गजल
जकर मोनक रावण नै मरलै
सदिखने ओ अतृप्ते रहलै
कने बाजू तौलल गप देखू
कुरूक्षेत्रसँ तेँ शोणित बहलै
कहू नै हमरा सब जानै छी
श्रवण धन देबालोकेँ उगलै
जते बेटा सुनि लोरी सूतल
तते बेटी धरतीपर पड़लै
भविष्यक चलते स्वाहा करिते
कते लोभी बनि नाँङट बिकलै
सजा सदिखन भेटल बिन गलती
जहलमे "अमितो" पड़ले रहलै
1222-22-222
अमित मिश्र
जकर मोनक रावण नै मरलै
सदिखने ओ अतृप्ते रहलै
कने बाजू तौलल गप देखू
कुरूक्षेत्रसँ तेँ शोणित बहलै
कहू नै हमरा सब जानै छी
श्रवण धन देबालोकेँ उगलै
जते बेटा सुनि लोरी सूतल
तते बेटी धरतीपर पड़लै
भविष्यक चलते स्वाहा करिते
कते लोभी बनि नाँङट बिकलै
सजा सदिखन भेटल बिन गलती
जहलमे "अमितो" पड़ले रहलै
1222-22-222
अमित मिश्र
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