मंगलवार, 6 सितंबर 2011

गजल

पिपरक पात जँका तँ डोलैत लोक

सिम्मरिक रुइ जँका तँ उड़ैत लोक


देखू सृष्टि तँ बनि गेल भुतहा गाछ

भोर-साँझ ओझाके सहैत लोक


नोर तँ मानल गेल गंगा-जल जँका

देखू नोरेसँ जिनगी धोबैत लोक


सीसा तँ मासे-मास टूटै लोहा बर्खमे

मुदा खने-खन भेटत टूटैत लोक


देव-दानवक डर तँ मानलो जाए

अपने डरें छुल-छुल मुतैत लोक



**** वर्ण---------14*******

1 टिप्पणी:

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों