गजल
लेलहुँ सुख भरि पाँज पकड़ि हम
स्वर्गक आँगन गेल चतरि हम
काँचे सन नेहक जहर नशा
भांगक टूस्सी देल रगड़ि हम
थू थू करतै देख नामकेँ
जाड़ब जतऽ इतिहास पजरि हम
लेलहुँ सुख भरि पाँज पकड़ि हम
स्वर्गक आँगन गेल चतरि हम
काँचे सन नेहक जहर नशा
भांगक टूस्सी देल रगड़ि हम
थू थू करतै देख नामकेँ
जाड़ब जतऽ इतिहास पजरि हम
जोहै सत्यक बाट बाटपर
चौकठिपर छी बनल नजरि हम
जीबू दोसरकेँ दऽ कोहबर
छारब छप्पर हुनक उजरि हम
तड़पाबै छै आँखि मुनि कऽ ओ
बहकै छी चोरीसँ सुधरि हम
टूटत राजक नीन्न तखन नै
हल्ला करबै जखन भखरि हम
22-2221-212
अमित मिश्र
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