गजल
कोन घरमे जा कऽ बैसब सगर छेकल राजनीतिसँ
भोरमे किछु रातिमे किछु रंग लागल राजनीतिसँ
गाम उजड़ल सड़ल बनलै लोक बकरा बनि कऽ कटलै
आइ तैयो भीख माँगै छै अभागल राजनीतिसँ
कोन धारा लागि रहलै कोन जनता जानि सकलै
नीक जनता चोर भेलै चोर छूटल राजनीतिसँ
प्रेम करियौ फेर चलियौ जेल सगरो भरल भेटत
फेर अपहरणक कते आरोप लागल राजनीतिसँ
नीक नै छै आब सूतब आब निज अधिकार ताकू
राम राज्यक उदय हेतै "अमित" जागल राजनीतिसँ
फाइलातुन
2122 चारि बेर सब पाँतिमे
बहरे-रमल
अमित मिश्र
कोन घरमे जा कऽ बैसब सगर छेकल राजनीतिसँ
भोरमे किछु रातिमे किछु रंग लागल राजनीतिसँ
गाम उजड़ल सड़ल बनलै लोक बकरा बनि कऽ कटलै
आइ तैयो भीख माँगै छै अभागल राजनीतिसँ
कोन धारा लागि रहलै कोन जनता जानि सकलै
नीक जनता चोर भेलै चोर छूटल राजनीतिसँ
प्रेम करियौ फेर चलियौ जेल सगरो भरल भेटत
फेर अपहरणक कते आरोप लागल राजनीतिसँ
नीक नै छै आब सूतब आब निज अधिकार ताकू
राम राज्यक उदय हेतै "अमित" जागल राजनीतिसँ
फाइलातुन
2122 चारि बेर सब पाँतिमे
बहरे-रमल
अमित मिश्र
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