गजल
नव नव रोग रोगीकेँ लगाबै रूप
मरलेकेँ जहर नेहक दऽ मारै रूप
कायाकेँ कहब दैबा तँ हर्जा कोन
लाशोकेँ तँ पल भरिमे जगाबै रूप
छै सब डूबल कर्जासँ सबहक संग
डूबेबो करै आ झट उबारै रूप
सालक बाद बनि जेतै महल खंडहर
देखू लोक सब सजि धजि सजाबै रूप
सदिखन मोनमे गप नीक आबै "अमित"
तैयो नेत डोलाबै फसाबै रूप
मफऊलातु
2221 तीन बेर
अमित मिश्र
नव नव रोग रोगीकेँ लगाबै रूप
मरलेकेँ जहर नेहक दऽ मारै रूप
कायाकेँ कहब दैबा तँ हर्जा कोन
लाशोकेँ तँ पल भरिमे जगाबै रूप
छै सब डूबल कर्जासँ सबहक संग
डूबेबो करै आ झट उबारै रूप
सालक बाद बनि जेतै महल खंडहर
देखू लोक सब सजि धजि सजाबै रूप
सदिखन मोनमे गप नीक आबै "अमित"
तैयो नेत डोलाबै फसाबै रूप
मफऊलातु
2221 तीन बेर
अमित मिश्र
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