जकर मोनक रावण नै मरलै
राम आजुक कोना ओ बनलै
डशल साँपक पइनो मंगै छै
डशल मनुखक कनिको नै कनलै
गेल आँगन घर सभ पलटै छै
मोन भेटत कोना जे जड़लै
हाथ रखने सभतरि भस्मासुर
निकलितो साउध बाहर डड़लै
छोड़ि ढेपापर चुगला 'मनु'केँ
शहर दिस नेन्ना भुटका भगलै
(२१२२-२२-२२२)
जगदानन्द झा 'मनु'
जगदानन्द झा 'मनु'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें