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हम नहि मानैत रही तँ तों प्रेमसँ हमरा खुआबैत रही
तोहर आँचर छल ई दुनिया नहि हम किछु जानैत रही
मन दब रहलापर हमरा लोरी गाबि क' सुताबैत रही
पहर धरि काज केलाके बाद तों दम साधिके सुतैत रही
हमर टुहैक कानब सँ भरि-भरि राति माय जागैत रही
लोकक उपराग सुनिके बादो नै कखनो तमसाबैत रही
अपना नहि पीबि के ओ दूध हमरा जरूर पियाबैत रही
जन्मैत संगे देखै छी मायके पहिने, ठाढ़ कियो ओतय रही
आंखिमे भरल नोरक संग उत्पलके देखि मुस्काबैत रही
सरल वार्णिक बहर वर्ण -23
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