शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2012

गजल



उठि कऽ बैसल मरदबा एखनी कुच्छो होतै की 
छै समय ई भोरका एखनी कुच्छो होतै की

साँप दू मूँहाँ भरल छै सगर घरमे की करबै
बीनपर कठफोड़बा एखनी कुच्छो होतै की

नोट हमरे लोककेँ संग हमरे थानेदारो
देश हमरे चोरबा एखनी कुच्छो होतै की



बाण चललै कोन देखू करेजा छलनी भेलै
घावमे छल नेहिया एखनी कुच्छो होतै की

चान धरि पहुचल मनुख आब तारापर चलि जेतै 
काल्हि घर ओतै मुदा एखनी कुच्छो होतै की

पाँति किनको छै गजल हमर भेलै ई कर्मक फल
बादमे लिखबै कता एखनी कुच्छो होतै की

2122-2122-1222-222

अमित मिश्र

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तोहर मतलब प्रेम प्रेमक मतलब जीवन आ जीवनक मतलब तों