गजल
आस टूटल भाग भूटल
आँखि इनहोरे सँ शीतल
घुरिकँ आबूँ ई जिनगी मेँ
यै छी अहाँ कियैक रुसल
सिनेह केलौँ तेँऽ दुख पेलौँ
कानियोँ के नै चैन भेटल
...
लहर उठल करेजासँ
लागै कि जेना साँस छूटल
कि करबै जीके ई जिनगी
अहाँक जौँ ना संग भेटल
आस टूटल भाग भूटल
आँखि इनहोरे सँ शीतल
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 10
- - - - - - - बालमुकुंद पाठक ।।
आस टूटल भाग भूटल
आँखि इनहोरे सँ शीतल
घुरिकँ आबूँ ई जिनगी मेँ
यै छी अहाँ कियैक रुसल
सिनेह केलौँ तेँऽ दुख पेलौँ
कानियोँ के नै चैन भेटल
...
लहर उठल करेजासँ
लागै कि जेना साँस छूटल
कि करबै जीके ई जिनगी
अहाँक जौँ ना संग भेटल
आस टूटल भाग भूटल
आँखि इनहोरे सँ शीतल
सरल वर्णिक बहर ,वर्ण 10
- - - - - - - बालमुकुंद पाठक ।।
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