शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2012

गजल


नेनामे जखन कानैत रही तों चुप हमरा कराबैत रही
हम नहि मानैत रही तँ तों प्रेमसँ हमरा खुआबैत रही

तोहर आँचर छल ई दुनिया नहि हम किछु जानैत रही
मन दब रहलापर हमरा लोरी गाबि क' सुताबैत रही

पहर धरि काज केलाके बाद तों दम साधिके सुतैत रही
हमर टुहैक कानब सँ भरि-भरि राति माय जागैत रही

लोकक उपराग सुनिके बादो नै कखनो तमसाबैत रही
अपना नहि पीबि के ओ दूध हमरा जरूर पियाबैत रही

जन्मैत संगे देखै छी मायके पहिने, ठाढ़ कियो ओतय रही
आंखिमे भरल नोरक संग उत्पलके देखि मुस्काबैत रही

 सरल वार्णिक बहर वर्ण -23 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों