हमरा इ सूचित करैत बड्ड नीक लागि रहल अछि जे " अनचिन्हार आखर"द्वारा स्थापित " गजल कमला-कोशी-बागमती-महानंदा" सम्मानक ( बाल गजलक लेल ) पहिल चरण बर्ख-2012 ( मास सितम्बर लेल ) पूरा भए गेल अछि। मास सितम्बर लेल जगदानंद झा मनु जीक एहि रचना के चयन कएल गेलैन्हि अछि। हुनका बधाइ।
बाल गजल
बेलगोबना नहि सुनलक गप्प
ओकर माथसँ बेल खसल धप्प
बरखा बुनि ल' क' एलै कारी मेघ
पएर तर पानि करे छप्प छप्प
बोगला भेल देखू कतेक चलाक
एके पएरे करे दिन भरि जप्प
बुढ़िया नानीकेँ दुनू काने हरेलै
चाह पीबे भरि दिनमे दस कप्प
बैस 'मनु' झोँटा छटा ले चुपचाप
नै तँ काटि देतौ कान हजमा खप्प
(सरल वार्णिक बहर, वर्ण-१३)
सर, कनी धियानसँ देखल जाऊ ई गजल किनकर छैन |
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