गजल
लाख सौंदर्यक अमृतसँ भरल यौवन
कर्म बिनु छै बेकार ई चढ़ल यौवन
मोन मोहै जादू करै रूप जेकर
वैह कखनो बनि जाइ छै गरल यौवन
साफ मोनक एगोसँ सब काज उसरत
जाड़ि दै लाखो रहत यदि जड़ल यौवन
नै मजा जीबैमे तते काँट गड़लै
दर्दकेँ असली गजल छै बनल यौवन
ई युवा माँगै भीख देखू भटकिकेँ
छै गरीबीकेँ बीचमे फसल यौवन
आश नै कखनो तूँ लगा रूपपरमे
दै कतेको धोखा "अमित" सजल यौवन
फाइलातुन-मुस्तफइलुन-फाइलातुन
2122-2212-2122
बहरे-खफीफ
अमित मिश्र
लाख सौंदर्यक अमृतसँ भरल यौवन
कर्म बिनु छै बेकार ई चढ़ल यौवन
मोन मोहै जादू करै रूप जेकर
वैह कखनो बनि जाइ छै गरल यौवन
साफ मोनक एगोसँ सब काज उसरत
जाड़ि दै लाखो रहत यदि जड़ल यौवन
नै मजा जीबैमे तते काँट गड़लै
दर्दकेँ असली गजल छै बनल यौवन
ई युवा माँगै भीख देखू भटकिकेँ
छै गरीबीकेँ बीचमे फसल यौवन
आश नै कखनो तूँ लगा रूपपरमे
दै कतेको धोखा "अमित" सजल यौवन
फाइलातुन-मुस्तफइलुन-फाइलातुन
2122-2212-2122
बहरे-खफीफ
अमित मिश्र
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