ई हँसी हमर सुनलौं अहाँ
दर्दकेँ नै तँ बुझलौं अहाँ
दाँतकेँ बीचमे जीभ सन
मोनमे अपन मुनलौं अहाँ
नै हमर मोनकेँ चिन्हलौं
मुँह किए देख घुमलौं अहाँ
प्रेमकेँ हमर हँसि बिसरलौं
मोनकेँ तोरि झुमलौं अहाँ
हाथ संगे खुशीकेँ पकरि
हृदय ‘मनु’ केर खुनलौं अहाँ
(बहरे मुतदारिक, २१२-२१२-२१२)
@ जगदानन्द झा ‘मनु’
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