शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

ह्रस्व , दीर्घक झंझट

<*ह्रस्व , दीर्घक झंझट*>

जहिना गणितक सबाल हल करबाकएकटा अपन खास नियम होइत अछि तहिना गजल लिखबाक एकटाखास पैटर्न अछि जेकरा"बहर" कहल जाइत अछि ।

बहर दू प्रकारक होइत अछि ।


1 .वार्णिक
2 .मात्रिक

वार्णिक बहरमे वर्ण गानि कऽ लिखल जाइत अछि ।एकर चर्चा पहिने भेल अछि ।एकर बहरक नाम थिक सरल वार्णिक बहर । मूल रूपसँ ई बहर "अजाद बहर" संशोधित रूप अछि तेँ ई बाद कमचलाऊ मात्र अछि ।

2 .मात्रिक- एहिमे शब्दक चयनमे दू टा बात मोन राखऽ पड़त ।

ह्रस्व(मने 1) आ दीर्घ(मने 2)

हिन्दी वर्णमालाक जते ह्रस्व स्वर अछि (जेना-अ ,इ,उ ,) एकरा आ एकर संयोगसँ बनल शब्द (जेना- क इ=कि , प उ=पु , म अः=मः ) के ह्रस्व मने 1 मानल जाइत अछि ।

* हिन्दी वर्णमालाक दीर्घ स्वर (आ ,ई ,ऊ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ ,अं) आ एकर संयोगसँ बनल शब्दकेँदीर्घ मने 2 मानल जाइत अछि ।

*सबटा व्यंजन "कसँ" " ज्ञ" धरि ह्रस्व अछि ।
उदाहरण- चोर- च ओ र= दीर्घ ह्रस्व भेल ।

* जरूरति पड़लापर दूटा ह्रस्व एक संग मिल कऽ एकटा दीर्घक निर्माण करैत अछि ।मुदा शर्त ई अछि जे दुनू ह्रस्व एकै टा शब्दक हेबाकचाही ।कोनो दू टा अलग-अलग शब्दसँ लेल ह्रस्वकेँ नै जोड़ल जा सकैत अछि ।
उदाहरण- चमक-111
चमक-21(चम-2 ,क-1)
चमक-12(च-1 .मक-2)
मुदा
कऽ रहल-22 कहनाइ गलत हएत ।
"कऽ" आ "रहल" दू टा अलग शब्द अछि तेँ कऽ आ र के कखनो जोड़ल नै जा सकैत अछि ।

*एकटा बात मोन राखू ।
कोनो संयुक्ताक्षरसँ ठीक पहिने बला शब्द अपने आप दीर्घ भऽ जाइत अछि भले ओ ह्रस्व किएक ने होइ ।

उदाहरण-
चमत्कार-1221
च-1
मत्का-22 म संयुक्ताक्षर "त्क" सँ ठीक पहिने अछि तेँ ह्रस्व रहितो "म" बनि जाएत ।
र-1

* मैथिली लेल ई निअम नै छै (हिन्दीमे ई निअम छै, आ किछु मैथिली लेखक ओकर अनुकरण कऽ ई लिखनहियो छथि), एतऽ म्ह आ न्ह केर पहिलुका ह्रस्व सेहो सामान्य रूपसँ दीर्घ होइत अछि। जेना छनि आ छन्हि कोनो बच्चासँ बजबा कऽ देखू- छनि मे छ ह्रस्व, मुदा छन्हि मे छ दीर्घ उच्चारित होइए। तहिना जिम्हर मे जि दीर्घ उच्चरित होइए (पद्यमे)। ओना कोनो लेखक जँ एकाध ठाम ओकरा ह्रस्व लऽ रहल छथि तँ ओ पद्यक पाँति अपवाद रूपमे स्वीकृत भऽ सकैए; मुदा निअममे ऐ अपवादक हिन्दीक अनुकरणमे स्वीकृत करबाक आवश्यकता नै। तहिना जिनका मैथिली गायनक अनुभव छन्हि से आर नीक जकाँ बुझि सकैत छथि जे पद्य पहिने पढ़ल आ फेर गाओल जाइ छै, तेँ "हमर स्वर" गेबा काल "हमर" केर "र" दीर्घ हएत, बावजूद ओकर दोसर शब्दक भाग रहलाक बादो- कारण ओकर निर्धारण पद्यक पाँतिक अनुसार लगातार हएत। हँ जँ पद्यक दोसर पाँतिक पहिल अक्षर संयुक्ताक्षर अछि आ पछिला पाँतिक अन्तिम अक्षर ह्रस्व तँ ओ ह्रस्व दीर्घ नै हएत; कारण पाँतिक अन्तक संग गणनाक अन्त भऽ जाइत अछि। 


दीर्घ आ बिकारी (संअस्कृतमे अवग्रह, बांग्लामे जफला)मे अन्तर छै। बिकारी ऽ जँ चारियोटा दऽ दियौ तैयो दीर्घ नै हएत.. जेना बच्चाक गीतमे घऽऽऽऽऽऽर- ई ह्रस्व-ह्रस्व भेल \\ विसर्गयुक्त सभ अक्षर गुरू मानल जाइत अछि।आ ह्रस्वक संग चन्द्रबिन्दु/ बिकारी ह्रस्व मानल जाइत अछि।[gjendra thakur]

ह्रस्व दीर्घ केँ आधारपर जे गजल कहल जाइत अछि ओकरा अरबी बहर कहल जाइत अछि ।
अरबीयो बहरकेँ बहुतो भाग अछि ।
ई बहर इंटरनेशनल अछि ।अर्थात दुनियाँक सब भाषामे गजल इएह बहर अर्थातअरबी बहर अर्थात ह्रस्व दीर्घ केँ आधारपर कहल जाइत अछि ।
इएह छल गजलक पैघ आ मूल व्याकरण । व्याकरण ,सूत्र इएह अछि एकर एप्पलिकेसन बहुत अछि जेकरा अलग अलग नामसँ (बहर) जानल जाइत अछि ।

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों