश्रा “भारद्वाज” केर तीन टा पोस्टमे तीन टा गजल अछि। मिहिर झाक आठ टा पोस्टमे आठ
टा गजल अछि।
आशीष अनचिन्हार केर एगारहटा पोस्टमे रुबाइ दूटा,
पुरस्कार संबंधी घोषणा दूटा, एकटा गजल अछि। संगहि संग श्रीमती इरा मल्लिक आ मनोहर कुमार
झा एक-एकटा गजल, प्रवीन नारायण चौधरीक एकटा रुबाइ प्रस्तुत कएल गेल अछि। दूटा पोस्ट
अपने एना अपने मूँहसँ अछि। आ एकटा पोस्टमे विदेह द्वारा चलाओल परिचर्चा अछि। मास दिसम्बरमे
अनचि्हार आखरक माध्यमसँ जे मैथिली गजलमे एलाह तिनक नाम छन्हि---प्रभात राय “भट्ट”,
अनिल, श्रीमती इरा मल्लिक आ मनोहर कुमार झा। मने चारि गोटा (श्रीमती रुबी झा जीक सभ
पोस्ट हटा देल गेल अछि। हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ
रचना एहने सन हेतन्हि मुदा ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि)।
2012 केर मास जनवरीमे कुल 66टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि आशीष अनचिन्हारक कुल 18टा पोस्ट अछि। जाहिमे पुरस्कार संबंधी 3टा, नात 1टा,
कता 1टा, रुबाइ 4टा, गजल 4टा, बन्द 1टा, अपने एना अपने अपने मूँहक 1टा पोस्ट अछि। संगहि-संग
3टा पोस्टमे रुबी झाक 1टा, स्वाती लालक 1टा, आ इरा मल्लिक जीक 1टा गजल प्रस्तुत कएल
गेल अछि। मनीष झा “बौआ भाइ” केर 2टा पोस्टमे 2टा गजल, नितेश झा “रौशन” केर 3टा पोस्टमे
3टा गजल, ओम प्रकाशक 11टा पोस्टमे 11टा गजल, प्रभात राय भट्ट केर 7टा पोस्टमे 7टा गजल,अजय
ठाकुर “मोहन जी” क 1टा पोस्टमे 1टा गजल, अमित मिश्रक 1टा पोस्टमे 1टा गजल,
जगदानंद झा “मनु” क 8टा पोस्टमे 8टा गजल,गजदीश चंद्र
ठाकुर “अनिल” जीक 3टा पोस्टमे 3टा गजल, भाष्कर झाक 1टा पोस्टमे 1टा गजल आ अनिल जीक
1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। मिहिर झाक 4टा पोस्टमे 3टा गजल आ 1टा बन्द अछि। गजेन्द्र
ठाकुरक 6टा पोस्टमे 4टा दीक्षा भारती द्वारा गजेन्द्र ठाकुरक 4टा गजलक गायन प्रस्तुत
कएल गेल अछि। 1टा पोस्टमे सियाराम झा “सरस” जीक अंतर्वाता अछि जे प्रेमर्षि जी द्वारा
लेल गेल अछि। 1टा पोस्टमे अजहर इमामक मृत्यु सूचना देल गेल अछि।मास जनवरी 2012मे श्रीमती
रूबी झा, स्वाती लाल, मनीष झा “बौआ भाइ”, नितेश झा रौशन, अमित मिश्र मने पाँचटा गजलकार
अनचिन्हार आखरक माध्यमें मैथिली गजलमे एलथि। जाहिमे 2टा महिला छथि।
(श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि।
हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा
ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।)
मास फरवरी 2012मे कुल 79टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि अमित मिश्र जीक 19टा पोस्टमे 19टा गजल आएल। शांतिलक्ष्मी चौधरी जीक 5टा पोस्टमे
5टा गजल आएल। जगदानंद झा मनु जीक 10टा पोस्टमे 10टा गजल आएल। ओमप्रकाश जीक 11टा पोस्टमे
एकटा रुबाइ आ 10टा गजल आएल। प्रभात राय भट्ट जीक 7टा पोस्टमे 7टा गजल आएल। कुमार पंकज
झा, भाष्कर झा, स्वाती लाल, आ निशांत झाक 1-1टा पोस्टमे कुल 4टा गजल आएल। जगदीश चंद्र
झा “अनिल” जीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल आएल। मिहिर झा जीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल आएल। आशीष
अनचिन्हारक 19टा पोस्टमे मुन्ना जीक 12टा गजल आ 1टा रुबाइ प्रस्तुत कएल गेल। संगहि
संग 1टा पोस्टमे मैथिली गजलक सूची देल गेल। 1टा पोस्टमे पुरस्कार संबंधी घोषणा अछि।
1टा पोस्टमे अपने एना अपने मूँह अछि। 1टा पोस्टमे सरसजीक अंतरवार्ता देल गेल अछि। आ
दूटा पोस्टमे 1टा गजल आ 1टा रुबाइ अछि। मास जनवरी 2012मे कुमार पंकज झा अनचिन्हार आखरक
माध्यमें मैथिली गजलमे एलथि(श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि। हुनक रचना
अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा ई हुनक
अधिकांश रचना लेल अछि)|
हमरा ई कहैत बहुत हर्ख भए रहल अछि जे अनचिन्हार
आखर द्वारा मात्र गजलक बढ़ोत्तरी नै कएल गेल बल्कि गजलकारक संख्यामे सेहो बढ़ेबामे
अपन योगदान केलक। एहिठाम हम एकटा संक्षिप्त रुपरेखा प्रस्तुत कए रहल छी जे कतेक गोटा
एहि चारि सालमे मैथिली गजलमे एलाह बर्ख 2010मे त्रिपुरारी कुमार शर्मा जी मैथिली गजलक
नव हस्ताक्षरक रुपमे एलाह। ओना शर्मा जी हिन्दीमे पहिनेसँ गजल लिखैत छलाह। बर्ख 2011
केर मार्च मासमे सुनील कुमार झा मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा
एलाह। बर्ख 2011 केर अप्रैल मासमे विकास झा रंजन आ रोशन मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक
रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह। बर्ख 2011 केर जून मासमे ॠषि वशिष्ठ जीक सहायतासँ
दीप नारायण विद्यार्थी मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह।
बर्ख 2011 केर अगस्त मासमे प्रवीन नारायण चौधरी प्रतीक मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रुपमे
अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह। बर्ख 2011 केर सेप्टेम्बर मासमे मिहिर झा एवं ओमप्रकाश
जी मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह।बर्ख 2011 केर अक्टूबर
मासमे श्रीमती शांतिलक्ष्मी चौधरी जी मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रुपमे अनचिन्हार आखर
द्वारा एलीह। बर्ख 2011 केर नवम्बर मासमे विनीत उत्पल, भावना नवीन, भाष्कर झा, रवि
मिश्रा भारद्वाज, जगदानंद झा मनु, आ अजय ठाकुर मोहन मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रुपमे
अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह/ एलीह।बर्ख 2011 केर दिसम्बर मासमे प्रभात राय भट्ट, अनिल
जी, श्रीमती इरा मल्लिक, मनोहर कुमार झा, आ प्रवीन नारायण चौधरी जी मैथिली गजलक नव
हस्ताक्षरक रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह।बर्ख 2012 केर जनवरी मासमे रूबी झा, स्वाती
लाल, नितेश झा रौशन आ अमित मिश्र मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा
एलाह।बर्ख 2012 केर फरवरी मासमे कुमार पंकज झा आ निशांत झा मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक
रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह। आ बर्ख 2012 केर मार्च 20 धरि चंदन झा मैथिली गजलक
नव हस्ताक्षरक रुपमे अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह। एहि आलावे आरो गजलकार सभ छथि मुदा
ओ लोकनि पहिनेसँ रचनारत छलाह। (श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि। हुनक
रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा ई
हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।)
मार्च मास 2012मे कुल 132टा पोस्ट आएल जकर विवरण
एना अछि कुंदन कुमार कर्ण, सुनील कुमार झा, मुकुंद मयंक, त्रिपुरारी कुमार शर्मा, कुमार
पंकज झा,नितेश झा “रौशन”, निशांत झा, भाष्कर झा आ रुबी झाक 1-1टा पोस्टमे 1-1टा गजल
आएल (मने 9टा गजलकारक 9टा गजल) अनिल जीक 2टा गजल आएल। मिहिर झाक 8टा पोस्टमे 3टा गजल,
2टा कसीदा, 2टा रुबाइ आ 1टा बाल गजल आएल। प्रभात राय भट्टक 6टा पोस्टमे 6टा गजल आएल।
ओमप्रकाश जीक 6टा पोस्टमे 4टा गजल आ 2टा आलोचना आएल। चंदन झाक 22टा पोस्टमे 19टा गजल,
आ 3टा बाल गजल आएल। अमित मिश्राक 30टा पोस्टमे 24टा गजल, 3टा हजल आ 3टा बाल गजल आएल।
जगदानंद झा 'मनु” जीक 18टा पोस्टमे रूबी झा जीक 6टा गजल आ आ 1टा बाल गजल प्रस्तुत केलाह
संगहि संग ओ अपन 10टा गजल आ 1टा बाल गजल देलाह। आशीष अनचिन्हारक 31टा पोस्टमे 22 खंडमे
गजलक इस्कूल, 2टा अपने एना अपने मूँह, 1टा पुरस्कार संबंधी घोषणा, 1टा परिचर्चा, 2टा
गजल, 1टा रुबाइ आ संगहि-संग 2टा पोस्टमे कमलमोहन चुन्नूक 2टा गजल प्रस्तुत कएल गेल।
एहि मासक दूटा मुख्य विशेषता अछि पहिल जे 24मार्चकेँ पहिल बेर हमरा द्वारा बाल गजलक
परिकल्पना देल गेलै। आ मात्र 7 दिनक भीतर ई अपन अलग स्थान बनेलक मैथिली गजलमे। दोसर
विशेषता ई जे ऋषि वशिष्ठ केर सहायतासँ मुकुंद मयंक जी नव गजलकारक रूपमे एलाह संगे-संग
कुंदन कुमार कर्ण सेहो गजलकारक रूपमे अनचिन्हार आखर द्वारा एलाह। एहिसँ पहिने ऋषि वशिष्ठ
केर सहायतासँ दीप नारायण विद्यार्थी आ सदरे आलम गौहर जी भेटल छलाह। मैथिली गजल ऋषि
वशिष्ठ जीक ऋणी रहत। (श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि। हुनक रचना अ-मौलिक
सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा ई हुनक अधिकांश
रचना लेल अछि।)
मास अप्रैल 2012मे कुल 135टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि अभय दीपराज, अविनाश झा अंशु, कुंदन कुमार कर्ण, अनिल जी, मिहिर झा आ सदरे आलम
गौहरक 1-1टा पोस्ट भेल। मतलब 6टा पोस्टमे 6टा गजल। मुकुंद मयंक जीक 2टा पोस्टमे 2टा
गजल आएल। नवल श्री जीक 4टा पोस्टमे 1टा गजल आ 3टा बाल गजल आएल। ओमप्रकाश जीक 4टा पोस्टमे
3टा गजल आ 1टा आलोचना आएल। रूबी झाक 7टा पोस्टमे 6टा गजल आ 1टा बाल गजल आएल। प्रभात
राय भट्ट जीक 14टा पोस्ट आएल जाहिमे हुनक 13टा गजल आ 1टा रुबाइ अछि।
अमित मिश्रा जीक कुल 36टा पोस्ट आएल जाहिमे 21टा
गजल, 11टा बाल गजल, 3टा हजल आ 1टा पोस्टम मे 3टा रुबाइ अछि। जगदानंद झा मनु द्वारा
कुल 16टा पोस्ट भेल जाहिमे ओ रूबी झाक 7टा गजल आ 1टा बाल गजल प्रस्तुत केलाह। संगे
संग ओ अपन 6टा गजल आ 2टा बाल गजल देलाह। चंदन झाक कुल 16टा पोस्ट आएल जाहिमे हुनक 10टा
गजल आ 6टा बाल गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 30टा पोस्ट आएल जाहिमे अपने एना अपने मूँह-1टा,
सम्मान संबंधी घोषणा-4टा, गजलक इस्कूल-15टा, परिचर्चा-6टा, 1टा गजल आ 3टा रुबाइ देल
गेल।
ऐ मासमे अविनाश झा अंशु आ नवल श्री (पंकज चौधरी
“नवल श्री” ) जी अनचिन्हार द्वारा नव गजलकारक रूपमे चिन्हित कएल गेलाह। (श्रीमती रुबी
झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि। हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे
हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।)
मास मइ 2012मे अनचिन्हार आखरमे कुल 212टा रचना प्रस्तुत
भेल जकर विवरण एना अछि मुकुंद मयंक जीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि| रूबी झाक 16टा पोस्टमे
15टा गजल आ 1टा बाल गजल अछि| मिहिर झा जीक 16टा पोस्टमे 11टा रुबाइ आ 5टा गजल अछि|
जगदानंद झा मनु जीक 16टा पोस्टमे कुल 9टा गजल आ 7टा रुबाइ अछि| ओमप्रकाश जीक 2टा पोस्टमे
1टा रुबाइ आ 1टा गजल अछि| अनिल जीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल अछि| गजेन्द्र ठाकुर जीक 2टा
पोस्टमे 1टा आलोचना आ 1टा नंद कुमार मिश्र जीक गजल पाठक भिडियो अछि| प्रभात राय भट्ट
केर 9टा पोस्टमे 7टा गजल आ 2टा रुबाइ अछि, अमित मिश्राक 41टा पोस्टमे 16टा गजल, 21टा
रुबाइ, 1टा आलेख, 2टा बाल गजल, 1टा हजल अछि। चंदन झाक 38टा पोस्टमे 1टा बाल गजल,19टा
गजल,2टा हजल,15टा रुबाइ, 1टा कता अछि। आशीष अनचिन्हारक 69टा पोस्टमे 2टा आलोचना,21टा
गजलकार परिचय श्रृखंला, 2टा सम्मान संबंधी घोषणा, 1टा अपने एना अपने मूँह, 7टा रुबाइ,
12टा गजलक इस्कूल, 1टा आलेख,1टा बन्द देल गेल संगहि-संग मुन्ना जीक 17टा गजल प्रस्तुत
कएल गेल, रामलोवन ठाकुर जीक 2टा गजल प्रस्तुत कएल गेल, स्वाती लालक 2टा गजल प्रस्तुत
कएल गेल आ अविनाश झा अंशु जीक 1टा गजल प्रस्तुत कएल गेल। (श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट
हटा देल गेल अछि। हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने
सन हेतन्हि मुदा ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।)
मास जून 2012मे अनचिन्हार आखरमे कुल 202टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि अमित मिश्र जीक कुल 98टा पोस्ट भेल जाहिमेसँ 87टा रुबाइ, 8टा
गजल, 2टा बाल गजल आ 1टा आलोचना अछि। चंदन झा जीक कुल 13टा पोस्ट भेल जाहिमे 10टा गजल,
1टा बाल गजल, आ 2टा रुबाइ अछि। प्रभात राय भट्ट जीक 14टा पोस्टमे 14टा गजल अछि। पंकज
चौधरी नवल श्री जीक 13टा पोस्टमे 10टा गजल आ 3टा बाल गजल अछि। कुंदन कुमार कर्ण जीक
1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। श्रीमती रुबी झा जीक 5टा पोस्टमे 4टा गजल आ 1टा रुबाइ अछि।
मिहिर झा जीक 2टा पोस्टमे 1टा रुबाइ आ 1टा गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक 10टा पोस्टमे
8टा गजल आ 2टा रुबाइ अछि। आशीष अनचिन्हारक 46टा पोस्टमे 15टा गजलकार परिचय शृंखला,
2टा सम्मान संबंधी घोषणा, 1टा मोशायरा, 7टा गजलक इस्कूल, 1टा अपने एना अपने मूँह अछि
संगे-संग 20टा मुन्ना जीक गजल प्रस्तुत कएल गेल।
(श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि।
हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा
ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।)
मास जुलाई 2012मे कुल 110टा पोस्ट अनचिन्हार आखर
पर आएल जकर विवरण एना अछि--------
अमित मिश्र जीक कुल 37टा पोस्टमेसँ 18टा बाल गजल,
11टा रुबाइ आ 8टा गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक कुल 8टा पोस्टमेसँ 4टा बाल गजल, 1टा
हजल आ 3टा गजल अछि| चंदन झा जीक कुल 8पोस्टमे 3टा गजल आ 5टा बाल गजल अछि। ओमप्रकाश
जीक कुल 5टा पोस्टमे 1टा आलोचना, 1टा बाल गजल, 2टा गजल आ 1टा रुबाइ अछि।
पंकज चौधरी (नवल श्री) जीक कुल 9टा पोस्टमे 5टा
गजल आ 4टा बाल गजल अछि। रुबी झा जीक कुल 12टा पोस्टमे 5टा गजल आ 7टा बाल गजल अछि। राजीव
रंजन मिश्र जीक कुल 4टा पोस्टमे 3टा गजल आ 1टा बाल गजल अछि। मिहिर झा जीक 1टा बाल गजल
अछि। कुंदन कुमार कर्ण जीक 1टा गजल अछि। प्रभात राय भट्ट जीक कुल 4टा पोस्टमे 4टा गजल
अछि।
आशीष अनचिन्हारक कुल 21टा पोस्टमे 2टा सम्मानक घोषणा,
1टा अपने एना अपने मूँह, 1टा बाल गजल अछि संगे संग 11टा मुन्ना जीक रुबाइ, श्रीमती
इरा मल्लिक जीक 2टा बाल गजल एवं जवाहर लाल काश्यप, शिव कुमार यादव, क्रांति कुमार सुदर्शन
ओ प्रशांत मैथिल जीक 1-1टा बाल गजल प्रस्तुत कएल गेल। ऐ मासमे राजीव रंजन मिश्र जी,क्रांति
कुमार सुदर्शन, शिव कुमार यादव आ जवाहर लाल काश्यप मैथिली गजलक नव हस्ताक्षरक रूपमे
एलाह।
(श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि।
हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा
ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।
मास अगस्त 2012मे अनचिन्हार आखरपर कुल 101टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि जगदानंद झा मनु जीक कुल 14टा पोस्टमे 9टा गजल, 4टा रुबाइ आ 1टा
हजल अछि। श्रीमती रूबी झा जीक कुल 15टा पोस्टमे 13टा गजल, 1टा बाल गजल आ 1टा हजल अछि।
गुंजन श्री आ ओमप्रकाश जीक 1-1टा पोस्टमे 1-1टा गजल अछि। कुंदन कुमार कर्ण जीक 3टा
पोस्टमे 2टा शेर आ 1टा गजल अछि। गजेन्द्र ठाकुर जीक 1टा पोस्टमे आन-लाइन मोशायरा भाग-2
प्रस्तुत कएल गेल। पंकज चौधरी (नवल श्री) जीक 4टा पोस्टमे 4टा बाल गजल अछि। राजीव रंजन
मिश्र जीक कुल 18टा पोस्टमे 15टा गजल आ 3टा बाल गजल अछि। अमित मिश्र जीक 27टा पोस्टमे
4टा गजल, 9टा बाल गजल, 13टा रुबाइ आ 1टा आलोचना अछि (मुन्ना जीक गजल संग्रह---माँझ
आंगनमे कतिआएल छी) आशीष अनचिन्हारक कुल 17टा पोस्टमे 2टा गजल, 3टा सम्मानक घोषणा, 6टा
गजलक इस्कूल, 1टा रुबाइ, 2टा अपने एना अपने मूँह आ संगे-संग मुन्ना जीक 3टा बाल गजल
सेहो प्रस्तुत कएल गेल अछि।
(श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि।
हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा
ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।)
मास सितम्बर 2012मे अनचिन्हार आखरपर कुल 103टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि उमेश मंडल जीक 2टा पोस्टमे जगदीश प्रसाद मंडल जीक 2टा गजल प्रस्तुत
कएल गेल। गजेन्द्र ठाकुर जीक 2टा पोस्टमे मुन्नी कामत जीक 2टा गजल प्रस्तुत कएल गेल।
ओमप्रकाश जीक 3टा पोस्टमे एकटा आलोचना आ 2टा गजल अछि। रूबी झा जीक 8टा पोस्टमे 7टा
गजल आ 1टा बाल गजल अछि। अविनाश झा अंशु जीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल अछि। पंकज चौधरी नवल
श्री जीक 31टा पोस्टमे 11टा गजल, 9टा बाल रुबाइ, 3टा हजल, 5टा बाल गजल, 2टा रुबाइ,
आ 1टा भक्ति रुबाइ अछि। अनिल जीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल अछि। कुंदन कुमार कर्ण जीक 1टा
पोस्टमे 1टा गजल अछि। विनीत उत्पल जीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। मनीष झा बौआभाइ जीक
1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। चंदन झा जीक 4टा पोस्टमे 4टा विडियो पोस्ट कएल गेल अछि जाहिमे
हुनक अपने स्वरमे हुनक गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक 9टा पोस्टमे 8टा गजल आ 1टा बाल
गजल अछि। अमित मिश्र जीक कुल 33टा पोस्टमे 12टा बाल गजल, 6टा गजल, बाल रुबाइ 12 आ 3टा
रुबाइ अछि। आशीष अनचिन्हारक 4टा पोस्टमे 1टा परिचय श्रृखंला, 1टा अपने एना अपने मूँह
आ 2टा सम्मान संबंधी घोषणा अछि। ऐमासमे अनचिन्हार आखर द्वारा मुन्नी कामत जी मैथिली
गजलमे एलीह।
(श्रीमती रुबी झा जीक सभ पोस्ट हटा देल गेल अछि।
हुनक रचना अ-मौलिक सिद्ध भेल अछि। हमर ई कहब नै जे हुनक सभ रचना एहने सन हेतन्हि मुदा
ई हुनक अधिकांश रचना लेल अछि।)
मास अक्टूबर 2012मे अनचिन्हार आखरपर कुल 53टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि अमित मिश्रा जीक कुल 32 टा पोस्टमे 2टा रुबाइ, 8टा गजल, 9टा
बाल गजल, 12टा बाल रुबाइ आ 1टा आलोचना अछि। जगदानंद झा मनु जीक 6टा पोस्टमे 3टा रुबाइ
आ 3टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक 4टा पोस्टमे 1टा गजल आ 3टा सम्मान संबंधी घोषणा अछि।
बाल मुकुन्द पाठक जीक 8टा पोस्टमे 8टा गजल अछि। विनीत उत्पल जीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल
अछि। गुंजन श्रीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। ओम प्रकाश जीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि।
ऐ मासमे बालमुकुन्द पाठक जी अनचिन्हार आखरक माध्यमें
मैथिली गजलमे एलाह
मास नवम्बर 2012मे कुल 22टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि---गजेन्द्र ठाकुर जीक 1टा पोस्टमे संपूर्ण विदेह पद्य देल गेल। आशीष अनचिन्हारक
8टा पोस्टमे 2टा अपने एना अपने मूँह, 2टा सिलेबस सम्बन्धी पोस्ट, 2टा सम्मान सम्बन्धी
पोस्ट, 1टा गजलकार परिचय शृंखला आ 1टा पोस्टमे आनलाइन मोशायरा देल गेल। ओम प्रकाश जीक
1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक 6टा पोस्टमे 6टा गजल अछि। बाल मुकुन्द
पाठक जीक 6टा पोस्टमे 4टा गजल आ 2टा बाल गजल अछि।
मास दिसम्बर 2012मे कुल 62 टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि गजेन्द्र ठाकुर जीक कुल 9टा पोस्टमे 9टा पोथीक पी.डी.एफ फाइल देल गेल। पंकज
चौधरी नवल श्री जीक कुल 10टा पोस्टमे कुल 10टा गजल आएल। बाल मुकुन्द पाठक जीक कुल 5टा
पोस्टमे 1टा हजल आ 4टा गजल आएल। अमित मिश्रा जीक कुल 28टा पोस्टमे 8टा रुबाइ, 9टा बाल
गजल, 3टा गजल, 1टा कता आ 7टा बाल रुबाइ आएल। जगदानंद झा मनु जीक कुल 6टा पोस्टमे 3टा
रुबाइ आ 3टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 4टा पोस्टमे 2टा सम्मान सम्बन्धी घोषणा,
1टा अपने एना अपने मूँह, आ 1टा पोस्टमे इरा मल्लिक जीक 1टा बाल गजल आएल।
जनवरी 2013मे अनचिन्हार आखरपर कुल 117टा पोस्ट प्रकाशित
भेल जकर विवरण एना अछि अमित मिश्र जीक कुल 79टा पोस्ट भेल जाहिमे 18 पोस्टमे 18टा गजल,
27टा पोस्टमे 27टा बाल गजल, 23टा पोस्टमे 23टा रुबाइ, 7टा पोस्टमे 7टा बाल रुबाइ, 1टा
पोस्टमे किछु माहिया आ 3टा पोस्टमे 3टा कता अछि। सुमित मिश्रा जीक 3टा पोस्टमे 3टा
गजल अछि। बालमुकुन्द पाठक जीक 3टा पोस्टमे 3टा गजल अछि। गजेन्द्र ठाकुर जीक 3टा पोस्टमे
2टामे पुरस्कार समबन्धी सूची, आ 1टा पोस्टमे विदेह पद्य देल गेल अछि। जगदानन्द झा मनु
जीक कुल 7टा पोस्टमेसँ 3टा पस्टमे 3टा गजल, 1टा पोस्टमे 1टा बाल रुबाइ, 1टा पोस्टमे
1टा भक्ति गजल, 1टा पोस्टमे 1टा बाल गजल, आ 1टा पोस्टमे 1टा रुबाइ अछि। पंकज चौधरी
(नवल श्री) क 11टा पोस्टमे 6टा गजल आ 5टा बाल गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 11टा पोस्टमे
2टा गजल, 7टा सम्मान सम्बन्धी घोषणा, 1टा आलेख आ 1टा अपने एना अपने मूँह अछि। ऐ मासमे
सुमित मिश्र जी नव गजलकारक रूपमे एलाह।
मास फरवरी 2013मे कुल 55टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि ओमप्रकाश जीक 2टा गजल आ एकटा आलोचना आएल। अमित मिश्र जीक कुल 33टा पोस्टमे--14
टा हुनक अपने अवाजमे गाएल गजलक वीडियो अछि। 4टा रुबाइ अछि आ 15टा गजल अछि। सुमित मिश्र
जीक 8टा पस्टमे--7टा गजल आ 1टा बाल गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक 1टा बाल गजल, 1टा गजल आ आ 1टा रुबाइ अछि। प्रदीप पुष्प आ बालमुकुन्द
पाठक जीक 1-1टा गजल आएल। आशीष अनचिन्हारक 6टा पोस्टमे--2टा गजल, 3टा सम्मान सम्बन्धी
घोषणा आ 1टा अपने एना अपने मूँहसँ सम्बन्धित पोस्ट अछि। ऐ मासमे प्रदीप पुष्प जी बहर
युक्त गजलकारक रूपमे चिन्हित कएल गेलाह।
मार्च 2013मे कुल 51टा पोस्ट भेल जाहिमे 21टा पोस्टमे
21टा विडियो अछि जैमे शाइरक अपन अवाजमे अपने गजल गाएल अछि। जगदानंद झा मनु जीक 5टा
पोस्टमे 4टा गजल आ 1टा भक्ति गजल अछि। सुमित मिश्र जीक 5टा पोस्टमे 4टा गजल आ 1टा भक्ति
गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक 3टा पोस्टमे 2टा सम्मान सम्बन्धी घोषणा आ 1टा गजल अछि।
अप्रिल मास 2013मे कुल 8टा पोस्ट भेल जैमे अमित
मिश्र केर 4टा पोस्टमे 4टा गजल आ 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। जगदानंद झा मनु के 2टा पोस्टमे
1-1टा गजल आ भक्ति गजल अछि। सुमित मिश्र केर 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि।
मइ मास 2013मे कुल 9टा पोस्ट भेल जैमे जगदानंद झा
मनुक जीक 3टा पोस्टमे 2टा बक्ति गजल आ 1टा
गजल आएल। कुन्दन कुमार कर्ण केर 2टा पोस्टमे 2टा
गजल अछि। बालमुकुन्द पाठक केर 2टा पोस्टमे 2टा गजल अछि। अमित मिश्र केर 2टा पोस्टमे
2टा रुबाइ अछि।
मास जून 2013मे कुल 24टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना
अछि पंकज चौधरी नवल श्री जीक 17टा पोस्ट भेल जाहिमे 15टा गजल आ 2टा बाल गजल अछि। कुन्दन
कुमार कर्ण, अमित मिश्र आ बालमुकुन्द पाठकक 2-2टा गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक 1टा
गजल अछि।
जुलाइ मास 2013मे कुल 6टा पोस्ट भेल जाहिमे कुन्दन
कुमार कर्ण जीक 2टा गजल अछि आ आशीष अनचिन्हारक 4टा पोस्टमे 2टा गजलकार परिचय शृंखला
आ 2टा गजल अछि।
अगस्त मास 2013मे मात्र 1टा पोस्ट भेल जे की अमित
मिश्र द्वारा भेल आ जैमे 1टा गजल अछि।
सितम्बर मास 2013मे कुल 8टा पोस्ट भेल जैमे--
अमित मिश्र जीक 3टा पोस्टमे 3टा गजल, ओमप्रकाश जीक
2टा पोस्टमे 2टा गजल, आ राम कुमार मिश्र, जगदानंद झा मनु, एवं कुन्दन कुमार कर्ण जीक
1-1टा पोस्टमे 1-1टा गजल अछि।
ऐ मासमे रामकुमार मिश्र जी नव गजलकारक रूपनमे चिन्हित
भेलाह।
मास अक्टूबर 2013मे कुल 11 टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि राम कुमार मिश्र जीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल आएल। कुंदन कुमार कर्ण जीक 2टा पोस्टमे
2टा गजल आएल। जगदानंद झा मनु जीक 3टा पोस्टमे 2टा गजल आ 1टा आलोचना आएल। आशीष अनचिन्हारक
4टा पोस्टमे 2टा गजल आ 2टा आलोचना आएल।
नवम्बर 2013मे अनचिन्हार आखरपर कुल 9टा पोस्ट भेल
जकर विवरण एना अछि अमित मिश्राक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 6टा
पोस्टमे---तीन टा गजल, एकटा पोस्टमे योगानंद हीरा जीक गजल प्रस्तुत भेल, एकटा पोस्टमे
चंदन झा जीक 1टा आलोचना प्रस्तुत भेल। 1टा पोस्टमे अपने एना अपने मूँह आएल।
जगदानंद झा मनु जीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल अछि।
मास दिसम्बर 2013मे कुल 20टा पोस्ट भेल जकर विवरण
एना अछि जगदानंद झा मनु जीक कुल 4टा पोस्टमे 4टा गजल आएल। कुंदन कुमार कर्णजीक 1टा
पोस्टमे 1टा गजल आएल। अमित मिश्र जीक 6टा पोस्टमे 6टा गजल आएल। आशीष अनचिन्हारक 10टा
पोस्टमे---4टा गजल, 2टा भक्ति गजल, 1टा अपने एना अपने मूँह आ 2टा पोस्टमे जगदीश चंद्र
ठाकुर अनिल जीक 2टा आलोचना प्रस्तुत कएल गेल।
मास जनवरी
2014मे कुल 38टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि राम कुमार मिश्रजीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल,
राजीव रंजन मिश्रजीक 11टा पोस्टमे 11टा गजल, अमित मिश्रजीक 6टा पोस्टमे 6टा गजल, ओमप्रकाशजीक
1टा पोस्टमे 1टा गजल, कुंदन कुमार कर्णजीक 3टा पोस्टमे 2टा गजल आ 1टा भक्ति गजल, जगदानंद
झा मनु जीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल, मिहिर झाजीक 1टा पोस्टमे 1टा रुबाइ, आ आशीष अनचिन्हारक
13टा पोस्टमे 1टा आलोचना, 3टा सम्मान संबंधी, 2टा गजलकार परिचय,1टा अपने एना अपने मूँह
एवं 6टा गजल आएल।
मास फरवरी-2014मे अनचिन्हार आखरपर कुल 20टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि मिहिर झाजीक कुल 9टा पोस्टमे-2टा रुबाइ,5टा गजल,1टा भक्ति गजल
ओ 1टा बाल गजल अछि। राम कुमार मिश्रजीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। राजीव रंजन मिश्रजीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। ओमप्रकाशजीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 8टा
पोस्टमे--3टा बाल गजल, 4टा गजल ओ 1टा अपने एना अपने मूँह अछि।
मार्च 2014मे कुल 26 टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना
अछि मिहिर झा जीक कुल 6टा पोस्टमे 6टा गजल
आएल। ओमप्रकाशजीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल आएल। जगदानंद झा मनुजीक 2टा पोस्टमे 1टा गजल
आ 1टा भक्ति गजल आएल। गजेन्द्र ठाकुर जीक 1टा पोस्टमे “कथा गोष्ठीमे गजलक लोकप्रियता”
बला लेख आएल। आशीष अनचिन्हारक कुल 16टा पोस्टमे 8टा गजल, 1टा अपने एना अपने मूँह, 1टा
आलोचना, 1टा सम्मान सम्बन्धी, 1टा छंद सम्बन्धी आलेख आएल संगे संग योगानंद हीराजीक
3टा आ जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल जीक 1टा गजल प्रस्तुत कएल गेल।
अप्रैल 2014मे अनचिन्हार आखरपर कुल 17टा पोस्ट भेल
जकर विवरण एना अछि जगदानंद झा मनु, अमित मिश्रक 1-1टा पोस्टमे 1-1टा गजल आएल। कुंदन
कुमार कर्णजीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल आएल। आशीष अनचिन्हारक 13टा पोस्टमे 6टा गजल, 2टा
भक्ति गजल,3टा बाल गजल,1टा अपने एना अपने मूँह आ 1टा पोस्टमे गजलकार परिचय अछि
मइ 2014मे अनचिन्हार आखरपर कुल 4टा पोस्ट भेल जकर
विवरण एना अछि जगदानंद झा मनु जीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 3टा
पोस्टमे 2टा गजल आ 1टा भक्ति गजल अछि।
जून 2014मे कुल 17टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना अछि
जगदानंद झा मनु जीक कुल 3टा पोस्टमे--1टा गजल, 1टा भक्ति गजल आ 1टा रुबाइ अछि। कुंदन
कुमार कर्ण आ अमित मिश्रक 1-1टा पोस्टमे 1-1टा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 12टा पोस्टमे--6टा
गजल, 4टा बाल गजल. 1टा भक्ति गजल आ 1टा अपने एना अपने मूँह अछि।
मास जुलाइ 2014मे अनचिन्हार आखरपर कुल 13टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि राम कुमार मिश्रजीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। कुंदन कुमार कर्णजीक
2टा पोस्टमे 1टा गजल आ 1टा हजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 9टा पोस्टमे 5टा गजल, 1टा
बाल गजल, 2 टा आलोचना, 1टा अपने एना अपने मूँह।
मास अगस्त-2014मे अनचिन्हार आखरपर कुल 13 टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि कुन्दन कुमार कर्णजीक 3टा पोस्टमे 2टा गजल आ एकटा हुनक अपने
स्वरमे गाएल गजलक विडीयो अछि। जगदानंद झा मनुजीक 2टा पोस्टमे 1टा गजल आ 1टा भक्ति गजल
अछि। अमित मिश्र आ रामकुमार मिश्रजीक 1-1टा पोस्टमे 1-1टा गजल अछि। गजेन्द्र ठाकुरजीक
1टा पोस्टमे विदेह भाषा सम्मान संबंधी विवरण अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 5टा पोस्टमे
3टा गजल, 1टा भक्ति गजल आ 1टा अपने एना अपने मूँह अछि
सितम्बर 2014मे अनचिन्हार आखरपर कुल 11टा पोस्ट
भेल जकर विवरण एना अछि। अमित कुमार मिश्र ओ राम कुमार मिश्रजीक 1-1टा पोस्टमे 1-1टा
गजल आएल। कुंदन कुमार कर्णजीक 3टा पोस्टमे 2टा गजल आ 1टा बाल गजल आएल। आशीष अनचिन्हारक
6टा पोस्टमे- 1टा भक्ति गजल, 4 टा गजल आ 1टा अपने एना अपने मूँह अछि।
अक्टूबर 2014मे कुल 18 टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना
अछि कुन्दन कुमारक कर्णजीक कुल 4टा पोस्टमे 3टा गजल ओ 1टा भक्ति गजल अछि। अमित मिश्र
ओ जगदानंद झा मनुजीक 2-2टा पोस्टमे 2--2टा गजल आएल। आशीष अनचिन्हारक कुल 10 टा पोस्टमे
6टा गजल, 1टा अपने एना अपने मूँह, 1टा हजल, 1-1टा बाल ओ भक्ति गजल अछि।
नवम्बर 2014मे कुल 19 टा पोस्ट भेल जकर विवरण एना
अछि कुंदन कुमार कर्णजीक 5टा पोस्टमे कुल 5टा गजल अछि। जगदानंद झा मनुजीक 1टा पोस्टमे
1टा गजल अछि। ओमप्रकाशजीक 2टा पोस्टमे 2टा गजल अछि। अमित मिश्रजीक 1टा पोस्टमे 1टा
गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक कुल 10टा पोस्टमे 7टा गजल, 1टा दू गजला, 1टा बाल गजल, 1टा
अपने एना अपने मूँह, अछि।
दिसम्बर 2014मे “अ.आ” पर कुल 15 टा पोस्ट भेल जकर
विवरण एना अछि जगदानंद झा मनुजीक कुल 4टा पोस्टमे 2टा गजल आ 1-1टा बाल ओ भक्ति गजल
अछि। कुंदन कुमार कर्णजीक कुल 3टा पोस्टमे 2टा गजल आ 1टा बाल गजल अछि। अमित मिश्रजीक
2टा पोस्टमे 1टा गजल अछि आ 1टा पोस्टमे शिव कुमारजी द्वारा लिखल आलोचना प्रस्तुत केने
छथि।
रामकुमार मिश्रजीक 1टा पोस्टमे 1टा गजल अछि। आशीष
अनचिन्हारक कुल 5टा पोस्टमे 2टा गजल, 2टा बाल गजल आ 1टा पोस्टमे अपने एना अपने मूँह
अछि।
जनवरी 2015मे कुल बारह टा पोस्ट भेल जैमे कुंदन
कुमार कर्णजीक तीनटा गजल, एकटा भक्ति गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक एकटा बाल गजल अछि।
आशीष अनचिन्हारक एकटा अपने एना अपने मूँह, दूट बाल गजल, दूटा गजल, एकटा रुबाइ आ एकटा
भक्ति गजल अछि।
फरवरी 2015मे कुल 9टा पोस्ट अछि जैमे कुंदन कुमार
कर्णजीक एकटा गजल, एकटा इंटरव्यू आ एकटा सम्मानक विवरण अछि। जगदानंद झा मनु आ राम कुमार
मिश्रजीक एक-एकटा गजल अछि।आशीष अनचिन्हारक तीन टा गजल आ एकटा बाल गजल अछि।
मार्च 2015मे कुल तीन टा पोस्ट अछि जैमे कुंदन कुमार
कर्णजीक दूटा गजल आ आशीष अनचिन्हारक एकटा गजल अछि।
अप्रैल 2015मे कुल एकटा पोस्टमे आशीष अनचिन्हारक
एकटा गजल अछि।
मइ 2015मे कुल तीन टा पोस्ट भेल जैमे कुंदन कुमार
कर्णजीक दूटा गजल आ आशीष अनचिन्हारक एकटा गजल अछि।
जून 2015मे कुल आठ टा पोस्ट अछि जैमे बाल मुकुंद
पाठकजीक पाँच टा गजल, कुंदन कुमार कर्णजीक एकटा वीडियो आ एकटा गजल अछि। आशीष अनचिन्हारक
एकटा गजल अछि।
जुलाइ 2015मे कुल चारि टा पोस्ट अछि जैमे बालमुकुंद
पाठक जीक दूटा गजल आ आशीष अनचिन्हारक एकटा गजल अछि। एकटा गजलकराक परिचय अछि
अगस्त 2015मे कुल आठ टा पोस्ट भेल जैमे कुंदन कुमार
कर्णजीक चारिटा ओ आशीष अनचिन्हारक चारि टा गजल अछि।
विश्वविद्यालय
लेल गजलक सिलेबस
सभसँ पहिने हमरा द्वारा फेसबुकपर 1 मार्च 2012 केँ गजल मैथिली
भाषा साहित्य पाठ्यक्रममे किएक नै अछि ताहिपर नोट लिखल गेल (भूतमे भऽ सकैए जे केओ गजलकार
एहन काज केने होथि मुदा ओकर सूचना नै अछि आ ने हुनक एहन काज केर कोनो चर्च भेल तँए
आधिकारिक रूपसँ अनचिन्हार आखर आ विदेहकेँ ऐ प्रकियामे पहिल मानल जा सकैए) ई नोट आ ऐपर
आएल टिप्पणी एहि लिंकपर देखल जा सकैए—
https://anchinharakharkolkata.blogspot.in/2012/03/like-unfollow-post-share-delete-prabin.html
आ https://anchinharakharkolkata.blogspot.in/2012/11/1-2012-by-ashish-anchinhar-thursday-1.html एहि मंथनसँ एकटा माडल सिलेबस बनाएल गेल जे एना अछि--
प्रस्तुत अछि एकटा सिलेबसक प्रारूप जे की गजल लेल अछि। ऐ सिलेबसक
प्रारूपकेँ कोनो विश्वविद्यालय लए सकैत छथि। तँ गजलक ई सिलेबस दू खण्डमे अछि--
खण्ड -क
1) गजलक इतिहास उत्पत्ति, विकास, अरबसँ फारस आ भारतक यात्रा
(भारतमे केवल उर्दू मने अरबीसँ फारसी, फारसीसँ उर्दू आ उर्दूसँ मैथिली)
2) मैथिली आ उर्दूक माँझ समानता एवं असमानता भाषिक, स्थानिक,
आर्थिक, राजनैतिक आ धार्मिक दृष्टिकोणसँ।
3) 1905 इ.मे मैथिली गजल लेल उत्प्रेरक तत्व (भारत आ नेपाल दूनू
मिला कऽ)
4) मैथिली गजलक इतिहास उत्पत्ति, विकास, मैथिली गजलक अवरोधक
तत्व (भारत आ नेपाल दूनू मिला कऽ)
5) गजलक व्याकरण गजलक परिभाषा, गजलक प्रकार, गजलक गुण ओ दोष,
शेर, शेरक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष, रदीफ, रदीफक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष,
काफिया, काफियाक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष, काफिया सम्बन्धी नियम (मैथिली भाषानुसार),
बहर, बहरक परिभाषा, प्रकार एवं गुण ओ दोष, गजलक अलावा शेरो शाइरीक आन विधा इत्यादि-इत्यादि।
6) अनचिन्हार आखर आ मैथिली गजल
7) मैथिली गजलक काल निर्धारण (जीवन युग एवं अनचिन्हार युग)
8) मैथिलीमे बाल गजल
9) मैथिलीमे भक्ति गजल
खण्ड-ख
ऐ खण्डमे हिनकर सभहँक बेसीसँ बेसी दू दूटा गजल पढ़ाओल जाए
1) पं. जीवन झा, 2) यदुनाथ झा “यदुवर “, 3) कविवर सीताराम झा,
4) काशीकान्त मिश्र (मधुप), 5) आनंद झा न्यायाचार्य, 6) योगानंद हीरा, 7) विजयनाथ झा,
8) गजेन्द्र ठाकुर, 9) ओमप्रकाश, 10) जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल 11) श्रीमती शांतिलक्ष्मी
चौधरी 12) राजीव रंजन मिश्र,13) अमित मिश्र
हमरा हिसाबें जँ कोनो विश्वविद्यालयक पहिल सत्रमे मने पहिल सालमे
पहिल खण्ड मने (क) रहए आ दोसर सत्र मने दोसर सालमे दोसर खण्ड मने (ख) रहए।
ई छल एकटा गजलक उपर सिलेबसक प्रारूप। जिनका कोनो सुझाव देबाक
छनि से देथु हुनकर स्वागत छनि।
गजल दिवस
मनेबाक सम्बन्धमे भेल कार्यवाही सेहो देखू—
अनिचन्हार आखर गजल दिवस मनेबाक लेल प्रयासरत अछि आ ताहि लेल
जीवन झाजीक नाम कोना प्रस्तावित भेल तकर विवरण एहि तीन टा लिंकपर देखू-
https://anchinharakharkolkata.blogspot.in/2012/04/ashish-anchinhar-10.html
https://anchinharakharkolkata.blogspot.in/2012/04/jan-anand-mishra-10-marchke-maithili.html
https://anchinharakharkolkata.blogspot.in/2012/04/as-hish-anchinhar.html
आ मंथनक बाद निर्धारित भेल जे पं.जीवन झा जीक बर्खीकेँ गजल दिवस
रूपमे मनाएल जाए।
गजलकार परिचय शृंखला
अनचिन्हार आखर मैथिलीक सभ प्रमुख गजलकार (बहरयुक्त आ बिना बहर
बला) सभहँक परिचय शृंखला निकालक जकरा ऐ लिंकपर देखल जा सकैए---http://anchinharakharkolkata.blogspot.in/p/blog-page_632.html (जेना जेना हमरा परिचय भेटैत गेल तेना
तेना हम दैत गेलहुँ। ऐ लेल कोनो वरिष्ठता आ कनिष्ठताक प्रश्न नै हेबाक चाही)
1
जीवन झा
हिनक फोटो हमरा लग एखन उपल्बध नै भेल अछि
आधुनिक मैथिलीक पहिल गजलकार।
परिचय----स्व.जीवन झा जन्म हरिपुर (हरिपुरबा??) गाम (प्रखंड-सरायरंजन,
समस्तीपुर) मैथिली अकादमीसँ प्रकाशित कविवर जीवन झा रचनावलीक जन्म आ मृत्यु 1848-1912
छनि, काशीराजक दानाध्यक्ष पदपर बहुत दिन रहथि, हिनक चारिटा नाटक सुन्दर संयोग, नर्मदा
सट्टक, मैथिली सट्टक आ सामवती पुनर्जन्म।सामाजिक विषयपर मैथिली नाटक लिखबाक प्रारम्भ
ईएह केलनि, संस्कृत परम्परा रखैत फारसीसँ प्रभावित हिनकर नाटक अछि, नाटकक बीचमे ई गीत-गजल
दै छला।
जन्मक कोनो तिथि नै अछि। हिनक मृत्यु इ.1912 केर बैशाख शुक्ल
सप्तमीकेँ अंग्रेजी तिथि-23-4-1912 (मंगल दिन) भेलन्हि। अइ तिथि लेल एकेडमिक (जे कि
बिना पाइ देने अनुसंधानमे रूचि रखैत होथि) लोकनिसँ निवेदन जे ओ सत्यापित करथि।
2
यदुनाथ झा यदुवर
1887-1935
यदुनाथ झा “यदुवर
मुरहो, मधेपुरा
मैथिलीमे हिनक 2टा गजल आ 1टा कौआली उपल्बध अछि।यदुवरजीक
सभ गजल “यदुवर रचनावली” (संपादक रमानंद झा रमण)पर अधारित अछि। यदुवर रचनावलीकेँ गौरसँ
देखलापर पता चलैए जे यदुवर जी भारतीय शास्त्रीय संगीत ओ लोकगीत दूनू अधारपर अपन रचना
केलनि आ संभवतः वएह अधार ओ गजल लेल सेहो लेलनि जे की गलत अछि। 3
3
सीताराम झा 1891-1975
जन्म चौगामा ग्राममे 1891 ई.मे तथा निधन 1975 ई.
मे भेलन्हि । संस्कृतमे ज्योतिष शास्त्रक अनेक रचनाक .अतिरिक्त मैथिलीमे हिनक ’अम्ब
चरित’ (महाकाव्य), ’सूक्ति सुधा,’ लोक लक्षण,’ ’पढ़ुआचरित,’ ’पूर्वापर व्यवहार,’ उनटा
बसात,’ ’अलंकार दर्पण’, ’भूकम्प वर्णन’, ’काव्य षट-रस’, ’मैथिली काव्योपवन’, आदि ग्रन्थ
उपलब्ध अछि । हिनक गीताक मैथिली अनुवाद सेहो उपलब्ध अछि । मिथिला मोदक सम्पादन 1920
ई.सँ 1927 ई. धरि ई कएल ।
हिनक कुल मिला कए 4-5 टा गजल उपलब्ध अछि जे की शुद्ध अरबी बहरपर
अछि
4
काशीकान्त मिश्र “मधुप”
काशीकान्त मिश्र “मधुप” जीकेँ 1970मे (राधा विरह,
महाकाव्य) पर साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त मैथिलीक भेटलनि। प्रशस्त कवि आ मैथिलीक
प्रचार-प्रसारक समर्पित कार्यकर्ता ’झंकार’ कवितासँ क्रान्ति गीतक आह्वान कएलनि । प्रकृति
प्रेमक विलक्षण कवि । ’घसल अठन्नी कविताक लेल कथ्य आ शिल्प-संवेदना दुहू स्तर पर चरम
लोकप्रियता भेटलनि। ई आधुनिक मैथिलीक प्राय; पहिल एहन साहित्यकार छथि जे की गद्य नै
लिखलनि।
मैथिलीमे हिनक एक गोट गजल उपल्बध अछि जे की पूरा-पूरी
अरबी बहरपर अछि।
5
योगानंद हीरा
ई 1950क बाद पहिल गजलकार छथि जे मैथिलीमे पूर्ण
रूपेण अरबी बहरक पालन केलथि। मुदा एही कारणे मैथिली संपादक सभ हिनका कात कए देलकन्हि
मूल नाम---योगानंद दास हीरा
जन्म-30-1-1940
गाम--डुमरी, पत्रालय-गणपतगंज, थाना-राघोपुर, जिला
सुपौल
शिक्षा--हिन्दी भाषामे मास्टर डिग्री
लेखन---मैथिली आ हिन्दी दूनूमे
प्रकाशित पोथी---नीड़ की तलाश, भले आदमी की तलाश
(उपन्यासिका), सिमटती छाया (कहानी संग्रह), एक अच्छा मैं (एकांकी संग्रह), आज की कहानी
(नाटक)। सभ प्रकाशित पोथी हिन्दीमे। मैथिलीमे जल्दिये हिनक पोथी आएत।
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जगदीश चन्द्र ठाकुर “अनिल”
विशेष----अनचिन्हार आखर द्वारा प्रयोजित मैथिली
गजल लेल देल जाए बला ” गजल कमला-कोसी-बागमती-महानंदा सम्मान” लेल हिनका साल 2012 लेल
मुख्य चयन कर्ता बनाएल गेल अछि।
मूल नाम जगदीश चन्द्र ठाकुर, जन्म: 27.11.1950,शंभुआर,
मधुबनी । सेवा निवृत बैंक अधिकारी। मैथिलीमे प्रकाशित पोथी-1. तोरा अडनामे -गीत संग्रह-1978;
2. धारक ओइ पार-दीर्घ कविता-1999
संप्रति- धुरझार गजल लीखि रहल छथि।
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विजय नाथ झा
प्रकाशित गीत-गजल संग्रह----अहींक लेल (प्रकाशन
साल 2008, प्रकाशक -शेखर प्रकाशन)
पिता-प. रतिनाथ झा (पूर्व विभागाध्यक्ष प्राच्य
दर्शन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)
गाम---ग्रम-पोस्ट---तलपुरवा, बाँसी, सिद्यार्थनगर,(उत्तर
प्रदेश)
शिक्षा---विज्ञान स्नातक (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)
वृति---पत्रकारिता आ स्वतंत्र लेखन, आर्यावर्तक
संपादकीय विभागमे विविध सेवा, चुटकुलानंदक चिट्ठी केर लेखन, आकाशवाणी आ दूरदर्शन पटनामे
कविता पाठ आ अन्यान्य तरहँक प्रसारण
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गजेन्द्र ठाकुर,
पिता-स्वर्गीय कृपानन्द ठाकुर, माता-श्रीमती लक्ष्मी ठाकुर,जन्म-स्थान-भागलपुर
30 मार्च 1971 ई., मूल-गाम-मेंहथ, भाया-झंझारपुर,जिला-मधुबनी (बिहार)।
शिक्षा: एम.बी.ए. (फाइनेन्स), सी.आइ.सी., सी.एल.डी., कोविद।
प्रकाशित गजल संग्रह----धांगि बाट बनेबाक दाम अगूबार पेने छँ
विशेष------हिनक पाँचटा मुख्य विशेषता अछि---
1) ई मैथिलीक पहिल अरूजी छथि, आ
2) हिनका माध्यमे मात्र बारह सालमे कुल 350-400टा नवलेखक आ कतिआएल
लेखक सामने अएलाह।
3) अन्तर-महाविद्यालय क्रिकेट प्रतियोगितामे “मैन ऑफ द सीरीज”
(1991), सम्प्रति अमेच्योर गोल्फर|
4) पंजी केर वृहत रूपसँ प्रकाशन
5) अंतर्जाल लेल तिरहुता आ कैथी यूनीकोडक विकासमे योगदान आ मैथिलीभाषामे
अंतर्जाल आ संगणकक शब्दावलीक विकास, मैथिली विकीपीडियाक संस्थापक। गूगल मैथिली ट्रान्सलेटमे
योगदान आ शब्दकोषक वृहत संकलन ओ प्रकाशन। संस्कृत वीथी नाटकक निर्देशन आ ओइमे अभिनय।
लेखन:
प्रबन्ध-निबन्ध-समालोचना भाग-1, सहस्रबाढ़नि (उपन्यास), सहस्राब्दीक
चौपड़पर (पद्य संग्रह) गल्प-गुच्छ (विहनि आ लघु कथा संग्रह), संकर्षण (नाटक), त्वञ्चाहञ्च
आ असञ्जाति मन (दूटा गीत प्रबन्ध), बाल मण्डली/ किशोर जगत (बाल नाटक, कथा, कविता आदि),
उल्कामुख (नाटक), सहस्रशीर्षा (उपन्यास), प्रबन्ध-निबन्ध-समालोचना भाग दू (कुरुक्षेत्रम
अन्तर्मनक-2), धांगि बाट बनेबाक दाम अगूबार पेने छँ (गजल संग्रह), शब्दशास्त्रम (कथा
संग्रह), जलोदीप (बाल-नाटक संग्रह), Learn_Mithilakshara_GajendraThakur.pdf, Learn
Braille through Mithilakshar script ब्रेल सीखू, Learn International Phonetic script
through Mithilakshar script अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला सीखू।
सह-लेखन:
गजेन्द्र ठाकुर, नागेन्द्र कुमार झा आ पञ्जीकार विद्यानन्द झा
MAITHILI-ENGLISH DICTIONARIES
Maithili_English_Dictionary_Vol.I.pdf
Maithili English Dictionary_Vol.II_GajendraThakur.pdf
ENGLISH-MAITHILI DICTIONARIES
VIDEHA ENGLISH MAITHILI DICTIONARY
English Maithili Dictionary_Vol.I_GajendraThakur.pdf
जीनोम मैपिंग (450 ए.डी.सँ 2009 ए.डी.)--मिथिलाक पञ्जी प्रबन्ध,पंजी
(मूल मिथिलाक्षर ताड़पत्र),दूषण पंजी,मोदानन्द झा शाखा पंजी, मंडार- मरड़े कश्यप-प्राचीन,
प्राचीन पंजी (लेमीनेट कएल), उतेढ़ पंजी, पनिचोभे बीरपुर, दरभंगा राज आदेश उतेढ आदि,
छोटी झा पुस्तक निर्देशिका, पत्र पंजी, मूलग्राम पंजी, मूलग्राम परगना हिसाबे पंजी,
मूल पंजी-2, मूल पंजी-3, मूल पंजी-4, मूल पंजी-5, मूल पंजी-6, मूल पंजी-7
शीघ्र प्रकाश्य--
A Survey of Maithili Literature- Vol.II- GAJENDRA THAKUR (Soon)
9
मु्न्ना जी
प्रकाशित गजल संग्रह----माँझ आँगनमे कतिआएल छी।
अन्य प्रकाशित पोथी----प्रतीक (विहनि कथा), हम पुछैत
छी (साक्षात्कार)
शीघ्र प्रकाश्य पोथी----भैया जी (उपन्यास) आ एकटा
हाइकू संग्रह
हिनक अन्य विवरण एना अछि------मूलनाम- मनोज कुमार
कर्ण, जन्म–27 जनवरी 1971 (हटाढ़ रूपौली, मधुबनी), शिक्षा–स्नातक प्रतिष्ठा, मैथिली
साहित्य। वृत–अभिकर्त्ता, भारतीय जीवन बीमा निगम। पहिल विहनि कथा–‘काँट’ भारती मण्डनमे
1995 पकाशित। पहिल कथा–कुकुर आ हम, ‘भरि रात भोर’मे 1997मे प्रकाशित। एखन धरि दर्जनो
विहनि कथा, लघु कथा, क्षणिका, गजल आ विहनि कथा सम्बन्धी आलेख प्रकाशित। मुख्यतः मैथिली
विहनि कथाकेँ स्वतंत्र विधा रूपेँ स्थापित करबाक दिशामे संघर्षरत।
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सुनील कुमार झा
पिता : श्री शंकर झा
माता : इंदिरा देवी
जन्म : 4/5/1988, सोनबरसा राज, सहरसा, बिहार
स्थायी पता - ग्राम पोस्ट : सोनबरसा राज, जिला - सहरसा, बिहार
- 852129
ई मेल - njha61@gmail.com
शिक्षा : नैनपन केर शिक्षा अपन गाम स शुरू केलोंउ आ हाई स्कूल
केर बाद कोनो नीक साधन नई हैबाक कारण ए. एन इंटर कॉलेज, दुमका स इंटर केर पढाई विज्ञान
विषयक संग पूरा केलों। फेर शिक्षा लेल दिल्ली एलोऊ मुदा एतोका रंग में रंगी क नौकरी
पकैड़ लेलोंउ, अखन McCann World Group में
सहायक छी, आ इग्नू स पर्यटन म स्नातक कए रहल छी।
साहित्य : विद्यार्थी जीवन से कविता लेखन मे बड़ रूचि छल, स्कूल आ कॉलेज के कैकटा
मंच पर अपन कविता पाठ कए चुकल छी। 2010 स अंतरजाल पर विदेह स जुड्बाक मौका भेटल, किछु
गजेन्द्र जीक मार्गदर्शन स किछु लिखय लेल प्रेरित भेलोंउ, इ हमर सौभग्य अछि जे विदेह
पर हमर किछु रचना क चुनल गेल, हालाकिं ओतेक नीक नै मुदा साहित्यिक जीवन केर सुरुआत
एतेय स पूर्ण रुपें भेल। फेर फेसबुक केर विदेह ग्रुप पर आशीष जी भेट भेल आ अनचिन्हार
आखर हमरा आकर्षित केलक, आ आशीष जीक मार्गदर्शन स अनचिन्हार आखर पर अपन गजल, रुबाई लिख
लागलहूँ, अखन किछु दिन स ग़ज़ल स दूर भए गेल छी, अर्थक पाछू बेकल रहैत छी त समय के
सेहो आभाव लगैत अछि, ओना नीक शुरुवात के लेल अनचिन्हार आखर पर गज़लक स्कूल केर संगोपान्गाय
अध्यन म लागल छी, गुरुदेव क आशीर्वाद स फेर एही विधा आ आयब। साहित्य केर एकटा नव आवाम देबय लेल हम सदिखन आभारी रहब श्री गजेन्द्र ठाकुर जी आ आशीष जीकँ।
सुनीलजी विदेह आ अनचिन्हार आखरसँ जुड़ल पुरान गजलकार, हाइकूकार
ओ मुकरीकार छथि (संपादक)।
11
शान्तिलक्ष्मी चौधरी
शांतिलक्ष्मीजी मैथिलीक एहन पहिल विदुषी (शाइरा)
छथि जे बहरयुक्त गजल लिखली। सभसँ पहिने अनचिन्हार आखर द्वारा हिनका गजल लिखबाक लेल
प्रेरित कएल गेल। ई गजलक मामिलामे अनचिन्हार आखरक खोज छथि।
कुमारी शांतिलक्ष्मी चौधरी
परिचय: श्रीमति कुमारी शांतिलक्ष्मी चौधरी (विवाहपुर्व-
सुश्री कुमारी शांति), ग्राम गोविन्दपुर, जिला सुपौल निवासी आ राजेन्द्र मिश्र महाविद्यालय
सहरसामे कार्यरत पुस्तकालायाध्यक्ष श्री श्यामानन्द झा केर जेष्ठ सुपुत्री छथिl पुज्यनिया
माताक नाम श्रीमति गंभीरा झाl जन्म वर्ष 1984 मे भेलन्हिl पितामह मूल रूपसँ सुपौल जिलान्तर्गत
कोसीदियरा प्रदेसक बनैनिया गामक निवासी छलाह मुदा कोसीक बाढ़ि मे घरद्वार आ खेत-खरिहान
कटि गेलाक बाद ई लोकनि ओहीठामसँ उपटि अपन कामत गोविन्दपुर (गोविन्दपुर-श्रीपुर) मे
आबि स्थायी रूपसँ बसि गेलाहl ओना तँ गाम मे हिनक पितामहेगण लोकनि लगसँ एक्के चुल्हाक
आदर्श संयुक्त परिवार एखनहु अछि तथापि पिता अपन सरकारी नौकरीक चलितवे बेसीकाल सपरिवार
कायस्थ टोला, सहरसा रहलाह जतयसँ शांतिलक्ष्मी अपन विद्यालयी आ विश्वविद्यालयी शिक्षादीक्षा
पूर्ण केलीह. हिनक शुभविवाह सहरसा जिलान्तर्गत महिषी/आरापट्टी गामक निवासी श्री राजनारायण
चौधरी आओर श्रीमति निभादेवतादेवीक जेष्ठ सुपुत्र श्री अक्षय कुमार चौधरीसँ 4 मई 2009
केँ भेलन्हिl श्री चौधरी दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्ससँ जुड़ल अन्वेषक आओर समाजिक मानवशास्त्री
छथिl श्रीमति शांतिलक्ष्मीक सासुरपक्षक संयुक्त परिवार आओर दिआदबाद लोकनिक दोहटवाड़ी
घर-आँगन सहरसा जिलाक महिषी आओर आरापट्टी दुहु गाममे पसरल अछि आओर ई लोकनि समवेत रूपसँ
एहि दुहु गामकेँ अपन मातृभुमि मानैत रहल छथिl सन् 2009 मे एम.एल.टी. कॉलेज
सहरसा (बीएनएमयू)सँ प्राणीविज्ञानमे स्नाकोत्तरक उपाधि ग्रहण कयलाक बाद, श्रीमति चौधरी
सन् 2010 मे
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतकसँ बी. एड. केर उपाधि ग्रहण केलीहl सम्प्रति बीएनएमयूसँ
प्राणीविज्ञानमे ’डॉकट्रेट इन फिलॉसफी’ (Ph. D.) केर शोधकार्यसँ जुड़ल छथिl प्राकृतिक
विज्ञानसँ स्नातकोत्तर आ शिक्षाशास्त्री स्नातक रहितहुँ एकटा समाजिक मानवशास्त्रीसँ
परिणय-सुत्रमे बन्हलाक उपरान्त हिनके सानिध्यसँ आम जीवन केर सामाजिक बिषय-वोस्तु आ
विशेष कऽ महिलाजन्य सामाजिक समस्या आओर प्रघटनाकेँ बुझवा-समझवा व ओहिपर विमर्श करवामे
शांतिलक्ष्मीक अभिरूचि बेशी बढ़लन्हिl सामाजिक प्रघटनाक अंतर्वस्तुपर हिनक लिखल बहुतो
रास मैथिली कविता, मैथिली गजल, आओर सामाजिक विषयक आलेख मैथिली ई-पत्रिका “'विदेह' प्रथम
मैथिली पाक्षिक ई-पत्रिका” क वर्ष 2010-12 केर अनेको अंक आओर मैथिली ब्लॉग “अनचिन्हार
आखर” पर प्रकाशित भेल अछिl शांतिलक्ष्मी “विदेह” आओर “अनचिन्हार आखर” परिवार केँ अपन
“साहित्यिक बाल्यकालक मातृत्व आँचर” मानैत छथि जकर छाँव मे हिनकर साहित्यिक संस्कार
पलिपोइसकेँ पैघ भेल अछिl हिनक लेखन काज एखनहु अनवरत अछिl कलकत्तासँ छपय वाली मैथिली
पत्रिका “मिथिला दर्शन” क मई-जून 2012 केर अंक (पृष्ठ 39) मे प्रकाशित हिनक दुई गोट
मैथिली गजल सेहो नारी जीवनक अंतर्वस्तुपर लिखल गेल अछिl जूलाई 2012 मे राजेन्द्र मिश्र
कॉलेज सहरसामे “Maoist Naxal Menace: Its Solution” विषयपर आयोजित आओर यु.जी.सी. संपोषित
राष्ट्रिय सेमिनारमे शांतिलक्ष्मी द्वारा प्रस्तुत व्याख्यान केर शीर्षक छल “Maoist
Naxalism: A National Threat and Holistic solution” . अक्टूबर 17-18, 2012 केँ महिषी
गाममे बिहार सरकार पर्यटन मंत्रालय द्वारा आयोजित “उग्रतारा सांस्कृतिक महोत्सव” केर
स्मारिका (पृष्ठ 96-98) मे प्रकाशित हिनक एकटा हिन्दी आलेखक शीर्षक अछि “माहिष्मति
में मैथिल नारी के प्रतिमान” l अंतिका प्रकाशन गाजियावादसँ प्रकाशित होयवाली मैथिली
पत्रिका “अंतिका” केर जून-दिसम्बर 2012 केर अंक मे प्रकाशित हिनक तीन गोट मैथिली कविता
दिल्ली गेंगरेप प्रकरण आओर अन्य सामाजिक व्याधिकी विषयक अंतर्वस्तुसँ सम्बन्धित अछि.
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अनिल कुमार मल्लिक (अनचिन्हार आखर पर “अनिल “नामसँ उपस्थित)
हिनक परिचय हिनक अपने शब्दमे-------
हम अनिल कुमार मल्लिक पिता श्री सुरेन्द्र लाल मल्लिक माता श्रीमती सुशिला
देबी मल्लिक l हमर जन्म 22 दिसम्बर 1962 मे झापा जिला, मेची अंचल, नेपाल मे भेल l हमर
पुर्खा ग्राम महिशारि, थाना सिंघबारा, जिला दरिभंगा सॉ छलाह, करिब 110 साल पहिने राणा
शासन के समय हमर बाबा स्व. जिवनाथ मल्लिक नेपाल अयलाह, सरकारी नोकरी गोश्वारा मे भेटलन्हि
आ बाद मे पटवरिका भेटलन्हि त नेपाल के भऽ क' रहि गेलहूँ हम सभ l हमर 10 कक्षा तक के
शिक्षा झापा के इस्कुल मे भेल, स्नातक तक के शिक्षा हमरा बिरगंज आ काठमाण्डु मे भेटल,
जन प्रशासन बिषय मे स्नातकोत्तर के अन्तिम बरख छल मुदा कारण बस पुरा नहि क' सकलहूँ
l 2 भाई छी, 4 बहिन… हम सभ सॉ जेठ छी भाई के बिबाह बिदेह ग्रुप मे सदस्य छथि श्री बृषेश
चन्द्र लाल, हुनकर जेष्ठ कन्या सॉ भेल l हमर मातृक समैला, ग्राम पोष्ट पचाढी, जिला
दरिभंगा भेल l हमरा मैथिली भाषा आ अपन संस्कृती प्रति के प्रेम हमरा अपन दादी स्व.जोगमाया
देबी सॉ भेटल ओ हमर आदर्श छथि l हम कओलेज के समय मे नाटक सभ लिखैत छलहूँ, गीत इ सभ
गबैत छलहूँ सांस्कृतीक कार्यक्रम सभ मे नेपाली, हिन्दी, बाङ्ला या त फेर राजबंशी भाषा
मे l मैथिली मे लिखनाई बुझू विदेह सॉ जुडला'क बाद मात्र सुरु भेल l मास साइत अक्टूबर
2011 मे पहिल पोष्ट छल “आखर आखर शब्द लिखै छी” l 2 पुत्र'क पिता छी, पत्नी संगीता कुमारी
कर्ण छथि l आशिष जी'क बताओल बेसीक कॉन्सेप्ट पर सरल बर्ण पर गजल लिखैत छी, एकटा दबाई
के कम्पनि मे ब्यवस्थापक छी आ अपनो नीजी ब्यवसाय अछि त समय के कने कमी रहैत अछि l अन्चिन्हार
आखर त कय बेर इ सोचि भिजिट करैत रहलौं की संभवतः हमहूँ सिख जायब मुदा नै सिख सकलहूँ
अखनि धरि l हमरा नेपाल मे लोक मैथिली मे लिखैथ, पढैथ, भाषा के सम्मान भेटै से नीक लगैत
अछि त जे समय भेटैत अछि कोशिष करैत छी, एकर अलावा अपन जन्म स्थान के बच्चा सभऽक शिक्षा
प्रति सचेत छी आ जे संभव होइत अछि करवा'क चेष्टा करैत छी
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मिहिर झा
विशेष----मिहिर जी “अनचिन्हार आखर “द्वारा आयोजित पहिल आन-लाइन मोशायराक
विजेता छथि।
हिनक परिचय हिनक अपने शब्दमे-------
गाम - लखनौर (झंझारपुर)
जन्म - 2 जून 1963
शिक्षा - स्नातक (विज्ञान), स्नातकोत्तर (प्रबंधन)
संप्रति - जे. आई. आई. टी विश्वविद्यालय. नोएडा मे डिप्टी रजिस्ट्रार
परिवार - पत्नी - श्रीमती वंदना झा, पुत्री - श्रुति आ श्रिया, पुत्र
- आशीष
अभिरुचि - साहित्य (पद्य), “अनचिन्हार आखर” के प्रेरणा सों गजल विधा
मे प्रारंभिक प्रयास
आकांक्षा - विश्व स्तरीय साहित्य मे मैथिली साहित्य के शीर्षस्थ देखब
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ओमप्रकाश
हिनक परिचय हिनक अपने शब्दमे-------
हमर नाम ओम प्रकाश झा अछि। हम ओम प्रकाश नामसँ गजल लिखैत छी। हमर बाबूजीक
नाम श्री पीताम्बर झा आ माताजीक नाम श्रीमती रामकुमारी झा अछि। हमर जन्म 05 दिसम्बर
1969 ईस्वी मे हमर नानीगाम चुन्नी, पत्रालय मधेपुर, जिला मधुबनी मे भेल अछि। हमर पैतृक
गाम ड्योढ, पत्रालय घोगरडीहा, जिला मधुबनी अछि। हम छह भाई बहिन मे सबसँ जेठ छी। दसवींक
इम्तहान 1984 मे बीरपुर, जिला सुपौलसँ पास केने छी। अन्तरस्नातक 1986 मे सी. एम. साइंस
कओलेज, दरिभंगासँ आ स्नातक 1990 मे लंगट सिंह कओलेज, मुजफ्फरपुरसँ पास केलहुँ। सरकारी
सेवा मे 1992 मे अयलहुँ। 2001 मे प्रोन्नति भेंटला पर आयकर अधिकारी भेलहुँ आ विभिन्न
स्थानसँ होइत एखन भागलपुर मे पदस्थापित छी।
साहित्यक प्रति प्रेम पितासँ भेंटल अछि। ओहो साहित्य अध्ययन मे बहुत रूचि
राखै छथि आ गोट आध रचना सेहो करैत रहै छथि। हमर पढाई केर विषय विज्ञान रहल मुदा साहित्यक
प्रति प्रेम ओहो समय उत्कट छल आ अपन डायरी मे किछु किछु लिखैत रहै छलौं। मुदा नै ककरो
ओ रचना देखेलियै आ नै सुनेलियै। हम 2010सँ फेसबुक पर सक्रिय भेलौं आ 2011 मे विदेह
ग्रुप मे शामिल कएल गेलौं। इ घटना हमरा लेल परिवर्तनक घटना छल। विदेह पर आदरणीय गजेन्द्र
भाई आ अनुज आशीष भाई (हमरा सदिखन लागैए जे इ हमर हराएल अनुज छथि, जे एकाएक भेंटला)सँ
सम्पर्क भेल। इ दुनू गोटे हमर भीतर मे नुकाएल गजलकार केँ बाहर आनि दुनियाक सामने ठाढ
कऽ देलखिन्ह। ओहि समय आशीष भाई हमरा अनचिन्हार आखर मे योगदान लेल आमन्त्रित केलथि।
अनचिन्हार आखर पर हमरा गजलशास्त्रक नियम सब पढबाक अवसर भेंटल, जे हमरा लेल बहुत उपयोगी
सिद्ध भेल। आशीष भाईक प्रेरणा पर हम अरबी बहर मे गजल लिखनाई शुरू कएलौं। हमर लिखल गजल
अनचिन्हार आखर ब्लाग पर पढल जा सकैए। हम गजलक अलावे कथा, पद्य आ समीक्षा सेहो लिखै
छी, मुदा मुख्य रूपसँ हम गजलकार छी।
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अमित मिश्र
हिनक परिचय हिनकेँ शब्दमे----
बाबू जी-श्री नविन कुमार मिश्र
माँ- श्रीमती विभा देवी हम सम्तीपुर जिलाक रोसड़ा थाना अंतर्गत करियन
नाम क गाम के रहनिहार छी ।हमर जन्म 11 / 1/1993 मे भेल। बाबू जी एकटा किसान छथि तेँए
हमर प्रारंभीक पढ़ाइ गामक इस्कूल मे भेल आ हाइ इस्कूल बैद्यनाथ पूरसँ 2008 मे मैट्रीक
केलौँ । इंटर सी .एम .साइंस काँलेज दरभंगासँ भेल आ एतैसँ गणीतसँ स्नातक क रहल छी ।
हमरा भाषासँ कोनो विषेश प्रेम नै रहल । आ मैथिली आफसनल रहबाक कारण कहियो नै पढ़लौँ
मुदा हमर बाबा स्बर्गीय भोला ईसर {हमर बाबा तक ईसर लिखाइ छल मुदा बाबू जीसँ मिश्र भ
गेल जे की हमर फरीकक आनो चाचा सब लिखै छथि } शिक्षक छलथिन तेँए हम भाषासँ बेसी दूरो
नै छलौं । 2008 मे हम पहिल बेर लिखलौँ जे की एकटा मैथिली मे भगवती गीत छल आ तेकर बाद
प्राय: मैथिली, हिन्दी, भोजपुरी मे गीत आ बाद मे मैथिली मे किछु कविता लिखलौं । हमर
किछु मित्र किछु गीत सब सुनने छलथि आ किछु गामक किर्तन मे गेने छलौँ बाद बाँकी सब डायरीये
मे समेटल छल मुदा 2012 के जनवरी मे विदेहसँ जुड़ला के बाद हमर रचना अपने सबहक संग भेटल
। जनवरीक अन्त मे श्री आशीष अनचिन्हार जीक आशीर्वाद भेटल आ अनचिन्हार आखरसँ भेँट भेल
।
16
चंदन कुमार झा
हिनक परिचय हिनकहि शब्दमे----
पिता-श्री अरूण झा
माता-मीना देवी
जन्म-05-02-1985
ग्राम-सड़रा,मदनेश्चर स्थान
पोस्ट-मदना
थाना-बाबूबरही
जिला-मधुबनी
जन्म-स्थान-सिसवार (मामा गाम मे)
नाना-स्व0 सुशील झा (राजाजी)
आरंभिक शिक्षा-मामा गाम मे (10वाँ धरि)
आँगाक शिक्षा- अन्तर-स्नातक (वाणिज्य) एवं स्नातक (वाणिज्य) दरिभंगासँ,
चंद्रधारी महाविद्यालय.,वित्तीय-प्रबंधन मे डिप्लोमा (वेलिंगकर इन्सटीच्युट आफ मैनेजमेन्ट,मुम्बई)
व्यवसायिक जीवन- एकटा बहुराष्ट्रीय कंपनी मे लेखा-विभाग मे कार्यरत
परिवार-निम्न मध्यम वर्गीय कृषक परिवार
रुचि-अध्ययन-अध्यापन,नाटक-संगीत,सामाजिक सरोकारसँ जुड़ब आ' साहित्यिक
गतिविधि.
साहित्य लेखन-2000 ईस्वीसँ.कएक गोट कविता,लेख ईत्यादि दरभंगा रेडियो स्टेशन
एवं विभिन्न पत्र-पत्रिका सभसँ प्रकाशित-प्रसारित.
किछु व्यक्ति जिनकर अनुकंपासँ कहियो उॠण नहि होयब- श्री विजयकांत मिश्र
(अध्यापक)-कन्हई,श्री शंभूनाथ झा-सुसारी,श्री ताराकांत झा (संपादक,मिथिला समाद),डा0
धिरेन्द्र नाथ मिश्र (मैथिली विभागाध्यक्ष,सी.एम.कालेज)
(हम ई त' नहि कहि सकब जे मैथिलीसँ हमरा कहियो भेँट नहि छल किएक त' हम
मैट्रिकसँ स्नातक धरि सभ दिन एच्छिक विषय के रूप मे एकरा पढलहु.हाँ तखन मैथिली व्याकरणसँ
कहियो भेँट नहि भेल अवश्य. हमरा कहियो मैथिली पढब आ'कि लिखबा मे बेशी दिक्कत नहि भेल
किएक तए जहिना बजैत-सुनैत छी ओहिना लिखैत छी आ' सभ दिन मैथिली साहित्य रुचिकर लगैत
रहल अछि...मुदा, मैथिली मे कविता ईत्यादि हम लिखनाय चालू कएलहुँ एकरा पाँछा हमर पारिवारिक
आर्थिक विपन्नता छल..एकटा एहन समय आयल जखन लगैत रहय जे पढाइ बिचहि मे छोड़य पड़त किएक
त' अभिभावक पढौनिक खर्चा देबय मे असमर्थ भऽ गेल रहथि ..खोलि कय कहियो नहि कहलथि..सभदिन
उत्साहित करैत रहलथि..मुदा जहिया दरभंगासँ गाम जाइत छलौ मासक खर्च अनबा लेल माँ-बाबूजीक
चिन्ता स्पष्टतः दृष्टिगोचर होइत छल..लोकक धिया-पुता गाम अबैछ त' माय-बाप हर्षित होइत
छैक...हमर माय कनैत छल...मुदा, खून बेचि पढेबाक जिद्द आ तइँ पढाइ नहि छोडल भेल...एहि
समय मे परमादरणीय श्री ताराकांत झा जी (संपादक-मिथिला समाद) एकटा सुझाव देलनि जे दरभंगा
रेडियो-स्टेशन मे हरेक-मास किछु कार्यक्रम कऽ किछु धनार्जन कयल जा सकैत अछि आ' मासक
खर्छ निकालल जा सकैत अछि. हमरा ई सुझाव सूट कयलक आ' फेरसँ नव-उत्साहक संग अपने धनार्जन
कय पढबाक विचार ठनलहु. तत्काल एकटा प्राइवेट स्कूल मे मास्टरी पकडि लेलहु...फेर डा.
धीरेन्द्रनाथ मिश्र (तत्काळीन बिभागाध्यक्ष-मैथिली, सी.एम.कालेज) के मार्गदर्शन भेटल..केन्द्रिय
पुस्तकालय, दरभंगा मे भरि दुपहरिया अगबे मैथिली के पोथी पढी
....जे मोन मे अबैत गेल लिखैत गेलहु आ' एक साल मे पचास टासँ बेशी कविता
लिखलहु....आब मोनो लागय लागल..नित नव उल्लास ......रेडियो स्टेशन सेहो 3-4 टा कार्यक्रम
करबाक अवसर देलक...स्नातक खतम भेल..आगाँ पढबाक मोन छल दू टा छोट भाइक भविष्य सोचि अपन
भविष्य दाँव पर लगा देलियैक...रोजी-रोजगारक अवसर मे मुम्बई चलि गेलहु..क्रमशः दिन घुरल
..फेर अपनो जहाँ धरि सकलहु आगाँ पढलहु..(फाइनान्ससँ डिप्लोमा कयलहु).....एखनहु पढतहि
छी...मझिला स्नातक कयलक..छोटका भाइ एखन इंजिनीयरिंग कय रहल अछि...आब संतोष अछि....त्यागक
फल भेटल...हाँ एहि झमेला मे पछिला छह बरख मे साहित्यिक रचनात्मका जेना हेराय गेल छल..मुदा
संजोग जे कलकत्ता स्थान्तरित भेलहुँ..फेर ताराकांजी भेटलाह आ' नवउत्साह पाबि किछु लिखबाक
प्रयास शुरू कयलहु..किछु सफलता सेहो भेटल..आ' फेर विदेह भेटल..एकर सुधि पाठक भेटल..गुरूरूप
मित्र भेटल ......आ' सभटा हेरायल सपना जेना भेट गेल...अरे बाप रे ई कथा त' अनावश्यक
नमहर भेल जा रल अछि..एकरा एतहि खतम करू...अहाँ सभक स्नेह बेर-बेर किछु नव लिखबाक...जिनगीक
गुनबाक लेल प्रेरित करैत रहैत अछि ...एहने स्नेह सभ दिन बनल रहय एतबहि भगवती “वैदेही”सँ
कामना.)
17
जगदानन्द झा 'मनु'
हिनक परिचय हिनकेँ शब्दमे----
हमर गप्प----------
नाम : जगदानन्द झा 'मनु'
पिता : श्री राजकुमार झा
माता : मन्जु देवी
जन्म : 13/11/1973, हरिपुर डीहटोलमे
ग्राम पोस्ट : हरिपुर डीहटोल, मधुबनी
वर्तमान निवास : पूर्वी विनोद नगर, दिल्ली
मो.नो : 09212461006
ई मेल - jagdanandjha@gmail.com
शिक्षा : प्राथमिक- ग्राम हरिपुर डीहटोलमे, आँगाक सबटा सीबीएसई दिल्लीसँ,
देशबन्धु कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालयसँ 1994 मे बिसनेसमे स्नातक, इलेक्ट्रोनिक्समे
डिप्लोमा, कम्पूटर हार्डवेयरमे डिप्लोमा |व्यबसाय : 1994सँ 2011 तक करीब 18 बर्ख तक
इलेक्ट्रोनिक्स फील्डमे अपन बेपार | तीन बर्ख तक पार्ट टाइम एमएलएम व्यबसाय केला बाद
अप्रैल 2011सँ फूल टाइम एमएलएम व्यबसायमे एखन तक |
साहित्य : विद्यार्थी जीवनमे कविता लेखनमे रूचि मुदा गृहस्थ जीवनमे सबटा
बिसरा गेल | अक्टूबर 2011, श्री गजेन्द्र ठाकुर जी विदेह ग्रुपसँ जोरलाह, आ ओतएसँ हमर
साहित्यक जीवन शुरू भेल | विदेह पर सभकेँ नीक-नीक लिखैत देखि हमरो भितरक मरल साहित्यिक
स्नेह बाहर निकलल, दू-तीन टा कविता लिख विदेहक देबाल पर देलियै | पाठकक वाह-वाही पढि
नीक लागल | आगु लिखैक प्रेरणा भेटल | संगे अपन कविताकेँ विदेह ई पत्र पर छपल देख आओर
खुशी भेटल | मुदा हमर मैथिली भाषाक पक्ष बड्ड कमजोर छल, एखनो अछिए | नम्बर 2011 मे
गुरुबर आशीष अनचिन्हारजी विदेह ग्रुपकेँ आशिर्वादे भेट भेलाह आ ओहिठामसँ हुनक मार्गदर्शनमे
शुरू भेल हमर गजल आ मैथिली लिखैक यात्रा | ओकर बादक सभ किछ अपने लोकिनकेँ सामने अछि
| हमर जीवनमे साहित्यक कोनो जगह अछि तँ ओहि लेल हम आभारी छी मार्गदर्शक श्री गजेन्द्र
ठाकुर जीकँ आ गुरुबर श्रीआशीष जीकँ |
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पंकज चौधरी “नवलश्री”
प्रस्तुत अछि हिनक परिचय हिनकहि शब्दमे---
माएक नाउ : श्रीमती वन्दना देवी [गृहणी]
बाबूजीक नाउ : श्री भागेश्वर चौधरी [लोक स्वास्थ्य अभियंत्रणा विभाग (बिहार
सरकार)मे कार्यरत]
जीवनसंगिनी : मनीषा चौधरी [स्नातक (प्रतिष्ठा), बी.एड.]
जन्मतिथि : 11-09-1980
जन्मस्थान : राजनगर (मधुबनी,
मिथिला)
निवासी : गाम एवं पत्रालय- सुगौना
(चौधरी पट्टी)
प्रखण्ड - राजनगर,
जिला-मधुबनी, मिथिला
शिक्षा :
प्रारंभिक : सेंट एंड्र्यूज स्कूल,
भागलपुरसँ
माध्यमिक : अनूप उच्च विद्यालय,
भटसिमरीसँ
अंतर-स्नातक : यू पी वर्मा महाविद्यालय, मुंगेरसँ (विज्ञान विषयक संग)
स्नातक : रामकृष्ण महाविद्यालय,
मधुबनीसँ (वाणिज्य विषयमे प्रतिष्ठा)
सम्प्रति आइ. सी. ए. आइ. (नव दिल्लीसँ) सी. ए. (फाइनल) आ आइ. सी. एस.
आइ. (नव दिल्लीसँ) सी. एस. (फाइनल)मे अध्ययनरत। संगहिं एकटा निजी कम्पनीमे प्रबंधक
(वित्त एवं कर) पदपर कार्यरत।
रुचि :
साहित्यिक गतिविधि, संगीत, अध्ययन-अध्यापन
साहित्यक क्षेत्रमे पहिल डेग :
पारिवारिक पृष्ठभूमिमे साहित्य कतहु नै छल। अंतर-स्नातक विज्ञानसँ आ स्नातक
वाणिज्यसँ रहल मुदा तइयो साहित्य आ संगीत प्रति अनुराग सभदिन बनल रहल। चिट्ठी लिखबाक
स'ख शुरुएसँ रहल। चिट्ठी सभके आकर्षक बनेबाक उद्देश्ये ओहिमे तुकबन्दीक किछु पांति
सभ सेहो जोड़य लगलहुँ। आरम्भमे कविता, शायरी, कथा आ गीत प्रति प्रमुख आकर्षण रहल। अन्तर-स्नातकमे
रही त' पहिल (हिन्दी भाषामे) कविता लिखने रही। तदुपरान्त निरंतर किछु-किछु लिखबाक प्रयास
करैत रहलहुँ। कॉपीक आगाँक पन्ना दिससँ शैक्षणिक आ पाछाँ दिससँ साहित्यिक गतिविधि निरंतर
चलैत रहल। ओहि समयावधिमे भरिसके कोनो एहन कॉपी छल होएत जाहिमे पाछाँ दिससँ किछु पन्ना
पर तुकबन्दीक मोसि नहि टघरेने होए।
मैथिलीमे रचनाक आरम्भ :
आरंभिक शिक्षा भागलपुरसँ भेल मुदा घ'रक वातावरण सभदिन मैथिलीमयी रहल।
धिया-पुतामे मैथिली-संस्कारक संचरण होइत रहए, एहि कारणें माए-बाबूजी शहरमे रहितो परिवारमे
संवादक माध्यम मैथिलीए बनने रहलनि। नेनपनेसँ मैथिली प्रति हमरा बड्ड स्नेह रहल मुदा
अंतर-स्नातक पूरा होए धरि रचनाक मादे मैथिलीमे किछु विशेष नै केलहुँ। स्नातक-अवधिमे
मैथिली प्रति प्रेम जागल। आ से एना जागल जे हिन्दीमे लिखब बन्न भऽ गेल। वर्ष 2001मे
पहिल मैथिली कविता “माए मैथिली छथि आह्वान करैत” लिखलहुँ जे वर्ष 2012मे “मिथिमीडिया”
आ “मैथिली दर्पण”सँ प्रकाशित सेहो भेल।
गजलकार रूपमे स्थान आ सम्मान :
वर्ष 2012 हमर लेखनी लेल विशिष्ट रहल। वर्षारंभमे मुखपोथीसँ जुड़लहुँ।
मार्चमे आदरणीय गजेन्द्र ठाकुरजी जहन “विदेह” समूहसँ जोड़लन्हि त' साहित्यक कएक टा अमूल्य
रत्न सभसँ भेंट भेल। तदुपरान्त आशीष अनचिन्हार जी “अनचिन्हार आखर”सँ जुड़बा लेल हकारलन्हि।
ओना त' रचना हम मुखपोथी, विदेह आ अनचिन्हार आखरसँ जुड़बासँ पहिलेहो करैत रही मुदा जँ
“गजलकार” रूपमे हमरा स्थान आ सम्मान भेटल अछि त'
श्रेय हम निःसंकोच “विदेह” आ “अनचिन्हार आखर” कें देब। अनचिन्हार आखर आ आशीष अनचिन्हारजीसँ गजलक मादे बहुत किछु सिखबाक-बुझबाक
लेल भेटल। विशेष क' गजलक व्याकरण पक्षमे। मार्च 2012सँ निरन्तर लिखैत रहलहुँ आ पाठकवर्गसँ सुझाव आ सहयोगक
अपेक्षे “मुखपोथी” आ “अनचिन्हार आखर” पर परसैत रहलहुँ। रचनाकार आ पाठक लोकनिक अपूर्व
सहयोग आ समर्थन भेटल। प्रोत्साहनसँ आर मेहनति करबाक लेल मनोबल भेटैत रहल।
विदेह आ अनचिन्हार आखरसँ जुड़लाक एक्के मास बाद अनचिन्हार आखर द्वारा प्रायोजित
“गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा” (बाल-गजल श्रेणी) सम्मानक पहिल चरण (मास अप्रैल 2012)
लेल हमर एकटा बाल-गजल चयनित भेल। तदुपरान्त मास दिसंबर 2012 (पहिल चरण) लेल हमर एकटा
गजल सेहो चुनल गेल। वर्ष-2012 लेल “गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा” (गजल श्रेणीमे) सम्मान
सेहो भेटल। मुख्य चयनकर्ता श्री जगदीश चन्द्र ठाकुर “अनिल” जीक प्रोत्साहन आ आशीष भेटल।
संगहि एहि सम्मानक बाल-गजल श्रेणीमे श्रीमती प्रीती ठाकुरजी हमर बाल-गजलकें सराहलन्हि
आ एकरा “तेसर स्थान” पर रखलन्हि।
“विदेह” आ “अनचिन्हार आखरसँ” जुडलाक बाद पहिने “सरल-वार्णिक बहर” आ तदुपरांत
“अरबी बहर” मे सेहो बहुत रास गजल कहलहुँ। आइ धरि लगभग सवा-सए गजल (गजल, बाल-गजल, भक्ति-गजल
आ हजल मिला कँ) कहि चुकल छी आ लगभग 10-12 टा गजलकें पूर्ण रूप देब शेष अछि। एहि पाछाँ
हमर मेहनति जे हो मुदा साहित्यिक संगी आ मार्गदर्शक लोकनिक सहयोग आ सुझाव सेहो महत्वपूर्ण
अछि। एहि सहयोगक बिना एतेक आगाँ बढ़ब सहज नै।
रचनाक प्रकाशन/प्रसारण/संकलन :
गजलक अलावा कविता, गीत, कथा, आलेख, रुबाई, हाइकू आदि सेहो लिखैत रहलहुँ
अछि मुदा रचनामे गजलक बहुलता रहल अछि। मुखपोथीक अलावा बहुत रास गजल, कविता, गीत, कथा,
आलेख पत्र-पत्रिका (विदेह-इ पत्रिका, मिथिमीडिया, श्री-मिथिला, मैथिली दर्पण, मिथिलांचल-टुडे,
स्मारिका आदि)मे सेहो छपैत रहल अछि। अगस्त
2012मे हमर एकटा हजल “हौ दैव किएक विआह केलहुँ …” जनकपुर (नेपाल) एफ.एम. (रेडियो)सँ
प्रसारित सेहो भेल। कार्यक्रमक संचालक आदरणीय धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक बड्ड प्रोत्साहन
भेटल। आदरणीय “तारानन्द वियोगी” जीक सुझाव आ भाइ “रौशन चौधरी” जीक सहयोगसँ अपन रचना
सभके एकठाम समेटबा आ सरियेबाक उद्देश्यसँ नवम्बर 2012मे ” www.aanjur.in” नाउसँ एकगोट जालवृत सेहो बनवेलहुँ।
जालवृतक माध्यमे सेहो बहुत रास प्रोत्साहन भेटल।
धन्यवाद ज्ञापन :
साहित्य आ संस्कार दुनु क्षेत्रमे हमर जे अर्जन अछि तकर पूर्ण श्रेय हम
अपन माए-बाबूजी-भाए-बहिनकें देबए चाहब। संगहि गुरु श्री मुनीन्द्र नाथ मिश्र आ श्री
जीवेश्वर चौधरी सदिखन पथप्रदर्शक रूपमे आशीष दैत रहलनि अछि। साहित्यिक बाटमे सेहो किछु
एहन सखा आ मार्गदर्शक (गजेन्द्र ठाकुर, आशीष अनचिन्हार, चन्दन झा, राजीव रंजन मिश्र,
अमित मिश्र, मनु भाइ, ओम प्रकाश झा, मिहिर झा, गुंजनश्री, आदि) सभ भेटलन्हि जनिका बिनु
सभ बेमानी, सभकिछु सुन्ना। ऋणी छी पाठक लोकनिक जे अपन व्यस्त जीवन-शैलीसँ समय निकालि
हमर रचना सभ पढ़लनि आ समुचित प्रोत्साहन आ मार्गदर्शन केलन्हि। संगहि आभार ओहि सभ व्यक्ति/संस्था
प्रति जे हमर रचना सभके प्रकाशन/प्रसारण योग्य बुझलन्हि।
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कुन्दन कुमार कर्ण:
जहाँ धरि हमर जानकारी अछि कुंदन कुमार कर्ण नेपालक पहिल शाइर छथि जे की
अरबी बहरमे गजल कहि रहल छथि। (संपादक -अनचिन्हार आखर)
नाम : कुन्दन कुमार कर्ण
पिता : श्री शुशिल लाल कर्ण
माता : भारती कर्ण
जन्मतिथि : 23 Dec, 1988
जन्मस्थान : गा.वि.स. जमुनीमधेपुरा, वार्ड नं.-8, पोस्ट : राजविराज, जिला-
सप्तरी, नेपाल
मूल वृति : नेपाल सरकारक नोकरीहारा (गृह-मन्त्रालय अन्तर्गत)
शिक्षा :
स्नातक (ब्यवस्थापन) : त्रिभुवन विश्वविद्यालय, श्री महेन्द्र बिन्देश्वरी
बहुमुखी क्याम्पस, राजविराज
स्नातकोत्तर (ब्यवस्थापन) : इन्दिरा गान्धी खुला विश्वविद्यालय, नव दिल्ली
(अध्ययनरत)
रूचिक क्षेत्र : साहित्य, गीत, संगीत, अध्ययन, उदघोषण
हिनक किछु शब्दह हिनकहि शब्दमे---
हम एकटा सामान्य मध्यम वर्ग परिवारसँ छी । परिवारमें बाबू जी आ माय सहित
हमरासँ छोट दू भाइ छैक । कनियेटासँ साहित्य, गीत, संगीतमें हमर रूचि रहि आएल छैक ।
हमर पहिल मैथिली कविता 'अभिनव' नामक मैथिली साहित्यिक द्वैमासिक पत्रिकामें अक्टुबर,
2003 में प्रकाशित भेलए । हम मैथिली गजल 2005सँ लिखकें प्रारम्भ केलौं मुदा आधिकारिक
रूपसँ पहिलबेर नेपालक पहिल पत्रिका(सरकारी पत्रिका) 'गोरखापत्र'में 18 सितम्बर, 2012
में प्रकाशित भेलए । अभिनयकें क्रममें मैथिली कवि परिषद, राजविराजद्वारा सञ्चालित एकटा
कार्यक्रम अन्तर्गत नेपालक सात जिला : मोरंग, सुनसरी, सप्तरी, सिराहा, धनुषा, महोत्तरी
आ सर्लाहीकऽ विभिन्न ठाममें सडक नाटकमें सहभागी भऽ अभिनय केलौं । वर्तमान समयमें कार्यव्यस्तता
रहितौ समय निकालिकऽ गजल रचना करैत छी । मैथिली गजलकें लोप्रियताके लेल गजलप्रित पूर्ण
रूपेन समर्पित फेसबुकपर मैथिली गजल एवं शेर-ओ-शायरी सम्बन्धि 'मैथिली गजल भंडार' नामक
एकटा समूह आ ओहि नामसँ एकटा पेज संचालनकऽ मैथिली गजलसँ सम्बन्धित विभिन्न काममें लागल
रहैत छी । एहि क्रममें फेसबुकपर आशिष अनचिन्हार जीसँ भेट भेलए । ओ हमरा अनचिन्हार आखरसँ
जोडलखिन जाहिसँ हमरा गजल रचना सम्बन्धी आर ज्ञान भेटलए तेँ हम हुनक आभारी छी । संगे
आशिष जीसँ जानकारी भेटल जे अरबी बहरमें गजल रचना कयनिहार हम नेपाल पहिल मैथिल गजलकार
छी । ई सुनि कऽ हम बहुत खुशी भेलौं आ गजल रचना करऽ लेल हमरा एकटा नव उमंग आ उत्प्रेरणाके
प्राप्ति भेलए ।
20
प्रस्तुत
अछि समवेत गजलकार परिचय। किछु गजलकारक विस्तृत परिचय देबाक इच्छा छल, मुदा बेर-बेर
आग्रहक बाबजूद ओ लोकनि नेट पर उपल्बध रहितो अपन परिचय नै पठा सकलाह तँए मात्र हुनक
नामोल्लेखसँ काज चला रहल छी---
त्रिपुरारी
कुमार शर्मा, विकास झा रंजन,रोशन, दीप नारायण विद्यार्थी,प्रवीन नारायण चौधरी प्रतीक,
विनीत उत्पल, भावना नवीन, भाष्कर झा, रवि मिश्रा भारद्वाज, अजय ठाकुर मोहन, प्रभात
राय भट्ट, श्रीमती इरा मल्लिक, मनोहर कुमार झा, प्रवीन नारायण चौधरी, स्वाती लाल, नितेश
झा रौशन,कुमार पंकज झा, उमेश मंडल, मनीष झा बौआ भाइ, अभय दीपराज, मनोज, मुकुंद मयंक,
अविनाश झा अंशु| राजीव रंजन मिश्रा, राम कुमार मिश्र, नीरज कर्ण आदि। ऐठाम ई विशेष
उल्लेखनीय जे वर्तमानमे राजीवरंजन मिश्रजी करीब 800सँ उपर बहर युक्त गजल लीखि चुकल
छथि।
मैथिलीक
बहर युक्त पोथीक सूची--
चूँकि
प्राचीन गजलकार सभहँक गजल संपादित पोथी सभमे अछि आ उपरमे ओकर चर्च भऽ चुकल अछि तँए
ऐठाम हम तकर बादक बला पोथीक सभहँक विवरण दऽ रहल छी।
1)
अहींक लेल --वर्णवृतपर आधारित अछि। शाइर विजय नाथ झा (ऐमे कुल 78 टा गजल आ 43 टा कविता
अछि)
2)
अनचिन्हार आखर---सरल वार्णिक बहरपर आधारित अछि। शाइर आशीष अनचिन्हार (प्रकाशन वर्ष-2011,
ऐमे कुल 30 पृष्ठक गजलक संक्षिप्त परिचय, 78 टा गजल, 32 टा रुबाइ, आ 2 टा कता अछि।
ई श्रुति प्रकाशन, दिल्लीसँ प्रकाशित अछि। मूल्य 200 टका)
3)
धांगि बाट बनेबाक दाम अगूबार पेने छँ --सरल वार्णिक बहर आ वर्णवृतपर आधारित अछि। शाइर
गजेन्द्र ठाकुर (प्रकाशन वर्ष 2012, ऐमे कुल 58 पृष्ठक गजल शास्त्र आलेख, 1 टा रुबाइ,
2 टा कता आ 37 टा गजल अछि। ई श्रुति प्रकाशन, दिल्लीसँ प्रकाशित अछि।)
4)
माँझ आँगनमे कतिआएल छी--सरल वार्णिक बहरपर आधारित अछि। शाइर मुन्ना जी (प्रकाशन वर्ष
2012, ऐमे कुल 50टा गजल आ 11 टा रुबाइ अछि। ई श्रुति प्रकाशन, दिल्लीसँ प्रकाशित अछि।)
5)
नव अंशु--सरल वार्णिक बहर आ वर्णवृतपर आधारित अछि। शाइर अमित मिश्र (प्रकाशन वर्ष 2012,
ऐमे कुल 90टा गजल, 6 टा हजल आ 16 टा रुबाइ अछि। ई श्रुति प्रकाशन, दिल्लीसँ प्रकाशित
अछि।)
6)
मोनक बात--सरल वार्णिक बहर आ वर्णवृतपर आधारित अछि। शाइर चंदन झा (प्रकाशन वर्ष 2012,
ऐमे कुल 66 टा गजल, 2 टा हजल, 33 टा रुबाइ, 15 टा बाल गजल आ 1 टा कता । ई श्रुति प्रकाशन,
दिल्लीसँ प्रकाशित अछि।)
7)
कियो बूझि नै सकल हमरा--सरल वार्णिक बहर आ वर्णवृतपर आधारित अछि। शाइर ओम प्रकाश (प्रकाशन
वर्ष 2012, ऐमे कुल 87 टा गजल, 8 टा रुबाइ आ 1 टा कता । ई श्रुति प्रकाशन, दिल्लीसँ
प्रकाशित अछि)
8)
नढ़िया भुकैए हमर घराड़ीपर---सरल वार्णिक बहर आ वर्णवृतपर आधारित अछि। शाइर जगदानंद
झा मनु। प्रकाशक श्रुति प्रकाशन। प्रकाशन वर्ष 2014, विदेहक पोथी डाउनलोडपर ई-वर्सन
प्रकाशित
9)
निश्तुकी--सरल वार्णिक बहरपर आधारित अछि। शाइर उमेश मंडल (ऐमे 2 टा गजल अछि)
10)
क्षणप्रभा--सरल वार्णिक बहरपर आधारित अछि। शाइर शिव कुमार झा टिल्लु (ऐमे 2 टा गजल
अछि)
11)
गजल गंगा (शाइर जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल, 2015, विदेहक पोथी डाउनलोडपर ई-वर्सन प्रकाशित)
12)
नेपालक नोर मरुभूमिमे---(शाइर बिंदेश्वर ठाकुर ऐमे 12टा गजल आ 28टा रुबाइ, कता समेत
किछु स्वतंत्र शेर, लघुकथा, विहनिकथा आ कविता अछि, प्रकाशक श्रुति प्रकाशन, वर्ष 2014)
13)
जे कहि नञि सकलहुँ ---शाइर दीप नारायण विद्यार्थी
“अनचिन्हार
आखर” मैथिलीक पहिल आ एखन धरिक एकमात्र गजल केन्द्रित पत्रिका अछि। ई सूची अपना आपमे
अपूर्ण अछि समय-समय पर अपेक्षित सुधार होइत रहत। अहूँ सभहँक सहयोग अपेक्षित अछि।
अनचिन्हार
आखर आ मैथिली गजलक आलोचना
आधुनिक
व्याकरणयुक्त गजल आलोचनाक बात करी तँ सभसँ पहिने रामदेव झा जी द्वारा लिखल ओ रचना पत्रिकाक
जून 1984मे प्रकाशित ओहि लेख केर चर्चा करए पड़त जकर शीर्षक "मैथिलीमे गजल"
छल। हमरा जनैत ई लेख ओहि समयक हिसाबें मैथिली गजल आलोचनाक सभ मापडंद पूरा करैत अछि
(वर्तमान समयमे रामदेव झाक जीक पुत्र सभ एही आलेखसँ वर्तमान गजलकेँ मापै छथि आ ई हुनकर
सीमा छनि। ईहो कहब उचित जे वर्तमान समयक हिसाबें ओ आलेख औसत स्तरक अछि मुदा एही कारणसँ
एकर महत्व कम नै भऽ जेतै)। ओना ई उल्लेखनीय जे ईहो आलेख गजलक विधानकेँ ओझरा कऽ राखि
देने अछि कारण एहि लेखमे गजलक बहरकेँ मात्रिक जकाँ मानल गेल छै जे कि वस्तुतः लेखक
महोदय केर सीमा छनि। वर्णवृत छंदमे हरेक पाँतिक मात्राक जोड़ एकै अबै छै आ मात्रिक
छंदमे सहो। हमरा जनैत रामदेव झा जी एहीठाम भ्रममे फँसि गेलाह। वर्णवृतमे लघु-गुरू केर
नियत स्थान होइत छै मुदा मात्रिक छंदमे लघुक स्थानपर दीर्घ सेहो आबि सकैए आ दीर्घक
स्थानपर लघु सेहो। मुदा गजलक बहर वर्णवृत छै। तथापि कमसँ कम ओहि समयमे ई कहए बला कियो
सेहो भेलै जे गजलमे विधान होइत छै आ सएह एहि आलेखक पहिल विशेषता अछि। एहि आलेखक दोसर
विशेषता ई जे रामदेव झाजी प्राचीन मैथिली गजलकार सभहँक नाम देने छथि जे कि सभ गजलक
इतिहासकार ओ पाठक लेल उपयोगी अछि। एहि आलेखक तेसर विशेषता अछि जे रामदेव झाजी स्पष्ट
स्वरमे ओहि समयक बहुत रास कथित क्रांतिकारी गजलकार सभहँक गजलकेँ खारिज करै छथि जे कि
ओहि समयक हिसाबसँ बड़का विस्फोट छल। ई आलेख ततेक प्रभावकारी भेल जे ओ समयक बिना व्याकरण
बला गजलकार सभ छिलमिला गेलाह आ एहि आलेखक विरोधमे विभिन्न वक्तव्य सभ देबए लगलाह। उदाहरण
लेल सियाराम झा सरस, तारानंद वियोगी, रमेश ओ देवशंकर नवीनजीक संपादनमे प्रकाशित साझी
गजल संकलन "लोकवेद आ लालकिला" (वर्ष 1990) केर कतिपय लेख सभ देखल जा सकैए
जाहिमे रामदेव झाजी ओ हुनक स्थापनाकेँ जमि कऽ आरोपित कएल गेल अछि। ओही संकलनमे देवशंकर
नवीन अपन आलेख "मैथिली गजलःस्वरूप आ संभावना"मे लिखै छथि जे
"............पुनः डा. रामदेव झाक आलेख आएल। एहि निबन्ध मे दू टा बात अनर्गल ई
भेल जे गजलक पंक्ति लेल छंद जकाँ मात्रा निर्धारित करए लगलाह आ किछु एहेन व्यक्तिक
नाम मैथिली गजल मे जोड़ि देलनि जे कहियो गजल नै लिखलनि"
आन
लेख सभमे एहने बात सभ आन आन तरीकासँ कहल गेल अछि। रामदेव झाजीक आलेखक बाद एहन आलेख
नै आएल जाहिमे गजलकेँ व्याकरण दृष्टिसँ देखल गेल हो कारण ताहि समयक गजलपर कथित क्रांतिकारी
गजलकार सभहँक कब्जा भऽ गेल छल। कोनो विधा लेल आलोचना प्राण होइत छै तँइ "अनचिन्हार
आखर" अपन शुरूआतेसँ आन काजक अतिरिक्त गजल आलोचनापर सेहो ध्यान केंद्रित केलक आ
मैथिली गजलक अपन आलोचक सभकेँ चिह्नित कऽ बेसी आलोचना लिखबेलक। आ एही कारणसँ मैथिली
गजल आब ओहन आलोचक सभसँ मुक्त अछि जे कि मूलतः साहित्य केर आन विधाक आलोचक छथि आ कहियो
काल गजलक आलोचना कऽ गजलपर एहसान करै छथि। ई पाँति लिखैत हमरा गर्व अछि जे मैथिली गजलकेँ
आब छह-सात टासँ बेसी अपन आलोचक छै। अनचिन्हार आखर जे-जे गजल आलोचना लिखबा कऽ प्रकाशित
करबेलक तकर विवरण एना अछि----
1)
गजलक साक्ष्य (तारानंद वियोगी जीक गजल संग्रह केर आशीष अनचिन्हार द्वारा कएल गेल आलोचना)
2)
बहुरुपिया रचनामे (अरविन्द ठकुर जीक गजल संग्रह केर ओमप्रकाश जी द्वारा कएल गेल आलोचना)
3)
घोघ उठबैत गजल (विभूति आनंद जीक गजल संग्रह केर ओम प्रकाश जी द्वारा कएल गेल आलोचना)
4)
विदेहक 103म अंकमे प्रकाशित प्रेमचंद पंकजक दूटा गजलक समीक्षा जे की ओमप्रकाश जी केने
छथि
5)
मुन्नाजीक गजल संग्रह "माँझ आंगनमे कतिआएल छी"- समीक्षक गजेन्द्र ठाकुर
6)
मैथिली गजल आ अभट्ठाकारी
7)
अज्ञानी संपादकक फेरमे मरैत गजल (घर-बाहर पत्रिकाक अप्रैल-जून 2012 अंकमे प्रकाशित
गजलक समीक्षा)
8)
मैथिली बाल गजलक अवधारणा
9)
कतिआएल आखर (मुन्ना जीक गजल संग्रह केर अमित मिश्र जी द्वारा कएल गेल आलोचना)
10)
गजलक लेल (विजयनाथ झा जीक गजल ओ गीत संग्रह- अहीँक लेल के ओमप्रकाश जी द्वारा कएल समीक्षा)
11)
भोथ हथियार (श्री सुरेन्द्र नाथ जीक गजल संग्रह केर ओमप्रकाश जी द्वारा कएल गेल आलोचना)
12)
पहरा अधपहरा (बाबा बैद्यानथ जीक गजल संग्रह केर आशीष अनचिन्हार द्वारा कएल गेल आलोचना)
13)
गजलक लहास (स्व. कलानन्द भट्टजीक गजल संग्रह केरजगदानन्द झा मनु द्वारा कएल गेल आलोचना)
14)
सूर्योदयसँ पहिने सूर्यास्त (राजेन्द्र विमल जीक गजल संग्रहक आशीष अनचिन्हार कएल गेल
आलोचना)
15)
बहुत किछु बुझबैएः कियो बूझि ने सकल हमरा (ओमप्रकाशजीक गजल संग्रहपर चंदन कुमार झाजीक
आलोचना)
16)
प्रतिबद्ध साहित्यकारक अप्रतिबद्ध गजल (सियाराम झा सरसजीक गजल संग्रहपर जगदीश चंद्र
ठाकुर अनिलजीक आलोचना)
17)
अरविन्दजीक आजाद गजल (अरविन्द ठाकुरजीक गजल संग्रहपर जगदीश चंद्र ठाकुर अनिलजीक आलोचना)
18)
छद्म गजल (गंगेश गुंजनजीक गजल सन किछुपर आशीष अनचिन्हार द्वारा कएल आलोचना)
19)
कलंकित चान (राम भरोस कापड़ि भ्रमरजीक गजल संग्रहक आशीष अनचिन्हार द्वारा कएल आलोचना)
20)
मैथिली गजल व्याकरणक शुरूआती प्रयोग (गजेन्द्र ठाकुरजीक गजल संग्रह "धांगि बाट
बनेबाक दाम अगूबार पेने छँ" केर आशीष अनचिन्हार द्वारा कएल आलोचना)
21)
चिकनी माटिमे उपजल नागफेनी (रमेशजीक गजल संग्रह "नागफेनी" केर आशीष अनचिन्हार
द्वारा कएल आलोचना)
22)
नवगछुलीक प्रांजल सरस रसाल: नव अंशु (अमित मिश्र केर गजल संग्रह "नव-अंशु"
केर शिव कुमार झा"टिल्लू" द्वारा कएल गेल समीक्षा)
23)
सियाराम जा सरस जीक गजल संग्रह "शोणिताएल पैरक निशान"पर कुंदन कुमार कर्णजीक
टिप्पणी
24)
श्री जगदीश चन्द ठाकुर ऽअनिलऽ जीक लिखल गजल संग्रह "गजल गंगा" केर जगदानंद
झा"मनु" द्वारा कएल समीक्षा
25)
मैथिली गजलक संसारमे अनचिन्हार आखर (आशीष अनचिन्हारक गजल संग्रहक जगदीश चंद्र ठाकुर
अनिलजी द्वारा कएल आलोचना)
26)
थोड़े माटि बेसी पानि (सियाराम झा सरसजीक गजल संग्रहपर कुंदन कुमार कर्णजीक आलोचना)
अनचिन्हार
आखरक काजक संक्षिप्त वर्णन श्री गजेन्द्र ठाकुर अपन “गजल शास्त्र 14 “मे एना लिखै छथि
(बादमे ई आलेख (1सँ 14 धरि) हुनक गजल संग्रह “धांगि बाट बनेबाक दाम अगूबार पेने छँ”
मे सेहो आएल) ---
“जँ
वर्तमानमे गजलक परिदृश्यकेँ देखी तँ मोटा-मोटी दूटा रेखा बनैत अछि (जकरा हम दू युगक
नाम देने छी) पहिल भेल “जीवन युग” आ दोसर भेल “अनचिन्हार युग” । आब कने दूनू युग पर
नजरि फेरल जाए--
1) जीवन युग ऐ युगक प्रारंभ हम जीवन झासँ केने छी जे आधुनिक
मैथिली गजलक पिता मानल जाइ छथि मुदा ओ कम्मे गजल लीख सकला। मुदा हुनका बाद मायानंद,
इन्दु, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, विभूति आनंद,सरस, रमेश, नरेन्द्र, राजेन्द्र विमल, धीरेन्द्र
प्रेमर्षि, रौशन जनकपुरी, अरविन्द ठाकुर, सुरेन्द्र नाथ, तारानंद वियोगी आदि गजलगो
सभ भेलाह। रामलोचन ठाकुर जीक बहुत रचना गजल अछि मुदा ओ अपने ओकर क्रमविन्यास कवितागीत
जकाँ बना देने छथिन्ह मुदा किछु गजलक श्रेणीमे सेहो अबैए। ऐ “जीवन युग” क गजलक प्रमुख
विशेषता अछि बेबहर अर्थात बिन छंदक गजल। ओना बहरकेँ के पूछैए जखन सुरेन्द्रनाथ जी काफियाक
ओझरीमे फँसल रहि जाइ छथि। एकर अतिरिक्त आर सभ विशेषता अछि ऐ युगक। आ जँ एकै पाँतिमे
हम कहए चाही तँ पाँति बनत” गजल थिक, ई गजल थिक, आ इएह टा गजल थिक” ।
2) आब कने आबी “अनचिन्हार युग” पर। ऐ युगक प्रारंभ तखन भेल जखन इंटरनेटपर मैथिलीक पहिल गजल आ शेरो-शाइरीकेँ समर्पित ब्लाग “अनचिन्हार आखर” (http://anchinharakharkolkata.blogspot.com) क जन्म भेल। आ ऐ अन्तर्जालक “अनचिन्हार आखर” जालवृत्तक नामपर हम ऐ युगक नाम “अनचिन्हार युग” रखलहुँ अछि। ऐ युगक किछु विशेषता देखल जाए--
• गजलक परिभाषिक शब्द आ बहरक निर्धारण--ई सौभाग्य एकमात्र “अनचिन्हारे
आखर” केँ छैक जे ओ हमरासँ 14 खंडमे (एखन धरि 14 खण्ड) “मैथिली गजल शास्त्र” लिखेलक।
आ ई मैथिलीक पहिल एहन शास्त्र भेल जइमे गजलक विवेचन मैथिली भाषाक तत्वपर कएल गेलै।
तकरा बाद आशीष अनचिन्हार सेहो “गजलक संक्षिप्त परिचय” लीख ऐ परंपराकेँ पुष्ट केलथि।
आ एकरे फल थिक जे सभ नव-गजलकार बहरमे गजल कहि रहल छथि।
• स्कूलिंग--” अनचिन्हार आखर” गजल कहेबाक परंपरा शुरू केलक आ तइमे सुनील कुमार झा, दीप नारायण “विद्यार्थी”, रोशन झा, प्रवीन चौधरी “प्रतीक”, त्रिपुरारी कुमार शर्मा, विकास झा “रंजन”, सद्रे आलम गौहर, ओमप्रकाश झा, मिहिर झा, उमेश मंडल आदि गजलकार उभरि कए अएलाह।
• गजलमे मैथिलीक प्रधानता--” अनचिन्हार युग”सँ पहिने गजलमे उर्दू-हिन्दी शब्दक भरमार छल आ मान्यता छल जे बिना उर्दू-हिन्दी शब्दक गजल कहले नै जा सकैए। मुदा “अनचिन्हार आखर” ऐ कुतर्ककेँ धवस्त केलक आ गजलमे 100% मैथिली शब्दक प्रयोगकेँ सार्वजनिक केलक।
• गजलक लेल पुरस्कार योजना--” अनचिन्हार आखर” मैथिली साहित्य केर इतिहासमे पहिल बेर गजल लेल अलगसँ पुरस्कार देबाक घोषणा केलक। ऐ पुरस्कारक नाम “गजल कमला-कोसी-बागमती-महानंदा” पुरस्कार अछि।”
आब जखन की पाठक ऐ पाँति धरि आबि चुकल छथि हुनका मैथिली गजलक
इतिहासक सम्बन्धमे बहुत रास तथ्य सोंझा आबि गेल हेतन्हि। तँए बेसी लिखब उचित नै तथापि
शुरूसँ अन्त धरिक महत्वपूर्ण बिंदु देल जा रहल अछि आ मात्र ओहने बिंदु देल जा रहल अछि
जे की व्याकरणयुक्त अछि—
1) प. जीवन झा 1905मे नाटक सभमे खास कऽ सुन्दर संयोगमे गीतक
बदला गजलक प्रयोग केला। ई गजल लिखित रूपमे आधुनिक मैथिली गजलक आदि गजल सभ अछि (एखन
धरिक खोजकक अधारपर)। खोजक अधारपर जीवन जीक मृत्य 23-4-1912केँ भेलन्हि।
2) 1912सँ 1970 धरिक मध्य कविवर सीताराम झा, आनन्द झा न्यायाचार्य,
मधुपजी, यदुवर जी आदि छिटपुट रूपेँ गजल लिखैत रहलाह। मुदा छिटपुट रूपमे रहितहुँ ई गजल
सभ व्याकरणक मापदंडपर साधल अछि।
3) 1970सँ 2008क मध्य योगानन्द हीरा, विजयनाथ झा, जगदीश चन्द्र
ठाकुर अनिल, गजेन्द्र ठाकुर आदि व्याकरणयुक्त गजल लिखैत रहलाह आ एखनो लिखैत छथि। हमर
गजलक जात्रा एही कालमे भेल (2001सँ)
4) 2008सँ लऽ कऽ एखन धरि बहुत रास गजलकार सभ एला जे की मैथिली
गजल लेल एकटा अभूतपूर्व घटना अछि। ऐ कालक आ एखन धरिक मुख्य गजलकार ई सभ छथि ओमप्रकाश,
अमित मिश्र, श्रीमती शांतिलक्ष्मी चौधरी, जगदानंद झा मनु, राजीव रंजन मिश्रा, अनिल
जी, सुमित मिश्रा, श्रीमती इरा मल्लिक, चंदन झा, कुंदन कुमार कर्ण, मिहिर झा, उमेश
मंडल, प्रदीप पुष्प, आदि छथि। ऐके अलावे आर बहुत रास नाम छथि जे की अनचिन्हार आखरपर
देखल जा सकैए।
5) मैथिली गजलक पहिल अरूजी गजेन्द्र ठाकुर अनचिन्हार आखरक एही
काज सभकेँ देखैत 2008क बाद सँ लऽ कऽ वर्तमान कालखंडकेँ "अनचिन्हार युग" केर
नाम देलाह (1905सँ लऽ कऽ 2007 धरिक कालखंडकेँ गजेन्द्रजी आधुनिक मैथिलीक पहिल गजलकार
जीवन झाजीक नामपर "जीवन युग" नाम देलाह)।
जखन कोनो विधा विशेष अपन चरमपर पहुँचै छै ताहिसँ पहिने ओकरा
पाछाँ कोनो ने कोनो एकटा पत्र-पत्रिकाक सोङर लागल रहै छै। जँ 2008क बाद बला गजलकेँ
देखी तँ निश्चित रूपसँ विदेह (पहिल ई पाक्षिक पत्रिका)क खुलल समर्थन देलक आ समय-समयपर
गजलसँ सम्बन्धित विशेषांक निकालि गजलकेँ आगू बढ़ेलक। ओना ई कहब कोनो बेजाए नै जे उपरमे
जतेक काज अनचिन्हार आखर द्वारा देखाएल गेल अछि तकर पृष्ठभूमि विदेह छल आ अछि। तँ आउ
देखी विदेहक किछु एहन काज जै बिना गजलक उत्थान सम्भव नै छल--
1) विदेहक 21म अंक (1 नवम्बर 2008) मे राजेन्द्र विमल जीक 2
टा गजल अछि। राम भरोस कापड़ि भ्रमर आ रोशन जनकपुरी जीक 11 टा गजल अछि। संगे-संग धीरेन्द्र
प्रेमर्षि जीक 1 टा आलेख मैथिलीमे गजल आ एकर संरचना। अछि संगे-संग ऐ आलेखक संग 1 टा
गजल सेहो अछि प्रेमर्षि जीक। विदेहक ऐ अंकमे कतहुँ ई नै फड़िछाएल अछि जे ई गजल विशेषांक
थिक मुदा विदेहक ऐसँ पहिनुक अंक सभमे गजलक मादें हम कोनो तेहन विस्तार नै पबै छी तँए
हम एही अंककेँ विदेहक गजल विशेषांक मानलहुँ अछि।
2) विदेहक अंक 96 (15 दिसम्बर 2011) मे मुन्नाजी द्वारा गजल
पर पहिल परिचर्चा भेल। ऐ परिचर्चाक शीर्षक छल मैथिली गजल: उत्पत्ति आ विकास (स्वरूप
आ सम्भावना)। ऐमे भाग लेलथि सियाराम झा सरस, गंगेश गुंजन, प्रेमचंद पंकज, शेफालिका
वर्मा, मिहिर झा ओमप्रकाश झा, आशीष अनचिन्हार आ गजेन्द्र ठाकुर भाग लेलथि। ऐकेँ अतिरिक्त
राजेन्द्र विमल, मंजर सुलेमान ऐ दूनू गोटाक पूर्वप्रकाशित लेखक भाग, धीरेन्द्र प्रेमर्षिजीक
पूर्व प्रकाशित लेख) सेहो अछि।
3) विदेहक अंक 111 (1/8/2012) जे की बाल गजल विशेषांक अछि जाहिमे
कुल 16 टा गजलकारक कुल 93 टा बाल गजल आएल। संक्षिप्त विवरण एना अछि--
रूबी झा जीक 13 टा बाल गजल, इरा मल्लिक जीक 2 टा, मुन्ना जीक
3 टा, प्रशांत मैथिल जीक 1 टा, पंकज चौधरी (नवल श्री) जीक 8 टा, जवाहर लाल काश्यप जीक
1 टा, क्रांति कुमार सुदर्शन जीक 1 टा, जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल जीक 1 टा, अमित मिश्रा
जीक 30टा, ओमप्रकाश जीक 1 टा, शिव कुमार यादव जीक 1 टा, चंदन झा जीक 14 टा, जगदानंद
झा मनु जीक 6 टा, राजीव रंजन मिश्रा जीक 4 टा, मिहिर झा जीक 4 टा, गजेन्द्र ठाकुर जीक
1 टा आ ताहि संगे आशीष अनचिन्हारक 2 टा बाल गजल आएल।
बाल गजलक आलावे 7 टा बाल गजल पर आलेख आएल। आलेख कारसँ छथि मुन्ना
जी, ओमप्रकाश, चंदन झा, जगदानंद झा मनु, अमित मिश्र आ आशीष अनचिन्हार आ मिहिर झा।बाल
गजल आ बाल गजल आलेख छोड़ि ऐ अंकमे योगेन्द्र पाठक वियोगी जीक 1 टा लघुकथा, श्री राजक
1 टा आलोचना, मुन्ना जीक 1 टा आलोचना, आशीष अनचिन्हार द्वारा जगदीश प्रसाद मंडल जीक
साक्षात्कार, जगदानंद झा मनु आ जवाहर लाल काश्यपक 11 टा विहनि कथा, सुजीत झाक 1 टा
रिपोर्ट, जगदीश प्रसाद मंडल जीक 1 टा लघुकथा, मुन्नी कामति जीक 8 टा कविता, जगदीश चंद्र
ठाकुर अनिल जीक 1 टा गीतक अगिला भाग, किशन कारीगरक 1 टा कविता, राजेश झाक 2 टा कविता,
पंकज चौधरी नवल श्रीक 1 टा कविता आ संगे संग पुनः जगदीश प्रसाद मंडल जीक 5 टा गीत अछि।
4) विदेहक 15 मार्च 2013 बला 126म अंक भक्ति गजल विशेषांक छै।
ऐमे आएल रचना सभहँक विवेचन एना अछि--
अमित मिश्र जीक 6 टा भक्ति गजल अछि। श्रीमती इरा मल्लिक जीक
4 टा भक्ति गजल अछि। जगदानंद झा मनु जीक 5 टा भक्ति गजल अछि। पंकज चौधरी नवल श्री जीक
3 टा भक्ति गजल अछि। जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल, मिहिर झा आ विंदेश्वर ठाकुर जीक 11 टा
भक्ति गजल अछि। आशीष अनचिन्हार द्वारा लिखल एक गोट आलेख भक्ति गजल अछि जैमे कविवर सीताराम
झा जीक एकटा भक्ति गजल सेहो अछि।
5) 15 नवम्बर 2013केँ विदेहक 142म अंक “गजल आलोचना-समालोचना-समीक्षा”
विशेषांक छल। ऐ विशेषांकमे आन विधाक रचना ओ स्थायी स्तंभ छोड़ि गजलक आलोचना एना आएल--
1) अमित मिश्रा जीक 2 आलेख अछि।
2) आशीष अनचिन्हारक 10 टा आलेख अछि।
3) ओमप्रकाश जीक 6 टा आलेख अछि।
4) गजेन्द्र ठाकुर जीक 4 टा आलेख अछि (संपादकीय सहित)
5) चंदन झा जीक 1 टा आलेख अछि।
6) जगदीश चंद्र ठाकुर अनिल जीक 2 टा आलेख अछि।
7) जगदानंद झा मनु जीक 1 टा आलेख अछि।
8) धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक 1 टा आलेख अछि।
9) मुन्ना जीक 1 टा आलेख अछि।
ऐ रचना सभहँक अलावा विदेहक अन्य स्थायी स्तम्भक रचना सभ सेहो
अछि। विदेह द्वारा गजल परहँक कएल गेल ई काज मात्र प्रारम्भ अछि आ हम सभ आशा करै छी
जे ई काज आर बहुत आगू धरि जाएत। ऐ विशेषांक सभहँक अलावे विदेहक हरेक अंकमे करीब-करीब
10-12 टा गजल देल गेल अछि जे की कोनो आन विधासँ कम नै तँ बेसियो नै अछि।
आब किछु गप्प विदेहक फेसबुक वर्सन लेल। मात्र एतबे कहऽ चाहब
जे विदेहक फेसबुक वर्सन फैक्ट्री अछि गजलक आ विदेह पत्रिका वेयरहाउस अछि। फैक्ट्रीमे
रचना रचल गेलै आ वेयरहाउसमे जा कऽ पाठक लग पहुँचि गेलै।
मैथिली गजलमे श्रुति प्रकाशनक योगदान
कोनो विधा लेल जेना कोनो पत्रिका सहारा होइ छै तेनाहिते कोनो
विधा लेल कोनो प्रकाशक सेहो महत्वपूर्ण होइ छै। जँ मैथिली गजलक इतिहास देखल जाए तँ
श्रुति प्रकाशन एहन पहिल प्रकाशक अछि जे की मैथिलीमे सभसँ बेसी गजल संग्रह प्रकाशित
केलक अछि। कुल मिला कऽ एखन धरि ई प्रकाशन 7 टा गजल संग्रह प्रकाशित केलक अछि(उपरमे
सूचीसँ पाठक सहायता लऽ सकै छथि) जे की संपूर्ण मिथिला (नेपाल-भारत) मिला कऽ सभसँ बेसी
अछि। पूर्ण गजल संग्रहक अतिरिक्त गीत गजल-कविताक बहुत रास पोथी श्रुति प्रकाशनसँ प्रकाशित
छै। ऐ के आलावा प्रस्तुत पोथी सेहो श्रुति प्रकाशनक देन अछि। गजल संग्रह अलावे “मैथिलीक
प्रतिनिधि गजल :1905सँ 2014 धरि” नामक संपादित पोथी एवं “मैथिली गजलक आगमन ओ प्रस्थान
बिंदु” नामक संपादित आलोचनाक पोथी सेहो श्रुति प्रकाशनसँ प्रकाशित अछि।
आजाद गजलपर किछु कहबासँ पहिने मैथिली गजलमे स्त्री आ मुसलमान
शाइरक योगदानकेँ देखी-
मैथिली
गजलमे महिलाक योगदान
मैथिली गजलकेँ बहुत रास महिला गजलकार (महिला गजलकारकेँ समान्यतः
विदुषी शब्दक प्रयोगकक परम्परा शुरू केने छी हम सभ) नै भेटलै। ई गजलक दुर्भाग्य छै।
2008सँ पहिने व्याकरणहीन गजलमे पहिल महिला गजलकार हेबाक उपल्बधि श्रीमती शेफालिका वर्माजीकेँ
छन्हि अर्थात हम कहि सकै छी जे गीतल वा कथित गजल लेल श्रीमती शेफालिका वर्माजी पहिल
महिला गजलकार छथि। जहाँ धरि व्याकरणयुक्त गजलक प्रश्न अछि तँ श्रीमती शांतिलक्ष्मी
चौधरी जी पहिल महिला गजलकार छथि वा विदुषी छथि जे की व्याकरणयुक्त गजल लिखलीह। तकरा
बाद श्रीमती इरा मल्लिक, स्वाती लाल आदि-आदि छथि आ गजल विकासक योगदानमे ओस्ताद लोकनिक
बराबरी कऽ रहल छथि।
मैथिलीमे
मुस्लिम गजलकार
ई बड़का छगुन्ताक विषय नै थिक जे मैथिली गजलमे मुस्लिम गजलकार
कम किए छथि कारण पूरा मैथिलिए साहित्यमे मुस्लिम रचनाकार एकातमे छथि। हमरा बुझने जियाउर
रहमान जाफरी आ सदरे आलम गौहर सेहो मैथिली गजल लिखै छथि बहुत पहिनेसँ। मुदा ई बहुत दुखद
गप्प जे ई सभ उर्दूक अरूजी रहितो मैथिली गजलमे एकर प्रयोग नै केला। की कारण? ओना हिनका सभहँक अतिरिक्त हमरा आन कोनो मुस्लिम गजलकारक नाम
नै बूझल अछि जे की मैथिलीमे गजल लिखने होथि। ई हमर सीमा सेहो अछि। एकटा बड़का मिथक
जे कि मैथिलीक मुसलमान शाइरक सभहँक संग जुड़ल अछि से ई अछि जे हिंदू गजलकार सभ ई मानि
लै छथि जे ई मुसलमान शाइर छथि तँ हिनका बहरक ज्ञान अनिवार्य रूपें हेतनि मुदा ई मिथके
अछि। जेना केकरो हिंदू भेलासँ ई साबित नै होइ छै जे हिनका छंदक ज्ञान हेबे करतनि तेनाहिते
ईहो नै मानल जा सकैए जे मुसलमान भेलेसँ बहरक ज्ञान हेतै। ने सभ हिंदू संस्कृतक जानकार
अछि आ ने सभ मुसलान अरबी-फारसीक। एहि मिथक केर दुखद हिस्सा ई जे मैथिलीक मुसलमान शाइर
मैथिलीक हिंदू गजलकारक एहि अज्ञानताक खूब फैदा उठा रहल छथि आ बिना बहरक गजल लिखितो
अपनाकेँ महान गजलकार मनबा रहल छथि।
मैथिली गजलमे स्त्री आ मुसलमान शाइरक अभाव किएक तकर उत्तर मैथिलीक
आजाद गजल बला खंडमे भेटत।
मैथिलीक बिना बहर बला (अजाद) गजलक इतिहास
(ई आलेख दरभंगासँ प्रकाशित दैनिक मिथिला आवाजमे 9 फरवरी 2014केँ
“मैथिली गजलमे लोथ गजलकारक योगदान” नामसँ प्रकाशित भेल छल जकर पूरा श्रेय तात्कालीन
संपादक स्व. कुमार शैलेन्द्रजीकेँ जाइत छनि तकर संशोधित रूप अछि। जँ ओ संपादक नै रहतथि
तँ कमसँ कम ई आलेख ओइ दैनिकमे नहिए टा प्रकाशित होइत। हमर ऐ आलेखक विरोध स्वरूप सुरेन्द्रनाथजी
एकटा आलेख लिखला जे कलकत्तासँ प्रकाशित कर्णामृत केर अप्रैल-जून 2015मे “मैथिली गजलक
पूंषत्वहीन आलोचना” केर नामसँ प्रकाशित भेल)
चूँकि मैथिली विश्वक एकमात्र भाषा अछि जे की हिन्दीक नकल करैए।
जँ हिन्दी बला सभ मैथिली रचनाकार सभकेँ दिन रहितो राति कहतै तँ मैथिली रचनाकार सेहो
दिनक बदला राति कहतै कारण मैथिलीक रचनाकार विशुद्ध रूपें मानसिक गुलाम छथि हिन्दीक।
प. जीवन झा, आनन्द झा न्यायाचार्य, कविवर सीताराम झा, मधुप जी जाहि मैथिली गजल के नीक
जकाँ विस्तृत केलथि तकरा मात्र हिन्दी नकलक कारणे 70के दशकमे स्व. मायानन्द मिश्र जी
अप्रत्यक्ष रूपसँ कहि देला जे मैथिलीमे गजल लिखब सम्भव नै। ठीक ओहिसँ एक-दू बर्ख पहिने
हिन्दीमे नीरज द्वारा ई कथन देल गेल छल जे हिन्दीमे गजलक नाम गीतिका हेबाक चाही। नीरज
जी हिन्दीमे गजलक नाम गीतिका देलखिन्ह आ गीतिका केर तर्जपर मैथिलीमे गीतल नाम भेल।
ऐठाम हम कहऽ चाहब जे भऽ सकैए हिन्दीमे नीरज जीसँ पहिने गजल नै छल हेतै तँए ओ एहन कथन
प्रस्तुत केने हेता मुदा मैथिलीमे तँ 1905सँ गजल लिखल जाइ छल आ ओहो पूर्ण रूपेण व्याकरण
सम्मत। तखन मायानन्द जीक ऐ कथन केर मतलब की?
आर किछु चर्च करबासँ पहिने मायानंद जीक पोथी “अवान्तर” भूमिकाक किछु अंश पढ़ू
(ई पोथी 1988मे मैथिली चेतना परिषद्, सहरसा द्वारा प्रकाशित भेल)। पृष्ठ 6 पर मायानंदजी
लिखै छथि “अवान्तरक आरम्भ अछि गीतलसँ। गीतं लातीति गीतलम्ऽ अर्थात गीत केँ आनऽ बला
भेल गीतल। किन्तु गीतल परम्परागत गीत नहि थिक, एहिमे एकटा सुर गजल केर सेहो लगैत अछि।
गीतल गजल केर सब बंधन (सर्त) केँ स्वीकार नहि करैत अछि। कइयो नहि सकैत अछि। भाषाक अपन-अपन
विशेषता होइत अछि जे ओकर संस्कृतिक अनुरूपें निर्मित होइत अछि। हमर उद्येश्य अछि मिश्रणसँ
एकटा नवीन प्रयोग। तैं गीतल ने गीते थिक, ने गजले थिक, गीतो थिक आ गजलो थिक। किन्तु
गीति तत्वक प्रधानता अभीष्ट, तैं गीतल।”
उपरका उद्घोषणामे अहाँ सभ देखि सकै छिऐ जे कतेक दोखाह स्थापना
अछि। प्रयोग हएब नीक गप्प मुदा अपन कमजोरीकेँ भाषाक कमजोरी बना देब कतहुँसँ उचित नै
आ हमरा जनैत मायानंद जीक ई बड़का अपराध छनि। जँ ओ अपन कमजोरीकेँ आँकैत गीतल केर आरम्भ
करतथि तँ कोनो बेजाए गप्प नै मुदा हुनका अपन कमजोरी नै मैथिलीक कमजोरी सुझा गेलन्हि।
एकरे कहै छै आँखि रहैत आन्हर। ई मोन राखब बेसी जरूरी जे 2011मे प्रकाशित कथित गजल संग्रह
“बहुरुपिया प्रदेश मे “जे की अरविन्द ठाकुर द्वारा लिखित अछि ताहूमे ठीक इएह गप्पकेँ
दोहराओल गेलैए।
मायानंद जी अपन कमजोरीकेँ झाँपैत जै गीतल केर आरम्भ केला तै
पाँछा हमरा बुझने तीन टा कारण भऽ सकैए
1) स्व.मायानन्द मिश्र जी हिन्दीक अन्ध भक्त छलाह।
2) स्व. मायानन्द जी मैथिली गजलक सम्बन्धमे अज्ञानी छलाह।
3) स्व. मायानन्द चतुराइसँ अपना-आप के मैथिली गजलमे स्थापित
करबाक योजना बनेलाह।
कहऽ बला कहै छै आ प्रभाव छोड़ै छै। कथनक विरोध भेनाइ शुरू भेल
ऐ आ विरोधक सङ्ग शुरू भेल बड़का मजाक। मजाक ई जे विरोध करऽ बला सभ सेहो व्याकरणहीन
गजल लिखै छलाह वा एखनो लिखै छथि। ओहि समयक बिना व्याकरणमे गजल लिखऽ बला सभ (मुदा अपना-आपकेँ
गजलकार मानऽ बला सभ) दू भागमे बँटि गेल। गीतल भागमे, मायानन्द, तारानन्द झा तरुण, विलट
पासवान विहंगम, आदि एला वा छथि (ऐ सूचीमे आर
नाम सभ छथि मुदा अगुआ इएह सभ छलाह/ छथि) तँ
कथित गजल बला भागमे सियाराम झा सरस, रमेश, तारानन्द वियोगी, विभूति आनन्द, कलानन्द
भट्ट, डा. महेन्द्र, सोमदेव, राम भरोस कापड़ि भ्रमर, देवशंकर नवीन, राम चैतन्य धीरज,
रवीन्द्रनाथ ठाकुर, राजेन्द्र विमल, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, अरविन्द ठाकुर आदि आदि सभ
रहला वा छथि ।ऐ सूचीमे आर नाम सभ छथि मुदा अगुआ इएह सभ छलाह/ छथि। ऐठाँ हम ई स्पष्ट
करऽ चाहब जे नाम भने जे होइ मायानन्द जी बला गुट वा सरसजी बला गुट दूनू गुटमेसँ कोनो
गोटा गजल नै लिखै छलाह कारण ओ व्याकरणहीन छल। आ व्याकरणहीन कथित गजलकेँ गजल नै गीतले
टा कहल जा सकैए। सरसजी मायानन्द जीक सभसँ बेसी विरोध केलखिन्ह हुनकर कथनक कारणे मुदा
सरसजी स्वंय व्याकरणहीन गजल लिखला आ लिखै छथि तखन मात्र कथनीपर केकरो विरोध करबाक की
मतलब जखन की करनी दूनू गोटाक एकै छन्हि।
सरसजीक सङ्ग बहुत कथित गजलकार सभ होहकारी दैत एलाह मुदा ओहो
सभ व्याकरणहीन गजल लिखला आ लिखैत छथि। आब हमर प्रश्न जे जखन व्याकरण छैहे नै तखन गीतल
आ ओइ कथित गजलमे अन्तर की? हमरा बुझने कोनो अन्तर नै । हम मायानन्द जी गीतल आ सरसजीक
कथित गजल दूनूकेँ एकै समान मानै छी। ऐ ठाम ई बेसी मोन राखब जरूरी जे सरस गुट केर महानायक
धीरेन्द्र प्रेमर्षि जी गीत आ गजलकेँ सहोदर भाए माननै छथि। तखन सरसजीक नजरिमे मायानंद
जी अपराधी भेला आ धीरेन्द्र प्रेमर्षि जी महानायक। हमरा जनैत ई सरसजीक पक्षपात थिक
आ ऐ पक्षपात केर विरोध हेबाक चाही।
बिना
व्याकरण बला मैथिली गजलमे भेल काज
बिना
व्याकरण बला मैथिली गजलमे एखन धरि कोनो एहन काज नै भेल अछि तँइ एहि आधारपर एकर मूल्याकंन
करब असंभव तँ नै मुदा बहुत कठिन अछि। एहि धाराक शाइर सभ बस अपन-अपन गजलक पोथीकेँ प्रकाशित
करबा लेबाकेँ काज मानि लेने छथि। आगूसँ हम "बिना व्याकरण बला मैथिली गजल"
लेल “अजाद गजल” शब्दक प्रयोग करब। अजाद गजलक इतिहासमे जे पहिल जगजियार काज देखाइए ओ
अछि एहि1990मे सियाराम झा सरस, तारानंद वियोगी, रमेश आ देवशंकर नवीनजी द्वारा संकलित
ओ संपादित साझी गजल संग्रह "लोकवेद आ लालकिला" केर प्रकाशन। एहि संकलनमे
कुल 12 टा गजलकारक 84 टा गजल अछि। भूमिका सभहँक अनुसारे ई संकलन प्रगतिशील गजलक संकलन
अछि आ जाहिर अछि जे एहिमे सहभागी गजलकार सभ सेहो प्रगतिशील हेबे करता। बारहो गजलकारक
नाम एना अछि कलानंद भट्ट, तारानंद वियोगी, डा.देवशंकर नवीन, नरेनद्र, डा. महेन्द्र,
रमेश, रामचैतन्य धीरज, रामभरोस कापड़ि भ्रमर, रवीन्द्र नाथ ठाकुर, विभूति आनंद, सियाराम
झा सरस, प्रो. सोमदेव। एहि संकलनक अलावे धीरेन्द्र प्रेमर्षिजी द्वारा संपादित पल्लव
केर "गजल अंक" जे कि 2051 चैतमे मैथिली विकास मंच, माठमांडूक मासिक साहित्यिक
प्रकाशन अंतर्गत प्रकाशित भेल (वर्ष-2, अंक-6, पूर्णांक-15) सेहो अजाद गजलक धारामे
नीक काज अछि। जँ अंग्रेजी तारीखसँ बूझी तँ मार्च,1995 केर लगभगमे पल्लवक "गजल
अंक" प्रकाशित भेल अछि ( नेपालक तारीख बदलबामे जँ हमरासँ गलती भेल हो तँ ओकरा
सुधारल जाए)। आगू बढ़बासँ पहिने पल्लवक गजलक अंकक किछु बानगी देखि लिअ--एहि गजल विशेषांकमे
कलानंद भट्ट, फूलचंद्र झा प्रवीण, रमानंद रेणु, सियाराम झा सरस, राजेन्द्र विमल, रामदेव
झा, बैकुंठ विदेह, रामभरोस कापड़ि भ्रमर, रमेश, शेफालिका वर्मा, शीतल झा, गोपाल झाजी
गोपेश, प्रेमचंद्र पंकज, पं.नित्यानंद मिश्र, शारदानंद परिमल, रमाकांत राय रमा, महेन्द्रकुमार
मिश्र, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, चंद्रेश, विनोदानंद, दिलिप कुमार झा दीवाना, वैद्यनाथ
मिश्र बैजू, रोशन जनकपुरी, सारस्वत, कर्ण संजय, श्यामसुंदर शशि, अजित कुमार आजाद, ललन
दास, धर्मेन्द्र विह्वल, सुरेन्द्र प्रभात, अतुल कुमार मिश्र, रमेश रंजन, कन्हैयालाल
मिश्र, गोविन्द दहाल आदि 34 टा गजलकारक एक एकटा गजल अछि मने 34 टा गजलकारक 34 टा गजल
अछि। एहि विशेषांकक संपादकीय अजादक गजलक हिसाबे अछि। ई पत्रिका कुल चारि पन्नाक छपैत
छल आ ओहि हिसाबें चौंतीस टा गजल कोनो खराप संख्या नै छै।
नेपालसँ
प्रकाशित पल्लवक "गजल अंक" आ भारतसँ प्रकाशित "लोकवेद आ लालकिला"
दूनूक समयमे करीब 6-7 बर्खक अंतराल अछि (प्रकाशनसँ पहिनेक तैयारीकेँ सेहो देखैत)। दूनूक
संपादको अलग छथि। दूनू काजक स्थान ओ परिस्थितियो अलग अछि मुदा ओहि के अछैत एकटा दुर्योग
दूनूमे एक समान रूपसँ विद्यमान अछि। ई दुर्योग अछि ओहि अंक कि संकलनमे पुरान गजलकारकेँ
स्थान नै देब। जँ दूनू संपादक चाहतथि तँ ओहि अंक कि संकलनमे पुरान गजलकारकेँ समेटि
कऽ एकटा संपूर्ण चित्र आनि सकै छलाह मुदा पता नै कोन परिस्थिति कि तत्व छलै जे दूनू
ठाम एहि काजमे बाधक बनल रहल। प्राचीन गजल बेसी अछिए नै तँइ ने बेसी पाइ लगबाक संभवाना
छलै आ ने बेसी मेहनतिक जरूरति छलै। भऽ सकैए जे हिनका सभ लेल ई प्रश्न महत्वपूर्ण नै
हो मुदा एकटा गजल अध्येताक रूपमे हमरा सभसँ बेसी इएह बात खटकल अछि। किछु एहन तत्व तँ
जरूर रहल हेतै जाहिसँ प्रभावित भऽ कऽ दूनू संपादकक एकै रंगक सोच रखने छलाह। खएर सूचना
दी जे वर्तमान समयमे हमरा ओ गजेन्द्र ठाकुरजी द्वारा संपादित पोथी "मैथिलीक प्रतिनिधि
गजलः1905सँ 2016 धरि" जे कि ई-भर्सन रूपमे प्रकाशित अछि ताहिमे उपरक दुर्योगकेँ
दूर कऽ देल गेल अछि। एहि संकलनमे सभ प्राचीन गजलकारकेँ स्थान देल गेल अछि जाहिसँ मैथिली
गजलक संपूर्ण छवि पाठक लग आबि जाइत छनि।
उपरक
काजक अलावे एक-दू बर्ख पहिने मधुबनीमे सेहो अजाद गजलकार सभ द्वारा गजल कार्यशाला आयोजित
भेल रहए मुदा ओकर समुचित तथ्य हमरा लग नै अछि तँइ ओहिपर हम किछु बजबासँ बाँचि रहल छी।
मैथिलीक
अजाद गजलमे नै भेल काज
1)
गजलक संख्या वृद्धि दिस धेआन नै देब-- गजलक संख्या वृद्धिसँ हमर मतलब अपनो लिखल गजल
आ अनको लिखल गजल अछि। कथित क्रांतिकारी सभहँक विचार अछि जे कम्मे लिखू मुदा नीक लिखू।
मुदा सवाल ओतत्हि रहि जाइ छै जे नीक रचना निर्धारण केना हो जखन कि लोक लग सीमित संख्यामे
रचना रहै। हमरा हिसाबें ई भ्रांति अछि जे कम रचलासँ नीके होइत छै। हमर स्पष्ट विचार
अछि जे रचना संख्या बढ़लासँ अपना भीतर प्रतियोगिता बढ़ै छै आ भविष्यमे नीक रचना लिखबाक
संभावना बढ़ि जाइत छै। जाहि विधामे बेसी लिखाइत छै ओकर प्रचार-प्रसार ओ लोकप्रियता
बेसी जल्दी होइत छै। मुदा अजाद गजलकार सभ एहि मर्मकेँ नै बुझि सकलाह। हमरा बुझाइए जे
मैथिलीक अजाद गजलकार सभ प्रतियोगितासँ डेराइत छथि। हुनका बुझाइ छनि जे जँ कादचित् प्रतियोगितामे
हारि गेलहुँ तँ हमर की हएत। मुदा हुनका सभकेँ बुझबाक चाही जे साहित्यमे जीत-हारि सन
कोनो बात नै होइ छै।
2)
गजलकारक संख्या वृद्धि दिस धेआन नै देब--- कोनो विधाक नियम टुटलासँ ओ विधा सरल बनि
जाइत छै आ ओहि विधामे बहुत रास रचनाकार आबै छथि जेना कि कविता विधामे भेलै। तखन मैथिलीमे
बिना नियम केर गजल रहितों ऐमे शाइरक कमी किएक रहल? मैथिलीक अजाद गजलकार सभ कते नव शाइरकेँ
प्रोत्साहित केलथि। जबाब सुन्ना भेटत। मैथिलीक अजाद गजलकार सभ अपने लीखै छथि आ अपनेसँ
शुरू आ अपनेपर खत्म। आखिर गजल विधामे नव शाइर अनबाक जिम्मा केकर छलै? ईहो कहल जा सकैए
जे मैथिलीक अजाद गजलकार सभ जानि बूझि कऽ अपन वर्चस्व सुरक्षित रखबाक लेल नव शाइरकेँ
प्रोत्साहित नै केलथि। हुनका सभ डर छनि जे कहीं हमरासँ बेसी ओकरे सभहँक नाम नै भऽ जाइ।
3)
मैथिली गजलक आलोचना दिस धेआन नै देब-- जेना कि सभ जानै छी जे आलोचना कोनो विधा लेल
प्राण होइत छै मुदा आश्चर्य जे मैथिलीक अजाद गजलकार सभ गजल-आलोचनाकेँ हेय दृष्टिसँ
देखला। मैथिलीमे अजाद गजलक प्रतिनिधि गजलकार सियाराम झा सरस, तारानंद वियोगी, रमेश,
देवशंकर नवीनजीक संपादनमे बर्ख 1990मे " लालकिfला आ लोकवेद " नामक एकटा साझी
गजल संग्रह आएल। एहि संग्रहमे गजलसँ पहिने तीनटा भाष्यकारक आमुख अछि। पहिल आमुख सरसजीक
छन्हि आ ओ तकर शुरुआत एना करै छथि -- " समालोचना आ साहित्यिक इतिहास लेखनक क्षेत्रमे
तकरे कलम भँजबाक चाही जकरा ओहि साहित्यिक प्रत्येक सूक्ष्तम स्पंदनक अनुभूति होइ......."।
अर्थात सरसजीकेँ हिसाबें कोनो साहित्यिक विधाक आलोचना, समीक्षा, वा ओकर इतिहास लेखन
वएह कए सकैए जे की ओहि विधामे रचनारत छथि। जँ हम एकर व्याख्या करी तँ ई नतीजा निकलैए
जे गजल विधाक आलोचना वा समीक्षा वा ओकर इतिहास वएह लीखि सकै छथि जे की गजलकार होथि।
मुदा हमरा आश्चर्य लगैए जे ने 1990सँ पहिले सरसजी ई काज केलाह आ ने 1990सँ 2008 धरि
ई काज कऽ सकलाह (सरसेजी किए आनो सभ एहन काज नै कऽ सकलाह)। 2008केँ एहि दुआरे हम मानक
बर्ख लेलहुँ जे कारण 2008मे हिनकर मने सरसजीक एखन धरिक अंतिम कथित गजल संग्रह
"थोड़े आगि थोड़े पानि" एलन्हि मुदा ओहूमे ओ एहन काज नै कऽ सकलाह। ई हमरा
हिसाबें कोनो गजलकारक सीमा भए सकैत छलै मुदा सरसजी फेर ओही आमुख के तेसर आ चारिम पृष्ठपर
लिखै छथि" मैथिली साहित्यमे तँ बंगला जकाँ गीति-साहित्यिक एकटा सुदीर्घ परंपरा
रहलैक अछि। गजल अही परंपराक नव्यतम विकास थिक, कोनो प्रतिबद्ध आलोचककेँ से बुझऽ पड़तैक।
हँ ई एकटा दीगर आ महत्वपूर्ण बात भए सकैछ जे मैथिलीक समकालीन आलोचकक पास एहि नव्यतम
विधाक आलोचना हेतु कोनो मापदंडिके नहि छन्हि। नहि छन्हि तँ तकर जोगार करथु........"
आब ई देखल जाए जे एकै आलेखमे कोना दू अलग अलग बात कहि रहल छथि सरसजी । आलेखक शुरुआतमे
हुनक भावना छन्हि जे " जे आदमी गजल नै लीखै छथि से एकर समीक्षा वा इतिहास लेखन
लेल अयोग्य छथि मुदा फेर ओही आलेखमे ओहन आलोचकसँ गजल लेल मापदंड चाहै छथि जे कहियो
गजल नहि लिखला। भए सकैए जे सरसजी ई आरोप सरसजी अपन पूर्ववर्ती विवादास्पद गजलकार मायानंद
मिश्र पर लगबथि होथि। जे की सरसजीक हरेक आलेखसँ स्पष्ट होइत अछि। मुदा ऐठाम हमरा सरसजीसँ
एकटा प्रश्न जे जँ कोनो कारणवश माया जी ओ काज नै कए सकलाह वा जँ मायानंद जी ई कहिए
देलखिन्ह मैथिलीमे गजल नै लिखल जा सकैए तँ ओकरा गलत करबा लेल ओ अपने (सरसजी) की केलखिन्ह।
2008 धरि मैथिलीमे 10-12 टा कथित गजल संग्रह आबि चुकल छल। मुदा अपने सरसजी कहाँ एकौटा
कथित गजल संग्रह समीक्षा वा आलोचना केलखिन्ह। गजलक व्याकरण वा इतिहास लेखन तँ बहुत
दूरक बात भए गेल। ऐ आलेखसँ दोसर बात इहो स्पष्ट अछि जे सरसजी कोनो समकालीन आलोचककेँ
गजलक समीक्षा लेल मापदंड देबा लेल तैयार नै छथि। जँ कदाचित् कनेकबो सरसजी आलोचक सभकेँ
मापदंड दितथिन तँ संभवतः 2008 धरि गजल क्षेत्रमे एहन अकाल नै रहितै।
आब
हम आबी विदेहक अंक 96 पर जाहिमे श्री मुन्ना जी द्वारा गजल पर परिचर्चा करबाओल गेल
छल। आन-आन प्रतिभागीक संग-संग प्रेमचंद पंकज नामक एकटा प्रतिभागी सेहो छथि। पंकजजी
अपन आलेखमे आन बातक संग इहो लिखैत छथि -“ कतिपय व्यक्ति एकटा राग अलापि रहल छथि जे
मैथिलीमे गजलक सुदीर्घ परम्परा रहितहु एकरा मान्यता नै भेटि रहल छैक। एहन बात प्रायः
एहि कारणे उठैत अछि जे मैथिली गजलकेँ कोनो मान्य समीक्षक-समालोचक एखन धरि अछूत मानिकऽ
एम्हर ताकब सेहो अपन मर्यादाक प्रतिकूल बूझैत छथि। एहि सम्बन्धमे हमर व्यक्तिगत विचार
ई अछि, जे एकरा ओहने समालोचक-समीक्षक अछूत बुझैत छथि जिनकामे गजलक सूक्ष्मताकेँ बुझबाक
अवगतिक सर्वथा अभाव छनि। गजलक संरचना, मिजाज आदिकेँ बुझबाक लेल हुनका लोकनिकेँ स्वयं
प्रयास करऽ पड़तनि, कोनो गजलकार बैसि कऽ भट्ठा नहि धरओतनि। हँ, एतबा निश्चय जे गजल
धुड़झाड़ लिखल जा रहल अछि आ पसरि रहल अछि आ अपन सामर्थयक बल पर समीक्षक-समालोचक लोकनिकेँ
अपना दिस आकर्षित कइए कऽ छोड़त “ अर्थात प्रेमचंद जी सरसे जी जकाँ भट्ठा नै धरेबाक
पक्षमे छथि। सरसजी 1990मे कहै छथि मुदा पंकजजी 2011केर अंतमे मतलब 22साल बाद। मतलब
बर्ख बदलैत गेलै मुदा मानसिकता नै बदललै। ऐठाम
हम ई जरुर कहए चाहब जे भट्ठा धराबए लेल जे ज्ञान आ इच्छा शक्ति होइ छै से बजारमे नै
बिकाइत छै। संगे-संग ईहो कहए चाहब जे मायानंद मिश्रजीक बयान आ अज्ञानतासँ मैथिली गजलकेँ
जतेक अहित भेलै ताहिसँ बेसी अहित सरसजी वा पंकजजीक सन गजलकारसँ भेलै। ऐठाम ई स्पष्ट
करब बेसी जरूरी जे हम ऐ बातसँ बेसी दुखी नै छी जे ई सभ बिना व्याकरणक गजल किए लिखला
मुदा ऐ बातसँ बेसी दुखी छी जे ई गजलकार सभ पाठकक संग विश्वासघात केला। जँ ई सभ सोंझ
रूपें कहि देने रहितथिन जे गजलक व्याकरण होइ छै आ हम सभ ओकर पालन नै कऽ सकै छी तखन
बाते खत्म छलै मुदा अपन कमजोरीकेँ नुकेबाक लेल ई सभ नाना प्रकारक प्रपंच रचला जकर दुष्परिणाम
गजल भोगलक। हमरा जहाँ धरि अध्य्यन अछि तहाँ धरि लगभग मात्र 4-5 टा गजल आलोचना स्वतंत्र
लेखक रूपमे अजाद गजलकार सभ द्वारा लिखल गेल अछि (जँ पोथीक भूमिका सभकेँ सेहो जोड़ी
तँ एकर संख्या 8-9 टा भऽ सकैए)। एहि कड़ीमे तारानंद वियोगीजीक "मैथिली गजलः मूल्याकंनक
दिशा", देवशंकर नवीनजीक "मैथिली गजलःस्वरूप आ संभावना", धीरेन्द्र प्रेमर्षिजीक
"मैथिलीमे गजल आ एकर संरचना" आदि प्रमुख अछि।
लिखित रूपकेँ छोड़ि मैथिलीमे गेबाक लेल सेहो गायक सभ गजलक नामपर
अत्याचार केलाह। किछु लीखि देबै आ गलामे सुर रहत तँ ओकरा गाबि सकै छी तँए की ओकरा गजल
मानल जेतै? गायनक ऐ धुरखेलमे बहुत रास गायक छलाह वा छथि जेना चंद्रमणि झा, रामसेवक
ठाकुर, कुञ्ज बिहारी मिश्र आदि-आदि। जेना लिखऽ बला सभ मैथिली गजलकेँ भट्ठा बैसेलक तेनाहिते
गायक सभ सेहो। गबैया सभ गजलमे मात्रा क्रम सप्तक (सा,रे,गा,मा,पा,धा,नि,सा) केर हिसाबसँ
बैसाबए लागै छथि जे की अवैज्ञानिक तँ अछिए सङ्गे-सङ्ग अनर्थकारी सेहो अछि। काव्यमे
रागक हिसाबसँ छन्द नै बनै छै। तँए कोनो एकटा छन्दमे बनल रचनाकेँ बहुतों गायक बहुतों
रागमे गाबै छथि / गाबि सकै छथि। राग-रागिनीक मात्राक्रम सङ्गीत लेल छै साहित्य लेल
नै। तेनाहिते छन्दक मात्राक्रम काव्य लेल छै सङ्गीत लेल नै। ऐठाँ ई स्पष्ट करब बेसी
आवश्यक जे एकटा गायक केर रूपमे कुंजबिहारी जी हमरा लेल आदरणीय छथि तेनाहिते गीतकारक
रूपमे चंद्रमणिजी आदरणीय छथि आ ठीक तेनाहिते एकटा उद्घोषक केर रूपमे रामसेवकजी आदरणीय
छथि मुदा एकर मतलब ई नै जे ई सभ गजलक नामपर किछु कऽ लेता तँ हिनका सभकेँ इज्जत देल
जेतनि। हमर मानब अछि जे अहाँ जै विधामे वा कलामे पारंगत छी तकर हिसाबसँ इज्जत भेटत।
नीक गीतकार छी तँए अहाँ गलत गजल लीखि गजलकारो भऽ गेलहुँ से के मानत? तेनाहिते ई सभ
लेल अछि, हमरो लेल अछि। (उपरमे जतेक गायक, गीतकार आ उद्घोषक केर नाम अछि से मात्र उदाहरण
लेल अछि)
सुधांशु शेखर चौधरी आ बाबा बैद्यनाथ जी गजलमे किछु तत्व तँ अछि।
खास कऽ बाबा बैद्यनाथ जीक गजलमे सभ तत्व अछि मुदा वर्णवृत नै अछि। आ तँए हिनको लोकनिकेँ
हम कथित गजलकारक श्रणीमे रखैत छी मुदा हमरा ई कहबामे कोनो संकोच नै जे ई दूनू बाद-बाँकी
कथित गजलकार सभसँ बेसी बोधगर छथि।
आब ऐठाम एकटा प्रश्न ठाढ़ होइत अछि जे एना अनधुन हिनका सभकेँ
(माया गुट एवं सरस गुट) आलोचना किएक कएल जा रहल अछि? जँ हिनकर सभहँक रचना गजल नै अछि
तँ की अछि? एना आलोचना करब कतेक उचित? हिनका सभमे प्रतिभा छनि की नै? आदि......निश्चित
रूपसँ हमरो नै नीक लागि रहल अछि हिनकर सभहँक आलोचना करैत मुदा हिनकर सभहँक शैलिए तेहन
छनि जे आलोचना करहे पड़त। हमहीं मात्र गजलकार छी आ हमरे गजल मात्र गजल थिक ई शैली हिनकर
सभहँक पहिचान अछि जखन की लोक आब बुझि रहल अछि जे हिनकर सभहँक गजल, गजल नै छल आ ने अछि।
ई लोकनि ने अपने गजलपर काज केलाह आ ने दोसरकेँ करऽ देलखिन। आ जकर परिणाम गजल भोगि रहल
अछि। खास कऽ अहाँ सरसजीक गजल पोथीक भूमिका पढ़ू ने गजलपर चर्चा भेटत आ ने गजलक व्याकरणपर
मुदा ओइमे ई चर्चा जरूर भेटत जे सभकेँ साहित्य अकादेमी भेटि गेलै हमरा किएक नै भेटि
रहल अछि। सरसजीक गजले नै हरेक पोथीक भूमिका ओ लेखमे ई भेटत। तारानंद वियोगी, देवशंकर
नवीन, गंगेश गुंजन, रमेश, आ ओइ समयक कथित गजलकार सभ एना एला जेना ओ गजलपर उपकार कऽ
रहल होथिन्ह। आ ऐ हेंजमे योगानंद हीरा, विजयनाथ झा, जगदीश चंद्र ठाकुर अनिलजी सभ दबि
कऽ रहि गेला। हिनका (कथित गजलकार) सभमे प्रतिभा छनि कारण बिना प्रतिभा रहने केओ साहित्य
दिस आबिए नै सकैए (बादमे अध्ययनक जरूरति पड़ै छै) तँए हम ई मानि रहल छी जे ई सभ प्रतिभाशाली
छलाह। हँ, इहो मानि रहल छी जे केओ खुरपीक आगूसँ दूभि छीलैए आ ई कथित गजलकार सभ खुरपीक
मूठसँ दूभि छिलबाक प्रयास केला। एकर परिणाम ई भेल जे हिनका सभकेँ मेहनति तँ करऽ पड़लनि,
पसेना सेहो बहलनि मुदा दूभि छीलि कऽ ई सभ गजल रूपी गाएकेँ भोजन नै दऽ सकलाह। आब ऐ प्रश्नपर
आबी जे हिनक सभहँक रचना गजल नै अछि तँ की अछि? निश्चित रूपसँ हिनकर सभहँक रचनामे सरसता,
पदलालित्य ओ गेयता अछि मुदा व्याकरण नै अछि। तँए हम हिनकर सभहँक कथित गजलकेँ हम पद्यक
रूपमे मानै छी। आब पद्यमे केहन पद्य से तँ आन आलोचक सभ फड़िछा कऽ कहता मुदा जहाँ धरि
हमर अपन विचार अछि तँ ई सभ नीक पद्य अछि आ आन पद्ये जकाँ साहित्यमे समादृत अछि।
ऐ ठाम ई गप्प सार्वजनिक करब अनिवार्य अछि जे अनन्त बिहारी लाल
दास “इन्दु “जीक जे दू टा गजल संग्रह छनि (सरसजी द्वारा देल गेल सूचना) तैमेसँ हम एकौटा
पोथी नै पढ़ि सकलहुँ अछि। तँए इन्दुजीक गजलपर हम कोनो टिप्पणी नै करब। हँ एतेक हम जरूर
कहब जे कर्णामृतक किछु अंकमे हमरा हुनक गजल पढ़बाक अवसर भेटल मुदा तैमे बहरक अभाव अछि।
बहुत रास गजलकार लेल ई टिप्पणी हम सुरक्षित राखए चाहब। संगे-संग हम ईहो कहऽ चाहब जे
ई एकेडमिक शोध नै थिक तँए बहुत रास गजलकारक पोथी भेटबामे हमरा दिक्कत भेल आ तँए हम
आर बहुत रास बहरयुक्त, बिना बहर बला गजलक संधानमे छी।
आब किछु बुझाएल हएत जे आखिर मैथिली गजलमे स्त्री आ मुसलमान शाइर
किए कम छथि। हिनका सभकेँ छोड़ू सरसजी सहित आन सभ (विचारधाराक आधारपर) समान्य वर्गक
लोकोकेँ गजलक भट्ठा धरबऽ नै चाहै छथि तखन स्त्री आ मुसलमान आ दलित केर कोन गनती। ऐठाम
एकटा सवाल सभ गोटासँ- कोनो विधाक नियम टुटलासँ ओ विधा सरल बनि जाइत छनि तखन मैथिलीमे
बिना नियम केर गजल रहितों ऐमे शाइरक कमी किएक रहल? सरसजी, की सुरेन्द्रनाथ की आन कोनो
बिना व्याकरण बला गजलकार सभ कते नव शाइरकेँ प्रोत्साहित केलथि। जबाब सुन्ना भेटत। सरसजी
अपने लीखै छथि आ अपनेसँ शुरू आ अपनेपर खत्म। सएह हाल आन सभ आजाद गजलकारक छनि। आखिर
गजल विधामे नव शाइर अनबाक जिम्मा केकर छलै?
ओना कहल जा सकैए जे अनकर जिम्मा तकबासँ बेसी नीक जे अपन जिम्मेदारीक
निर्वाह कऽ ली तँए आब चली दोसर प्रसंगपर।
आब हम मैथिलीक
आजाद गजलक किछु प्रतिनिधि शाइरक परिचय कराबी----
1
रवीन्द्र नाथ ठाकुर
रवीन्द्र-महेन्द्र नामक चर्चित जोड़ीक ई रवीन्द्र छथि। हिनक
एकटा गजल संग्रह छन्हि-लेखनी एक रंग अनेक (पूर्वांचल प्रकाशन, पटना, वर्ख 1985)
हिनक अन्य विवरण एना अछि--
जन्म पूर्णिञा जिलाक धमदाहा ग्राममे 1936 ई.मे भेलन्हि । नेने
अवस्थासँ गीत गएबामे एवं कविता लिखबामे विशेष रुचि । कोनो मंच पर ठाढ़ भेला पर ई सहजहि
श्रोताकेँ आह्लादित करैत छथि । हिनक सात गोट मैथिलीक गीत संग्रह, एक मिनी महाकाव्य,
एक प्रयोगधर्मी काव्य, एक उपन्यास, एक नाटक एक राति एवं एक हिन्दी नाटक, आ उपरोक्त
गजल संग्रह प्रकाशित भेल छन्हि ।
2
मायानंद मिश्र
मैथिली गजलक चर्चित आ कुख्यात दूनू रूपमे स्थान।
मायानंद मिश्रक ई कथन जे मैथिलीमे गजल नै लिखल जा सकैए,अनघोल मचेने रहए। मुदा मैथिली
गजलक पहिल अरूजी मने गजल शास्त्रकार श्री गजेन्द्र ठाकुर मतें “मायानंद मिश्र” क मात्र
एतबा अभिमत रहन्हि जे वर्तमानमे मैथिलीमे बहरयुक्त गजल नै लिखल जा सकैए। तँए ओ स्वयं
अपने गीतल नामसँ गजल रचना केलन्हि (ऐठाम मोन राखू जे माया बाबू मैथिलीमे गजलकेँ नाम
गीतल देने छलखिन्ह जे कि अस्वीकार्य छल) मुदा आन-आन गजलकार सभ एकरा दोसर रूपमे लेलक
आ प्रचारित केलक जे मायाबाबूक कथन थिक जे मैथिलीमे गजल लिखले नै जा सकैए। गजेन्द्रजी
आगू लिखै छथि जे ई माया बाबूजँ ई कहबो केलखिन्ह जे मैथिलीमे गजल नै लिखल जा सकैए तँ
ई कथन हुनकर सीमाक संग-संग ओहि समय सभ गजलकारक सीमा छल। कारण ओहि समय एकौटा गजलकार
मैथिलीमे बहरयुक्त गजल नै लीखि सकलाह आ माया बाबूक उक्तिकेँ सत्य करैत रहलाह। मुदा
बाद मे इ.2008मे अनचिन्हार आखरक आगमन होइते माया बाबूक सभ मत-अभिमत धवस्त भए गेल।
हिनक जन्म 17 अगस्त 1934 ई.केँ सुपौल जिलाक बनैनियाँ
गाममे भेलनि। भाङ्क लोटा,आगि, मोम आ पाथर आओर चन्द्रबिन्दु हिनकर कथा संग्रह सभ छन्हि।
बिहाड़ि,पात पाथर,मंत्रपुत्र,खोता आ चिडै आ सूर्यास्त हिनकर उपन्यास सभ अछि। दिशांतर
हिनकर कविता संग्रह अछि। एकर अतिरिक्त सोने की नैय्या माटी के लोग,प्रथमंशैल पुत्री
च,मंत्रपुत्र,पुरोहित आ स्त्रीधन हिनकर हिन्दीक कृति अछि।1988मे हिनका(मंत्रपुत्र,उपन्यास)पर
मैथिलीक साहित्य अकादमी पुरस्कारसँ सम्मानित कएल गेलन्हि।
प्रबोध सम्मान 2007सँ सम्मानित।
3
स्व. कलानंद भट्ट
गाम--उछटी (दरभंगा)
जन्म--15 मइ 1941, मृत्यु-5 अक्टूबर1994
प्रकाशित कृति--कान्ह पर लहास हमर (गजल संग्रह)
अप्रकाशित पांडुलिपि--हिलकोर (रुबाइ संग्रह)
4
सियारामझा” सरस”
10 JULY 1948, जन्म स्थान मेंहथ,मधुबनी बिहार।
गजल संग्रह--
1) शोणिताएल पएरक निशान (प्रकाशक-सरला प्रकाशन, मेहथ, प्रकाशन
साल1989)
2)लोकवेद आ लालकिला (संपादित, प्रकाशक-विद्यापति सेवा संस्थान,
प्रकाशन साल1990)
3) थोड़े आगि थोड़ पानि (प्रकाशक-नवारम्भ, प्रकाशन साल 2008)
विशेष--श्रीसरसजी अनचिन्हार आखर द्वारा प्रायोजित मैथिलीमे देल
जाए बला गजल लेल पहिल सम्मान” गजल कमला-कोसी-बागमती-महानंदा सम्मान” क पहिल मुख्य चयनकर्ता
छलाह जे कि ई. 2011मे शुरू भेल छल। हिनक अन्य विवरण एना अछि---
प्रसिद्ध गीतकार-गजलकार, बादमे कथा लेखन प्रारम्भ केलनि ।
अन्य प्रकाशित कृति--आँजुर भरि सिंगरहार (कविता) 1982, गीत रश्मि
(गीत) (संपादन)1994, नै भेटतौ खालिस्तान (गीत)1994, आखर आखर गीत (गीत) 1999, चन्नाक
पहाड़ (अनूदित उपन्यास, साहित्य अकादेमीसँ प्रकाशित1999),उगैत सूर्यक धम्मक(कथासंग्रह)आ
उपरोक्त गजल संग्रह।
5
अरविन्द ठाकुर
प्रकाशित गजल संग्रह--बहुरुपिया प्रदेश मे। (नवारम्भ प्रकाशन,
साल नवम्बर2011)
अन्य प्रकाशित कृति--परती टूटि रहल अछि (कविता), अन्हारक विरोधमे
(कथा)
जन्म--14 February 1957, सुपौल।
6
सुधांशु शेखर चौधरी
प्रकाशित गजल संग्रह--गजल ओ गीत (किछु गीत छै ऐमे आ किछु गजल)
जन्म दरभंगाक मिश्रटोलामे 1922 ई. मे भेलन्हि तथा मृत्यु 1990
ई. मे भेलन्हि । किछु दिन विभिन्न जीविकामे रहि पश्चात् साहित्यकारक जीवन प्रारम्भ
कएल । किछु दिन बैदेहीक सम्पादन श्री सुमनजी एवं श्री कृष्णकान्त मिश्रजीक संग कएल
तत्पश्चात् 1960 ई.सँ 1982 ई. धरि पटनामे मिथिला मिहिरक सफल सम्पादन कएल ।हिनक नाट्यकृति-भफाइत
चाहक जिनगी, लेटाइत आँचर, तथा पहिल साँझ हिनक नाटकक नीक व्यावहारिक अनुभवक परिचायक
अछि ।छद्मनामसँ हिनक दू गोट उपन्यास मिहिरमे प्रकाशित भेल अछि । हिनक उपन्यास -ई बतहा
संसार जे मैथिली अकादमी द्वारा प्रकाशित भेल आ जाहि पर 1980 क साहित्य अकादमीक पुरस्कार
देल गेल ।
7
धीरेन्द्र प्रेमर्षि
(ऐ फोटोमे धीरेन्द्र प्रेमर्षि, हुनक पत्नी रूपा झा आ हुनक दू
गोट बालक)
व्यक्तिगत विवरण—
पूर्ण नामः धीरेन्द्र झा
प्रचलित नामः धीरेन्द्र प्रेमर्षि
जन्मस्थानः गोविन्दपुर, गा.वि.स. वार्ड नं.1, बस्तीपुर,
जिला सिरहा, नेपाल
जन्मथितिः
वि.सं. 2024, भादब 18 गते (3 सितम्बर 1967)
शिक्षाः
स्नातक
पिताक
नामः पं. कृष्णलाल झा
माताक
नामः आनन्दी देवी झा
मूल
वृत्तिः नेपाल सरकारक नोकरिहारा (कृषि विभाग अन्तर्गत Plant
Protection Officer)
प्रकाशित
साहित्यिक कृतिः
समयलाई
सलाम (नेपाली गजलसङ्ग्रह)
ऐ
के अतिरिक्त हिनक विस्तृत सहभागिता गीतक आडियोविडियोमे अछि। एफ.एम केर नीक उद्घोषक।
सम्पर्क
पताः
पोष्ट-हार्भेष्ट
व्यवस्थापन निर्देशनालय,
श्रीमहल,
पुल्चोक, ललितपुर, नेपाल।
फोन
नं.: 97715536994 / 9841280733
ईमेल---dhipre@yahoo.com आ dhipre@gmail.com
नोट:
पल्लवमिथिला मैथिलीक दोसर इंटरनेट पत्रिका अछि जखन की वास्तविकता ई थिक जे भालसरिक
गाछ जे सन 2000सँ याहूसिटीजपर छल आ अखनो 5 जुलाइ 2004सँ http://www.videha.com/2004/07/bhalऽarik-gachh.html लिंकपर अछि, मैथिलीक
पहिल इंटरनेट पत्रिका थिक जकर नाम बादमे 1 जनवरी 2008सँ” विदेह “पड़लै। ई टिप्पणी मात्र
इतिहास शुद्धता लेल अछि। मैथिलीक पहिलसँ लए क' एखन धरिक हरेक इंटरनेट पत्रिकाक नाम,
यूआरएल, ओकर पहिल पोस्टक तारीख ऐ ठाम देखल जा सकैए--http://www.videha.co.in/feedback.htm
जँ किनको लग 5/7/2004सँ पहिनुक लिंक छन्हि तँ प्रस्तुत कएल जाए।
इएह परिचय हम विदेहक फेसबुक वर्सनपर सेहो देने रही
तकर बाद विदेहक फेसबुक भर्सन http://www.facebook.com/groups/videha/ पर धीरेन्द्र प्रेमर्षिजीक संग भेल तर्क / टिप्पणी ऐठाम देल
जा रहल अछि ई इतिहास शुद्धता लेल नीक अछि।
Jan Anand Mishra Premarshiji ekta star bain chukal chhaith
Ashish Anchinhar आ हमर कोशिश रहल अछि जे स्टारक स्टार सभ सेहो
ऐ फोटोमे आबथि से आबि गेल छथि।.
आशिषजी, धन्यवाद परिचय शृङ्खलामे हमरा रखबाक लेल। पल्लवमिथिलाक सन्दर्भमे हम पहिनहु
कहने रही जे वर्ष 2003 जनवरीसँ शुरू भेल छल मुदा ओकरा हम निरन्तरता नहि दऽ सकलहुँ।
तेँ ओइपर हमर कोनो दाबा नहि अछि। हँ ओहिमे वर्तमानधरि सेहो लिखाएल अछि जे सर्वथा गलत
अछि। अइ बायोडाटामे कने सम्पादन जरूरी छलै से नहि भऽ पाएल अछि। ओना पल्लवमिथिलाकेँ
भाषाविद डा रामावतार यादव सार्वजिनक कएने छलाह से समाचारो छपल छल। मुदा हमरा ओ कटिंग
तकबामे सेहो भाङठ हएत। कारण हम व्यवस्थापनक मामलामे बड्ड कमजोर छी।
Dhirendra Premarshi 2059 माघे संक्रान्तिदेखि नेपालको मैथिली भाषाको
पहिलो इन्टरनेट पत्रिका
पल्लव www.pallavmithila.mainpage.net सुरु गरिएको छ। यो पत्रिका
काठमाडौँस्थित मैथिली विकास मंचको तर्फबाट धीरेन्द्र प्रेमर्षीद्वारा सम्पादन तथा
प्रकाशन गरिन्छ। यसमा मैथिली भाषामा विविध साहित्यिक सामग्री राखिएका
छन्। हरेक महिना यसका सामग्रीहरू अद्यावधिक गरिन्छ।
(सम्प्रति नेपालक सूचना आयोगक अध्यक्ष विनय कसजूद्वारा लिखित पुस्तकमे सेहो पल्लवके बात राखल गेल अछि। एकर जे लिंक छै से अस्थायी प्रकृतिक भेलाक कारणे आब नइ भेटैत अछि। डा कसजूक किताबक लिंक अइठाम दऽ रहल छी- http://www.kasajoo.com/itbook_vinaya.pdf)
पल्लव www.pallavmithila.mainpage.net सुरु गरिएको छ। यो पत्रिका
काठमाडौँस्थित मैथिली विकास मंचको तर्फबाट धीरेन्द्र प्रेमर्षीद्वारा सम्पादन तथा
प्रकाशन गरिन्छ। यसमा मैथिली भाषामा विविध साहित्यिक सामग्री राखिएका
छन्। हरेक महिना यसका सामग्रीहरू अद्यावधिक गरिन्छ।
(सम्प्रति नेपालक सूचना आयोगक अध्यक्ष विनय कसजूद्वारा लिखित पुस्तकमे सेहो पल्लवके बात राखल गेल अछि। एकर जे लिंक छै से अस्थायी प्रकृतिक भेलाक कारणे आब नइ भेटैत अछि। डा कसजूक किताबक लिंक अइठाम दऽ रहल छी- http://www.kasajoo.com/itbook_vinaya.pdf)
हम http://www.pallavmithila.mainpage.net/ आhttp://www.pallavmithila.net/ दुनू खोलबाक प्रयास केलौं मुदा नै खुजलhttp://pallav.blogsome.com/ खुजल आ ओ 17 मइ 2006 केर अछि आhttp://hellomithila.blogspot.com/ सेहो खुजल जे 3 मइ 2006 केर अछि। भऽ सकैए ओ डोमेन नेम डिलीट
भऽ गेल हुअए, मुदा जँ डिलीट भेल डेटा देखी तँ तै हिसाबे सेहो भालसरिक गाछ 2000 ई.सँ
yahoogeocities पर निरन्तर छल, मुदा याहू द्वारा geocities सर्विस बन्द भऽ गेलाक बाद
ओहो डोमेन नेम बन्द भऽ गेल, आ http://gajendrathakur.blogspot.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html आ http://www.videha.com/2004/07/bhalsarik-gachh.html 5 जुलाइ 2004सँ निरन्तर मैथिलीक सभसँ पुरान स्वरूपमे उपलब्ध
अछि, नचिकेताक नाटक विदेहक आठम अंकसँ धारावाहिक प्रकाशित भेलै आ ओ जखन 2008 मे पोथी
रूपमे एलै तखन इन्टरनेटपर मैथिलीक प्रारम्भ 2000 ई. मे गजेन्द्र ठाकुर जी द्वारा कएल
जेबाक चर्च ओतए छै। (लिंकhttp://sites.google.com/a/shruti-publication.com/shruti-publication/Home/NO_ENTRY_MA_PRAVISH.pdf?attredirects=0) अहाँक दुनू लिंक जे खुजि रहल अछि ओकर चर्च सेहो अंतिकाक इन्टरनेट
पत्रिका विशेषांकमे गजेन्द्र ठाकुरजी केने छथि। ओना अहाँक देल सूचना महत्वपूर्ण अछि
आ भालसरिक गाछक बाद दोसर इन्टरनेट पत्रिका पल्लवकेँ मानल जा सकैए। तदनुसार अहाँक बायोडाटामे
सम्पादन कऽ रहल छी।
Dhirendra Premarshi अहाँ सही कहै छी आशिषजी। ई बात हम उपरका कमेंटमे
सेहो लिखने छी। (एकर जे लिंक छै से अस्थायी प्रकृतिक भेलाक कारणे आब नइ भेटैत अछि।)
ओना एकटा बात हम कहि दी जे हमर ई दावा नइ अछि मात्र जानकारीभरि अछि। आब जेँ कि ओकर
प्रमाणो खतम भेल जा रहल छै तेँ भऽ सकैए जे हम ओ विवरणो हटा दी।
Ashish Anchinhar हँ मेनपेज डॉट नेट डोमेन नेम प्रायः खतम भऽ गेल
छै, तकरा बाद कियो दोसर गोटे ओकरा लेने छथि प्रायः। तै दुआरे मेनपेज डॉट नेटक सब डोमेन
पल्लव सेहो खतम भऽ गेल हेतै। तै हिसाबे सेहो भालसरिक गाछ आ आर किछु साइट जे याहूसिटीज
केर अन्तर्गत 2000मे गजेन्द्र ठाकुर जी द्वारा शुरू भेल सेहो याहू द्वारा जियोसिटीज
बन्द कऽ देलाक बाद खतम भऽ गेलै मुदा अखनो एकर सभसँ पुरान लिंक 5 जुलाइ 2004 अखनो अछिये।
ओइ हिसाबे सेहो भालसरिक गाछ पहिल आ पल्लव दोसर इन्टरनेट पत्रिका सिद्ध होइए आ तदनुसारे
परिवर्तन/ सम्पादन कऽ देने छी.. सादर।
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बाबा बैद्यनाथ
पिताक नाम--स्व. सूर्यमणि झा
माताक नाम--स्व. गौरी देवी
जन्म--3 अगस्त 1955 (श्रावण धवल त्रयोदशी)
शिक्षा एम.ए (हिन्दी एवं दर्शन शास्त्र)
पता - कचहरी बलुआ, भाया बनैली, जिला पूर्णिया
प्रकाशित कृति- पहरा इमानपर (गजल संग्रह)
मैथिली आ हिन्दी साहित्यिक विभिन्न विधामे समान
रूपें लेखन। अखिल भारतीय त्रिभाषा (हिन्दी, मैथिली, उर्दू) साहित्य एवं कला परिषदक
संस्थापक आ महासचिव। मिथिला सौरभ (मैथिली त्रैमासिकी) आ त्रिवेणी (हिन्दी, मैथिली,
उर्दूक काव्य संकलन)क संपादन। सुपौलसँ प्रकाशित भारती-मंडन नामक पत्रिकाक प्रधान संपादक।हिन्दी
आ मैथिलीमे लिखल कैकटा नाटक, उपन्यास, कथा संग्रह, कविता संग्रह अप्रकाशित। केन्द्रीय
सचिवालय, हिन्दी परिषद् नई दिल्ली द्वारा आयोजित “हिन्दी प्ररूप एवं टिप्पणी लेखन प्रतियोगिता
“मे अखिल भारतीय स्तरपर प्रथम स्थान प्राप्त, फलतः स्वर्ण पदक, वैजयन्ती (ट्राफी),
प्रशस्ति पत्र एवं नगद राशिसँ सम्मानित। जिला साहित्य परिषद्, खगड़िया द्वारा मैथिली
साहित्यमे योगदान हेतु “विद्यापति स्मृति सम्मान “सँ सम्मानित। वर्तमानमे यूको बैंक,
मुख्य शाखा, बेगूसरायमे सीनीयर मैनेजर
उपरमे देल प्रतिनिधि गजलकारक अतिरिक्त बहुतों एहन शाइर सभ छथि
जे की छिटपुट आजाद गजल लिखला आ अन्य विधामे
महारत हासिल केलाह। ई सूची शुरूसँ लऽ कऽ एखन धरिक अछि। संगे-संग भारत आ नेपाल दुन्नू
मिला कए अछि। जँ ऐमे कोनो नाम छूटि गेल हुअए तँ ओ अहाँ सभ तुरंत सूचित करी से हमर आग्रह-
बाबू भुवनेश्वर सिंह भुवन, रमानंद रेणु, फूल चंद्र झा प्रवीण,
वैकुण्ठ विदेह, शीतल झा, प्रेमचंद्र पंकज, प.नित्यानंद मिश्र, शारदानंद दास परिमल,
तारानंद झा तरुण, रमाकांत राय रमा, महेन्द्र कुमार मिश्र, विनोदानंद, दिलीप कुमार झा
दिवाना, वैद्यनाथ मिश्र बैजू, विलट पासवान विहंगम, सारस्वत, कर्ण संजय, अनिल चंद्र
ठाकुर, श्याम सुन्दर शशि, अशोक दत्त, कमल मोहन चुन्नू, रोशन जनकपुरी, जियाउर रहमान
जाफरी, धर्मेन्द्र विहवल्, सुरेन्द्र प्रभात, अतुल कुमार मिश्र, रमेश रंजन, कन्हैया
लाल मिश्र, गोविन्द दहाल, चंद्रेश, चंद्रमणि झा, फजलुर रहमान हाशमी, रामलोचन ठाकुर,
विनयविश्व बंधु, रामदेव भावुक, सोमदेव, रामचैतन्य धीरज, महेन्द्र, केदारनाथ लाभ, गोपाल
जी झा गोपेश, नंद कुमार मिश्र,देवशंकर नवीन,मार्कण्डेय प्रवासी,अमरेन्द्र यादव, केदार
कानन आदि।
बहुत रास नाम धीरेन्द्र प्रेमर्षि जी द्वारा संपादित गजल विशेषांक
पर आधारित अछि।उम्मीद अछि जे हिनकर सभहँक विस्तृत परिचय आगामी समय केर पोथीमे आएत।
मैथिलीक आजाद गजलक पोथीक सूची--
1) उठा रहल घोघ तिमिर---बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर विभूति
आनंद (प्रकाशन वर्ष June 1981, ऐमे कुल 34 टा गजल अछि आ ई भारती प्रकाशन, पटनासँ प्रकाशित
अछि। मूल्य 3टका साधारण, 6 टका विशेष)
2) कान्ह पर लहास हमर---बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर कलानंद
भट्ट (2ep.1983, ई किसुन संकल्प लोक, सुपौलसँ प्रकाशित अछि आ ऐमे कुल 48 टा गजल अछि।
मूल्य 4टका)
3) लेखनी एक रंग अनेक ----बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर
रवीन्द्रनाथ ठाकुर (15/8/1985, ऐमे कुल 109 टा गजल आ 7 टा कता अछि। ई पूर्वांचल प्रकाशन,
पटनासँ प्रकाशित अछि। मूल्य 10 टका)
4) शोणिताएल पएरक निशान--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर सियाराम
झा सरस (1989, ऐमे कुल 48 टा गजल अछि। ई सरला प्रकाशन, मेहथसँ प्रकाशित अछि। मूल्य
12 टका)
5) लोकवेद आ लाल किला--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। संपादक शाइर
सियाराम झा सरस (प्रकाशन वर्ष 1990, ऐमे कुल 12 टा गजलकारक 84 टा गजल अछि। ई विद्यापति
सेवा संस्थानसँ प्रकाशित अछि। मूल्य 12टका)
6) पहरा पर इमान--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर बाबा बैद्यनाथ
(1989, ऐमे कुल 30टा गजल अछि)
7) नागफेनी--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर रमेश (1990, ऐमे
कुल 58 टा गजल अछि। मूल्य 10टका समान्य, 15 टका पुस्तकालय)
8) अपन युद्धक साक्ष्य--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर तारानंद
वियोगी (प्रकाशन वर्ष 1991, ऐमे कुल 40टा गजल अछि। ई चतुरंग प्रकाशन, बेगूसरायसँ प्रकाशित
अछि। मूल्य 7 टका)।
एही कथित गजल संग्रहक दोसर संस्करण 2016मे आएल जकर प्रकाशक किसुन
संकल्प लोक अछि। अइमे कथित पुरना गजलक संग 25 टा नव कथित गजल सहो देल गेल अछि आ संगे-संग
बारह टा गीत सेहो जोड़ल गेल अछि।
9) थोड़े आगि थोड़े पानि--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर
सियाराम झा सरस (प्रकाशन वर्ष nov.2008 ऐमे कुल 80टा गजल अछि। ई नवारम्भ प्रकाशन, पटनासँ
प्रकाशित अछि। मूल्य 70टका)
10) गजल हमर हथियार थिक--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर सुरेन्द्रनाथ
(2008, ऐमे कुल 68 टा गजल अछि। ई नवारम्भ प्रकाशन, पटनासँ प्रकाशित अछि। मूल्य 70टका)
11) सूर्यास्तसँ पहिने--बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर राजेन्द्र
विमल (प्रकाशन वर्ष-साल 2068, 2011, पृथु प्रकाशन, जनकपुर नेपाल, ऐमे कुल 96 टा गजल
अछि। मूल्य 100 टका साधारण, 200 टका संस्थागत)
12) नवीन मैथिली गजल--हमरा लग उपल्बध नै अछि। शाइर अनन्त बिहारी
लाल दस “इन्दु”
13) मधुर मैथिली गजल--हमरा लग उपल्बध नै अछि। शाइर अनन्त बिहारी
लाल दस “इन्दु”
(इन्दु जीक संग्रहक जानकारी हमरा सरसजी द्वारा भेटल अछि हलाकिं
हुनको लग दूनू संग्रह नै छन्हि)
14) बहुरुपिया प्रदेश मे ---बिना बहरक गजल संग्रह अछि ई। शाइर
अरविन्द ठाकुर (प्रकाशन वर्ष-nov 2011, ऐमे कुल 66 टा गजल अछि। ई नवारम्भ प्रकाशन,
पटनासँ प्रकाशित अछि। मूल्य 125 टका सजिल्द, 75 टका अजिल्द)
15) दुखक दुपहरियामे--बिना बहरक गजल सभ अछि ऐमे। गंगेश गुंजन
(ऐमे 14 टा गजल सनकेँ किछु अछि)
16) संघर्षक पथ पर--अशोक दत्त (हमरा लग उपल्बध नै अछि)
17) चानन-काजर---बिना बहरक गजल सभ अछि ऐमे।। देवशंकर नवीन
18) आखर-आखर गीत----बिना बहरक गजल सभ अछि ऐमे। सियाराम झा सरस
(ऐमे कुल 16 टा गजल आ 73 टा गीत अछि। ई सरला प्रकाशन, मेहथसँ प्रकाशित अछि)
19) अपूर्वा---बिना बहरक गजल सभ अछि ऐमे। रामलोचन ठाकुर
20) गीत ओ गजल--बिना बहरक गजल सभ अछि ऐमे। शाइर शुधांसु शेखर
चौधरी (ऐमे कुल 31 टा गजल आ 7 टा गीत अछि)
21) सोम पदावली---बिना बहरक गजल सभ अछि ऐमे। शाइर सोमदेव
22) अवान्तर--बिना बहरक गजल सभ अछि ऐमे। शाइर मायानंद मिश्र
23) मोमक पघलैत अधर---शाइर राम भरोस कापड़ि भ्रमर, प्रकाशन वर्ष1983।
हमरा लग उपल्बध नै अछि।
24) जे गेल नहि बिसरल--शाइर मोहन यादव, प्रथम संस्करण-जून 2015,
प्रकाशक-मैथिली प्रेरणा परिषद, श्रीपुर, सकरी, दरभंगा, कुल 81 टा कथित गजल अछि अइमे।
तथाकथित गजल संग्रहक अतिरिक्त बिलट पासवान बिहंगम, जीक सहो किछु
गजल अछि जकरा शाइर द्वारा गीतल कहल गेल। धीरेन्द्र प्रेमर्षि जीक संपादनमे निकलल “पल्लव”
पत्रिकाक गजल विशेषांक मैथिली पत्रिकारितामे पहिल आजाद गजल विशेषांक अछि। अनंत बिहारी
लाल दास इन्दु जीक बहुत गजल सभ छन्हि मुदा ओहि संबंधमे कोनो जानकारी नै अछि।
उपरक विवरणक अतिरिक्त प्रस्तुत अछि मैथिलीक व्यंग्य
सम्राट प्रो. हरिमोहन झाजीक लिखल ई गजल जे कि हुनक रचनावली (कविता खंड)सँ पृष्ठ-87सँ
साभार अछि। तकर बाद हम एकर तक्ती कऽ देखाएब जे ई वास्तवमे गजल थिक की नै थिक--
ने लड़लहुँ फौजदारी जौं
त रुपया केर धाहे की
खसौलक नोर नहि बापक
त ओ कन्याक विवाहे की
ने आधा ऐंठ फेकल गेल
त फेर ओ भोज भाते की
ने बहराएल एको बन्दूक
त ओ थिक बराते की
ने लगला जोंक बनि कय जे
तेहन दुलहाक बापे की
जौं लस्सा बनि कुटुम सटला
त ओहिसँ बढ़ि पापे की
पड़ल नहि खेत सुदभरना
त ओ बापक सराधे की
ने फनकल जौं देयादे सन
त ओ गहुमन दराधे की
1972मे लिखल (प्रकाशित) आब एकर तक्ती देखू--
पहिल शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि--1222-1222
पहिल शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि--1222-1222
दोसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि--1222-1222
दोसर शेरक दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि-1222-11222 जे कि मतलाक हिसाबें नै अछि।
तेसर शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि- 1222-12221
दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि--12122-1222 जे कि मतलाक हिसाबें नै अछि।
चारिम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि 1222-122221
दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि--122-1222 जँ कथित
तौरपर “ए” केँ लघु मानी (जे कि गलत अछि) तखन एहि चारिम शेरक मात्राक्रम एना हएत--पहिल
पाँति -1222-12221 दोसर पाँति-122-1222 दूनू व्यवस्थाकमे मात्राक्रम मतलाक हिसाबें
नै अछि।
पाँचम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि--1222-1222
दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि- 2222-1222 जे कि मतलाक हिसाबें नै अछि।
छठम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि--1222-1222
दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि-1222-222 जे कि मतलाक हिसाबें नै अछि।
सातम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि--1222-1222
दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि-1222-1222 जे कि मतलाक हिसाबें अछि।
आठम शेरक पहिल पाँतिक मात्राक्रम अछि- 1222-2222
दोसर पाँतिक मात्राक्रम अछि-1222-1222 जे कि मतलाक हिसाबें नै अछि।
उपरक विवेचनासँ स्पष्ट अछि जे ई गजल नै अछि। ओना
हरिमोहन झाजी अपन आत्मकथा “जीवन यात्रा” मे लिखै छथि जे ओ पटना आबि मोशायरा सभमे सेहो
भाग लेबए लगलाह। भऽ सकैए जे मात्र लौलवश ई कथित गजल हरिमोहनजी लिखने होथि। जे किछु
हो मुदा ई गजल गजल इतिहासमे उल्लेख करबा योग्य नै अछि मुदा ओइ बाबजूद मात्र अइ कारणसँ
हम विवरण देलहुँ जे काल्हि कियो उठि कऽ कहि सकै छथि जे हरिमोहन झा सन महान हास्य-व्यंग्यकार
गजल लिखने छथि आ सही लिखने छथि। बस एही कारणसँ हम एतेक मेहनति केलहुँ अन्यथा एहि गजलमे
कोनो एहन बात नै। हरिमोहन झाजी गजलक संबंधमे की सोचैत छलाह तकर बानगी “कहू की औ बाबू”
नामक कविताक पहिले खंडमे देने छथि--
बसाते तेहन छै जे गोष्ठी मे कवियो
गजल दादरा आ कव्वाली गबैये
किछु दिन मे एहो देखब औ बाबू
जे कविताक संग-संग तबला बजैए
हरिमोहन झा रचनावली (कविता खंड) पृष्ठ-120 (11-11-1978
मे प्रकाशित)। भऽ सकैए जे हरिमोहनजीकेँ उर्दू शाइर सभहँक संग घनिष्ठता होइन मुदा ओ
घनिष्ठता शाइरी ज्ञानमे नै बदलि सकल से उपरक हुनक विचारसँ परिलक्षित भऽ जाइए।
तँ ई छल इतिहास एक नजरिमे। बहुत गोटेँ हँसैत हेता जे एहने इतिहास
होइ छै की। हम हुनकर स्वागत करै छी आ आसा करै छी जे ओ ऐसँ नीक इतिहास लीखि पाठकक आगू
परसताह। अन्तमे हम मात्र ई कहए चाहब जे ने तँ हमर ई आलेख एकेडमिक अछि आ ने हम एकेडमिक
छी तँए बहुत सम्भव जे हमरा नजरिसँ व्याकरणयुक्त गजलकार वा गजल छुटि गेल होएत। पाठकसँ
अनुरोध जे हुनकर नाम देल जाए सङ्गे-सङ्ग आन गलत तथ्य सेहो सोझा लाबथि जाहिसँ मैथिली
गजल आर मजगूत भऽ सकए। ई पोथी मैथिली गजलक पहिल पोथी छै अंतिम नै। हमर इच्छा जे मैथिली
गजलक व्याकरणपर एक नै एक हजार पोथी आबै।
परिशिष्ट-1
“गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा” सम्मानक सर्टिफिकेट
ऐठाम धेआन देबै। मैथिलीमे पहिल बेर महिला लोकनिकेँ
सम्मान दैत कोनो सम्मान पत्रक शुरूआत.. “श्रीमती, सुश्री” आदिसँ भेल अछि। ई तथ्य हम
फेसबुकपर सेहो देने छी।
परिशिष्ट-2
पं. जीवन झा जीक मृत्यु दिवस जे की मइमे होइ छै
तैमे हरेक बर्ख एकटा सम्मान देल जाएत जकर नाम हेतै “पं. जीवन झा Lifetime Achievement
गजल सम्मान” । संक्षिप्तमे “पं. जीवन झा गजल सम्मान” ई सम्मान कोनो व्यक्ति वा संस्थाकेँ
देल जा सकैए जे अपन जीवनमे गजल लेल काज केने होथि।
ऐ सम्मान लेल व्यवस्था एना रहत--
पाठक, आलोचक, विश्वविद्यालय, मैथिली संस्था आदि
एकटा नोमिशेन फार्म अनचिन्हार आखरकेँ पठेता (मात्र इंटरनेटसँ स्वीकार्य)। अनचिन्हार
आखरक सेलेक्शन कमीटि ओइ नाम सभपर विचार क' अंतिम निर्णय देता। ई सम्मान मात्र काज अधारित
छै तँए विवाद बर्दास्त नै कएल जाएत। ई फार्म ऐ निच्चा उपल्बध अछि पाठक, आलोचक, विश्वविद्यालय, मैथिली संस्था आदि फार्म भरबा कालमे ई सभ मोन राखथि--
1) एक बेरमे एकै व्यक्ति वा संस्थाकेँ भेटत।
2) जै बर्खमे किनको ई सम्मान भेटि रहल हो तैसँ 30
बर्ख पाछू धरिक हुनक गजलक उपर काजकेँ मूल्याकंन कएल जाएत संगे संग कमसँ कम हुनक 5सँ
बेसी गजल संग्रह वा गजल आलोचना, इतिहासपर पोथी प्रकाशित भेल हो
3) जँ संपादक छथि तँ हुनकर पत्रिकामे प्रति बर्ख
30टा गजल प्रकाशित भेल हो। जँ संपादक बदलि गेल छथि तँ ई सम्मान पत्रिकाकेँ देल जाएत।
4) ओ संस्था जे की गजलक 15 टा पोथी प्रकाशित केने
हो।
5) ओ संपादक जे की प्राचीन गजलकारक मूल वर्तनीकेँ
सुरक्षित राखैत 10 टा गजलक संपादन केने होथि।
6) ओ दानदाता जे की गजलक पोथी प्रकाशित करबाक लेल
दान देने होथि (कमसँ कम 20टा)।
7) ई प्रयास रहत जे ई सम्मान हरेक बर्ख देल जाए
मुदा उचित प्रतियोगीकेँ अभावमे एकरा ओइ बर्ख लेल स्थगित सेहो कएल जा सकैए।
8) ऐ सम्मानक
सभ प्रकिया अनचिन्हार आखर सुरक्षित रखने अछि संगे-संग उतरदायित्व सेहो लैत अछि।
9) जे केओ सम्मान ओ पाइकेँ संग जोड़ि देखै छथि तिनका
लेल ई सम्मान अयोग्य अछि। हँ साधनक हिसाबें राशिक व्यवस्था सेहो हेतै मुदा भविष्यमे।
10) जे केओ 30 बर्खमे 30टा वा ओसँ बेसी नव गजलकारकेँ
गजल विधासँ जोड़लाह।
11) अनचिन्हार आखरक संस्थापक ऐ सम्मानक हकदार नै
हेताह।
12) अनचिन्हार आखरक सेलेक्शन कमीटिक जे केओ मेम्बर
हेताह तिनका 2 बर्खक बादें ई सम्मान भेटि सकैए।
परिशिष्ट-3
मैथिली
गजलकार द्वारा लिखल अंग्रेजी भाषाक गजल
एहि संबंधमे जहाँ धरि हमरा ज्ञान अछि ओइ हिसाबसँ कुंदन कुमार
कर्ण मैथिलीक (भारत ओ नेपाल दुन्नू मिला कऽ) ओहन पहिल गजलकार छथि जे की अंग्रेजी भाषामे
गजल सेहो लिखलाह। तकर बाद राजीव रंजन मिश्रजी सेहो अंग्रेजी गजल लिखलाह। एहि संबंधक
पूरा विवरण देखबाक लेल अनचिन्हार आखरक एहि लिंकपर जाउ--https://anchinharakharkolkata.blogspot.in/2017/03/blog-post_11.html
अंग्रेजी भाषाक इतिहासकार सभहँक मोताबिक भारतीय मूलक अमेरिकी
कवि आगा शाहिद अलीजी अंग्रेजीमे गजल लिखलथि। ओना बहुत रास अनुवादक ओहिसँ पहिने अरबी-फारसी
गजलक अंग्रेजी अनुवाद कऽ चुकल छलाह। जेना कि हरेक भाषाक शुरुआती दौरक गजलमे नियमक अभाव
देखाइए तेनाहिते अंग्रेजी गजलमे सेहो अछि। बादमे अंग्रेजी गजल लेल सिलेबल बला नियम
लागू भेल। मने हरेक पाँतिमे एक समान सिलेबल रहए। आब ई सिलेबक की छै से जानू। सिलेबल
कोनो शब्दक “स्वर उच्चारण खंड” भेल। निच्चा किछु शब्दक सिलेबल देखू--free (1 syllable),
eat (1 syllable), bio (2 syllables) आब पूछि सकै छी जे बायो लेल दू टा उच्चारण खंड
कोना? बा-यो जखन कि free वा eat मे एकैटा स्वर छै। doctor मे दूटा सिलेबल छै। एनाहिते
हरेक अंग्रेजी शब्दक सिलेबल जानि सकै छी। ई व्यवस्था मैथिलीक “सरल वार्णिक बहर” क बेसी
लगीच बुझाइए। गजलक किछु शब्दक अंग्रेजी रूप एना अछि--
Sher- A couplet
Malta--First couplet of the ghazal--both lines end in the
rhyme and refrain
Radif/Radeef/ the refrain
Qafia/ Qâfiyah/ Qaafiya/ Kaafiya/ --the rhyme
Makta/ Makhta --The signature--the poet invokes herself (or
an alter ego/pen name--Takhallus) in the last couplet, directly or through wordplay
Beher (or bahar)--Poetic metre.
Ghazalkar--One who writes Ghazals.
Misra--A line of a couplet.
किछु अंग्रजी गजल पढ़बाक लेल अइ लिंकपर जा सकै छी--https://www.poets.org/poetsorg/poems?field_form_tid=413
मैथिलीक शाइर (गजल कार )पर एतेक शुक्ष्मतासँ आ एतेक नीक, पूर्ण जानकारी ओहो एकठाम, अपनेक प्रशंशाक शव्द नहि अछि हमरा लग | १०० अश्वमेघ यज्ञ करब'सँ कठिन काज........
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